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ग्लोबल हैंड वाशिंग डे: दिन में कितनी बार धोने चाहिए हाथ, जानें सही तरीका

ग्लोबल हैंड वॉशिंग डे हर साल 15 अक्टूबर को विश्व भर में मनाया जाता है. यह दिन साबुन के साथ हाथ धोने व बीमारियों से बचाव के लिए बेहतर तरीके के रूप में जागरूकता बढ़ाने और समझने के लिए समर्पित है.

 दिन में कितनी बार धोने चाहिए हाथ
दिन में कितनी बार धोने चाहिए हाथ
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Published : Oct 14, 2020, 5:08 PM IST

मऊ: दुनिया भर में 15 अक्टूबर को ‘ग्लोबल हैंड वाशिंग डे’ मनाया जाता है. इस दिन का मकसद लोगों को साबुन से हाथ धोने के प्रति जागरूक करना है, क्योंकि यह बिमारियों से सुरक्षित रहने का आसान, प्रभावी और किफायती तरीका है.

हमारे हाथों में न जाने कितनी अनदेखी गंदगी छिपी होती हैं, जो किसी भी वस्तु को छूने, उसका उपयोग करने और कई तरह के रोजमर्रा के कामों के कारण होती हैं. हाथ धोने के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए वैश्विक स्तर पर हर साल 15 अक्टूबर को हैंड वॉशिंग दिवस मनाया जाता है. इस दिन की स्थापना वर्ष 2008 में ग्लोबल हैंड वाशिंग पार्टनरशिप द्वारा की गई, जिसका प्रयास साबुन से हाथ धोने के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना है.

इस साल के ग्लोबल हैंडवाशिंग डे की थीम, "सभी के लिए स्वच्छ हाथ" निर्धारित की गई है. इस साल हम सभी ने हाथ की स्वच्छता के महत्व को बखूबी समझा है. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सबसे प्रभावी तरीका ठीक तरह से हाथ धोना है, जिससे संक्रमण का खतरा काफी हद तक काम हो जाता है. डब्ल्यूएचओ के वैश्विक सुझावों में कोविड-19 महामारी को रोकने, नियंत्रित करने और इसे व्यवहार में लाने के लिए हाथ की स्वच्छता का लक्ष्य रखा गया.

मुख्य चिकित्सा आधिकारी डॉ. सतीश चन्द्र सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बाद काफी हद तक हाथ की स्वच्छता बनाए रखना हमारे व्यवहार में आया है. वहीं कई लोगों ने इसे जिम्मेदारी समझकर अपनाया है तो कुछ लोग इसे संक्रमण के डर से अपना रहे हैं. सही तरह से हाथ धुलने से हम दस्त, टाइफाइड, पेट संबंधी रोग, आंख में होने वाले संक्रमण, त्वचा संबंधी रोग आदि से बच सकते हैं.

सीएमओ ने बताया कि सही तरीके से दो मिनट तक साबुन से छह चरणों में हाथ धोना चाहिए. इसमें सबसे पहले सीधे हाथ पर साबुन लगाकर रगड़ना, उसके बाद उल्टे हाथ, इसके बाद नाखून, फिर अंगूठा और इसके बाद मुट्ठी और अंत में कलाई धोनी चाहिए.

क्या कहते हैं आंकड़ें?
द स्टेट ऑफ हैंड वॉशिंग की 2016 की वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 54 प्रतिशत आबादी शौचालय के बाद हाथ धोती है. वहीं सिर्फ 13 प्रतिशत आबादी खाना बनाने से पहले और 27 प्रतिशत बच्चों को खाना खिलाने से पहले हाथ धोती है. दूसरी तरफ शहरी क्षेत्र में 94 प्रतिशत लोग शौचालय के बाद हाथ धोते हैं. 74 प्रतिशत खाना बनाने से पहले और 79 प्रतिशत बच्चों को खाना खिलाने से पहले हाथ धोते हैं.

हाथ धोना कब-कब है जरूरी?

