मऊ : जिले के थाना कोतवाली के अंतर्गत सहादतपुरा मोहल्ले में रोडवेज के पीछे राजभर बस्ती में धर्मांतरण का खेल चल रहा था. इसकी सूचना हिंदू जागरण मंच ने पुलिस को दी. पुलिस की छापेमारी में लगभग दो दर्जन महिलाओं व एक दर्जन पुरुषों (कुल 50 से अधिक लोगों) को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. पुलिस ने धर्मांतरण कराने के आरोप में एक पादरी को भी गिरफ्तार किया है.
मामला मऊ जिले के सहादतपुरा इलाके का है. आरोप है कि यहां रोडवेज के पीछे राजभर बस्ती में विजेंद्र राजभर के घर में ईसाई मिशनरी द्वारा धर्मांतरण का खेल चल रहा था. हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने रविवार को 11 बजे इस जगह को घेरकर पुलिस को सूचित किया. मौके पर पहुंची पुलिस ने मौके पर महिलाओं की संख्या ज्यादा देखकर तुरंत महिला पुलिस की मदद ली. इसके बाद महिलाओं को वहां से निकालकर थाने ले जाया गया. पूछताछ शुरू की गई.
इस दौरान पुलिस ने धर्मांतरण स्थल पर मौजूद पादरी सहित 15 पुरुषों को हिरासत में लेकर पूछताछ की. वहीं, महिला थाने की एसओ द्वारा लगभग तीन दर्जन महिलाओं को रोककर धर्मांतरण संबंधित जानकारी एकत्रित की गई. गृहस्वामी विजेंद्र प्रसाद राजभर जिसके यहां प्रार्थना सभा चल रही थी, उन्होंने बताया कि उनके यहां यह प्रार्थना सभा काफी पहले से होती आई है. मोहल्ले के लोगों ने गलत सूचना देकर पुलिस को बुलाया है.
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वहीं, आरोपी पादरी अब्राहम शकील अहमद गढ़वा झारखंड ने पूछताछ में बताया कि वह कुछ महीनों पहले इस जगह पर आया है. यहां रविवार के दिन प्रार्थना आदि कराता है. बताया कि उसने हाल ही में इस्लाम धर्म छोड़कर ईसाई धर्म स्वीकार किया है. उसी का प्रचार प्रसार करता है. इसके तहत उसे आज मऊ के सहादतपुरा के एक स्थान से पुलिस द्वारा मोहल्ले वालों की शिकायतों पर गिरफ्तार किया गया.
मोहल्ले के ही एक युवक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यहां लगभग 5 वर्ष के ज्यादा समय से धर्मांतरण का खेल चल रहा है. ईसाई धर्म स्वीकार करने वाले परिवार के बच्चों का एक स्थानीय नामी ईसाई मिशनरी स्कूल में नाम लिखाना, मुफ्त शिक्षा, शादी ब्याह में खर्च और इलाज में सहूलियत आदि का लालच दिया जाता है. इसी आधार पर उन लोगों का धर्मांतरण कराया जाता है. पूरा सहादतपुरा क्षेत्र धर्मांतरण की चपेट में है. इस खेल में महिलाएं भी बराबर की साझीदार हैं लेकिन उनके खिलाफ कोई बोलने वाला नहीं है.
इन पकड़े गए आरोपियों को छुड़ाने के लिए तमाम ईसाई संगठन भी मौके पर पहुंच गए लेकिन पुलिस के आगे उनकी एक न चली. वे धीरे-धीरे सरकार और सिस्टम को कोसते हुए हट गए.