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मऊ: लॉकडाउन में फीकी हुई ईद, सेवई का टोटा तो खजूर गायब

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Published : May 25, 2020, 6:39 AM IST

देशभर में कोरोना वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है. ऐसे शायद पहली बार होगा जब ईद इतने फीके अंदाज में मनेगी. महामारी के साए में इस बार बाजारों में पहले जैसी भीड़ भी देखने को नहीं मिल रही है.

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लॉकडाउन में फीकी ईद.

मऊ: लॉकडाउन का असर ईद पर दिख रहा है. इस त्योहार पर सर्वाधिक बिकने वाली सेवई बाजार में नाम मात्र ही दिख रही है. वहीं खजूर और मेवा नजर ही नहीं आ रहा है. रमजान माह मुस्लिम समुदाय का पवित्र माह है, जिसका इंतजार पूरे वर्ष रहता है. लोग इबादत करते हैं, दान करते हैं और तरह-तरह के पकवान का सेवन करते हैं. इस बार कोरोना के कहर के चलते रमजान माह फीका नजर आया. लॉकडाउन के चलते तमाम लोगों का रोजगार छिन गया है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है.

लॉकडाउन में फीकी ईद.

ये भी पढ़ें- भाजपा का प्रेस नोट पढ़ रही हैं मायावती: कांग्रेस

तीस रोजों की इबादत और संयम के बाद आने वाली ईद, जिसका पूरे वर्ष इंतजार रहता है. इस बार फिकी नजर आ रही है. बाजार से दुकानदार और खरीददार दोनों ही गायब हैं. सेवई की दुकान लगाए सलीम ने बताया कि कोरोना के कारण इस बार के त्योहार की रौनक गायब है. हालात यह हैं कि सेवई की बिक्री आधे से भी कम हुई है. रमजान में कई प्रकार की सेवई और खजूर बिकते थी. इससे अच्छी कमाई भी हो जाती थी, लेकिन इस बार लॉकडाउन में लोग घर से नहीं निकल रहे हैं.

बाजार में खरीदारी करने आए अशरफ ने बताया कि कोरोना से बचने के लिए लोग कानून का पालन कर रहे हैं. घर से नहीं निकल रहे हैं. ऐसे में बिक्री नाम मात्र हो रही है. बाजार में सेवई के दाम बढ़ गए हैं, जो सेवई 50 रुपये किलो मिलती थी अब 60 से 65 रुपये प्रति किलोग्राम मिल रही है.

मऊ: लॉकडाउन का असर ईद पर दिख रहा है. इस त्योहार पर सर्वाधिक बिकने वाली सेवई बाजार में नाम मात्र ही दिख रही है. वहीं खजूर और मेवा नजर ही नहीं आ रहा है. रमजान माह मुस्लिम समुदाय का पवित्र माह है, जिसका इंतजार पूरे वर्ष रहता है. लोग इबादत करते हैं, दान करते हैं और तरह-तरह के पकवान का सेवन करते हैं. इस बार कोरोना के कहर के चलते रमजान माह फीका नजर आया. लॉकडाउन के चलते तमाम लोगों का रोजगार छिन गया है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है.

लॉकडाउन में फीकी ईद.

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तीस रोजों की इबादत और संयम के बाद आने वाली ईद, जिसका पूरे वर्ष इंतजार रहता है. इस बार फिकी नजर आ रही है. बाजार से दुकानदार और खरीददार दोनों ही गायब हैं. सेवई की दुकान लगाए सलीम ने बताया कि कोरोना के कारण इस बार के त्योहार की रौनक गायब है. हालात यह हैं कि सेवई की बिक्री आधे से भी कम हुई है. रमजान में कई प्रकार की सेवई और खजूर बिकते थी. इससे अच्छी कमाई भी हो जाती थी, लेकिन इस बार लॉकडाउन में लोग घर से नहीं निकल रहे हैं.

बाजार में खरीदारी करने आए अशरफ ने बताया कि कोरोना से बचने के लिए लोग कानून का पालन कर रहे हैं. घर से नहीं निकल रहे हैं. ऐसे में बिक्री नाम मात्र हो रही है. बाजार में सेवई के दाम बढ़ गए हैं, जो सेवई 50 रुपये किलो मिलती थी अब 60 से 65 रुपये प्रति किलोग्राम मिल रही है.

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