  • शौच के बाद.
  • खाना बनाने व खाने से पहले.
  • मुंह, नाक व आंखों को छूने के बाद.
  • खांसने व छींकने के बाद.
  • घर की साफ-सफाई करने के बाद.
  • किसी बीमार व्यक्ति से मिलकर आने के बाद.
  • पालतू जानवरों से खेलने के बाद.

मऊ: दुनिया भर में 15 अक्टूबर को ‘ग्लोबल हैंड वाशिंग डे’ मनाया जाता है. इस दिन का मकसद लोगों को साबुन से हाथ धोने के प्रति जागरूक करना है, क्योंकि यह बिमारियों से सुरक्षित रहने का आसान, प्रभावी और किफायती तरीका है.

हमारे हाथों में न जाने कितनी अनदेखी गंदगी छिपी होती हैं, जो किसी भी वस्तु को छूने, उसका उपयोग करने और कई तरह के रोजमर्रा के कामों के कारण होती हैं. हाथ धोने के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए वैश्विक स्तर पर हर साल 15 अक्टूबर को हैंड वॉशिंग दिवस मनाया जाता है. इस दिन की स्थापना वर्ष 2008 में ग्लोबल हैंड वाशिंग पार्टनरशिप द्वारा की गई, जिसका प्रयास साबुन से हाथ धोने के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना है.

इस साल के ग्लोबल हैंडवाशिंग डे की थीम, "सभी के लिए स्वच्छ हाथ" निर्धारित की गई है. इस साल हम सभी ने हाथ की स्वच्छता के महत्व को बखूबी समझा है. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सबसे प्रभावी तरीका ठीक तरह से हाथ धोना है, जिससे संक्रमण का खतरा काफी हद तक काम हो जाता है. डब्ल्यूएचओ के वैश्विक सुझावों में कोविड-19 महामारी को रोकने, नियंत्रित करने और इसे व्यवहार में लाने के लिए हाथ की स्वच्छता का लक्ष्य रखा गया.

मुख्य चिकित्सा आधिकारी डॉ. सतीश चन्द्र सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमण के बाद काफी हद तक हाथ की स्वच्छता बनाए रखना हमारे व्यवहार में आया है. वहीं कई लोगों ने इसे जिम्मेदारी समझकर अपनाया है तो कुछ लोग इसे संक्रमण के डर से अपना रहे हैं. सही तरह से हाथ धुलने से हम दस्त, टाइफाइड, पेट संबंधी रोग, आंख में होने वाले संक्रमण, त्वचा संबंधी रोग आदि से बच सकते हैं.

सीएमओ ने बताया कि सही तरीके से दो मिनट तक साबुन से छह चरणों में हाथ धोना चाहिए. इसमें सबसे पहले सीधे हाथ पर साबुन लगाकर रगड़ना, उसके बाद उल्टे हाथ, इसके बाद नाखून, फिर अंगूठा और इसके बाद मुट्ठी और अंत में कलाई धोनी चाहिए.

क्या कहते हैं आंकड़ें?
द स्टेट ऑफ हैंड वॉशिंग की 2016 की वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 54 प्रतिशत आबादी शौचालय के बाद हाथ धोती है. वहीं सिर्फ 13 प्रतिशत आबादी खाना बनाने से पहले और 27 प्रतिशत बच्चों को खाना खिलाने से पहले हाथ धोती है. दूसरी तरफ शहरी क्षेत्र में 94 प्रतिशत लोग शौचालय के बाद हाथ धोते हैं. 74 प्रतिशत खाना बनाने से पहले और 79 प्रतिशत बच्चों को खाना खिलाने से पहले हाथ धोते हैं.

हाथ धोना कब-कब है जरूरी?

  • शौच के बाद.
  • खाना बनाने व खाने से पहले.
  • मुंह, नाक व आंखों को छूने के बाद.
  • खांसने व छींकने के बाद.
  • घर की साफ-सफाई करने के बाद.
  • किसी बीमार व्यक्ति से मिलकर आने के बाद.
  • पालतू जानवरों से खेलने के बाद.
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