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बुनाई उद्योग पर कोरोना का साया, बुनकरों की जिंदगी में आर्थिक संकट गहराया

उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में व्यापक तौर पर साड़ियों का उत्पादन किया जाता है. कोरोना काल में लागू लॉकडाउन ने इस व्यवसाय पर गहरी चोट दी है, जिससे बुनकरों सहित इस काम से जुड़े कामगार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.

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लॉकडाउन में बुनकरों पर छाया आर्थिक संकट.
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Published : Sep 1, 2020, 9:38 PM IST

मऊ: कोरोना वायरस मानवीय जीवन में चौतरफा कहर बरपा रहा है. वायरस से बचाव के खातिर जारी लॉकडाउन ने देश को आर्थिक संकट की ओर धकेल दिया है. लंबे समय की तालाबंदी ने कारखानों के चक्के जाम कर दिए, जिससे बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं. हालांकि अनलॉक की प्रक्रिया अमल में आने के बाद बाजारों को खोल दिया गया, लेकिन मांग नहीं होने से व्यापारी हताश हैं.

लॉकडाउन में बुनकरों पर छाया आर्थिक संकट.

मऊ जिले का प्रमुख उद्योग साड़ी बुनाई है. यहां पर बुनाई, कच्चा माल सप्लाई, जरी की साड़ियों को तैयार करने सहित अन्य कामों में करीब दो लाख से ज्यादा लोग अपना योगदान देते हैं. लोगों का जीविकोपार्जन बुनाई से जुड़े कामों से चलता है. वहीं लॉकडाउन में सभी कारखाने बंद कर दिए गए, जिससे सामान्य जिंदगी बेपटरी हो गई. चौक बाजार में धागे और तैयार साड़ियों की कई छोटी-बड़ी दुकानें हैं, यहां दुकानें तो खुली हैं, लेकिन कोरोना के खौफ से ग्राहक नदारद हैं.

मऊ में तैयार साड़ियों की दक्षिण भारत सहित असम और बंगाल में खासी मांग है. लिहाजा दुकानदार सामान्य दिनों की तरह ही कोरोना काल में भी दुकानें खोल रहे हैं. इस उम्मीद से सुबह से शाम हो जाती है कि शायद कोई ग्राहक दुकान में दस्तक देगा, लेकिन शाम तक निराश होकर घर की ओर लौटना पड़ता है. व्यापारियों को उम्मीद है कि आने वाले त्योहार के समय मांग बढ़ेगी, जिससे बुनकरों के संकट कम हो सकते हैं.

कोरोना काल में ग्राहकों की कमी से साड़ियों के बाजार से रौनक गायब है, जिससे व्यापारी चिंतित हैं. वहीं सप्लाई और खपत नहीं होने से उत्पादन में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है, जिससे आर्थिक संकट छाया हुआ है.

मऊ: कोरोना वायरस मानवीय जीवन में चौतरफा कहर बरपा रहा है. वायरस से बचाव के खातिर जारी लॉकडाउन ने देश को आर्थिक संकट की ओर धकेल दिया है. लंबे समय की तालाबंदी ने कारखानों के चक्के जाम कर दिए, जिससे बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं. हालांकि अनलॉक की प्रक्रिया अमल में आने के बाद बाजारों को खोल दिया गया, लेकिन मांग नहीं होने से व्यापारी हताश हैं.

लॉकडाउन में बुनकरों पर छाया आर्थिक संकट.

मऊ जिले का प्रमुख उद्योग साड़ी बुनाई है. यहां पर बुनाई, कच्चा माल सप्लाई, जरी की साड़ियों को तैयार करने सहित अन्य कामों में करीब दो लाख से ज्यादा लोग अपना योगदान देते हैं. लोगों का जीविकोपार्जन बुनाई से जुड़े कामों से चलता है. वहीं लॉकडाउन में सभी कारखाने बंद कर दिए गए, जिससे सामान्य जिंदगी बेपटरी हो गई. चौक बाजार में धागे और तैयार साड़ियों की कई छोटी-बड़ी दुकानें हैं, यहां दुकानें तो खुली हैं, लेकिन कोरोना के खौफ से ग्राहक नदारद हैं.

मऊ में तैयार साड़ियों की दक्षिण भारत सहित असम और बंगाल में खासी मांग है. लिहाजा दुकानदार सामान्य दिनों की तरह ही कोरोना काल में भी दुकानें खोल रहे हैं. इस उम्मीद से सुबह से शाम हो जाती है कि शायद कोई ग्राहक दुकान में दस्तक देगा, लेकिन शाम तक निराश होकर घर की ओर लौटना पड़ता है. व्यापारियों को उम्मीद है कि आने वाले त्योहार के समय मांग बढ़ेगी, जिससे बुनकरों के संकट कम हो सकते हैं.

कोरोना काल में ग्राहकों की कमी से साड़ियों के बाजार से रौनक गायब है, जिससे व्यापारी चिंतित हैं. वहीं सप्लाई और खपत नहीं होने से उत्पादन में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है, जिससे आर्थिक संकट छाया हुआ है.

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