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नवजात को हाईपोथर्मिया से बचाव के लिये वरदान है कंगारू मदर केयर

समय से पहले जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए केएमसी यानि कंगारू मदर केयर तकनीक का प्रयोग कर उन्हें बचाया जा सकता है. मऊ के सीएमओ डॉ सतीशचन्द्र सिंह ने बताया कि केएमसी तकनीक खासतौर से कम वजन के बच्चों और ऐसे बच्चे जिन्हें संक्रमण की आशंका होती है, उन्हें दी जाती है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीशचन्द्र सिंह
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीशचन्द्र सिंह
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Published : Nov 21, 2020, 7:41 AM IST

मऊ: समय से पूर्व जन्मे नवजात यानि प्री-मेच्योर बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य और बीमारियों से बचाने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है. केएमसी यानि कंगारू मदर केयर के जरिये प्री-मेच्योर शिशुओं को हाइपोथर्मिया अर्थात सामान्य से शरीर का तापमान कम होना या शरीर ठंडा पड़ना, वजन कम होना आदि परेशानियों से बचाया जा सकता है. इसके प्रयास से शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सतीशचन्द्र सिंह ने बताया कि शिशु का तय समय से पहले जन्म और जन्म के समय वजन कम होना अक्सर देखा जाता है. यह शिशु सामान्य शिशु की तुलना में ज्यादा कोमल और कमजोर होते हैं और उन्हें कई तरह की बीमारियां होने का भी खतरा बना रहता है. ऐसे शिशुओं को गहन देखभाल की जरूरत होती है जिसे कंगारू मदर केयर विधि से देखभाल कर ठीक किया जा सकता है.

क्या है कंगारू तकनीक
इस तकनीक में नवजात शिशु (बगैर कपड़े के साथ) को मां के सीने पर कंगारू की तरह अपने से चिपकाकर लिटाया जाता है. करीब एक घंटे रोजाना यह करना चाहिए, ताकि शिशु को मां के शरीर की गर्माहट मिल सके. इसमें शिशु के हाथ-पैर व पीठ को साफ कपड़ों से ढकना चाहिए. इसमें शिशु को गर्माहट मिलती है और तापमान का संतुलन बना रहता है.

सीएमओ ने बताया कि केएमसी तकनीक खासतौर से कम वजन के बच्चों और ऐसे बच्चे जिन्हें संक्रमण की आशंका होती है, उन्हें दी जाती है. प्री-मैच्योर डिलेवरी के दौरान जन्म लेने वाले कमजोर बच्चों को इससे स्वस्थ रखा जा सकता है. समय-समय पर डॉक्टर और नर्स द्वारा निर्देश दिये जाते रहते हैं और उनके निर्देशानुसार धात्री शिशु को सीने से चिपकाकर रखती हैं. इससे उनके बच्चों और स्वयं को भी लाभ प्राप्त होता है.

केएमसी के फायदे
जिला महिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ प्रवीण सिंह ने बताया कि केएमसी विधि से शिशु और मां दोनों को कई तरह के फायदे होते हैं जैसे शिशु का तापमान सही रहता है. वह इंफेक्शन से भी दूर रहता है, इससे शिशु और मां के बीच का रिश्ता मजबूत होता है, स्तनपान बेहतर होता है. कंगारू मदर देखभाल सिर्फ मां की ही नहीं बल्कि परिवार का कोई भी सदस्य दे सकता है. जब शिशु का वजन 2.5 किलो तक हो जाए तो केएमसी बंद कर सकते हैं. इसके अलावा जब भी मां बच्चे को केएमसी देने की कोशिश करे ओर बच्चा रोने लगे, असुविधा महसूस करे तब समझें कि केएमसी बंद करने का समय आ गया है. इस दौरान शिशु का स्तनपान जारी रखें. केएमसी से बच्चे का वजन बढ़ता है. हॉस्पिटल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है.

मऊ: समय से पूर्व जन्मे नवजात यानि प्री-मेच्योर बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य और बीमारियों से बचाने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है. केएमसी यानि कंगारू मदर केयर के जरिये प्री-मेच्योर शिशुओं को हाइपोथर्मिया अर्थात सामान्य से शरीर का तापमान कम होना या शरीर ठंडा पड़ना, वजन कम होना आदि परेशानियों से बचाया जा सकता है. इसके प्रयास से शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है.

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सतीशचन्द्र सिंह ने बताया कि शिशु का तय समय से पहले जन्म और जन्म के समय वजन कम होना अक्सर देखा जाता है. यह शिशु सामान्य शिशु की तुलना में ज्यादा कोमल और कमजोर होते हैं और उन्हें कई तरह की बीमारियां होने का भी खतरा बना रहता है. ऐसे शिशुओं को गहन देखभाल की जरूरत होती है जिसे कंगारू मदर केयर विधि से देखभाल कर ठीक किया जा सकता है.

क्या है कंगारू तकनीक
इस तकनीक में नवजात शिशु (बगैर कपड़े के साथ) को मां के सीने पर कंगारू की तरह अपने से चिपकाकर लिटाया जाता है. करीब एक घंटे रोजाना यह करना चाहिए, ताकि शिशु को मां के शरीर की गर्माहट मिल सके. इसमें शिशु के हाथ-पैर व पीठ को साफ कपड़ों से ढकना चाहिए. इसमें शिशु को गर्माहट मिलती है और तापमान का संतुलन बना रहता है.

सीएमओ ने बताया कि केएमसी तकनीक खासतौर से कम वजन के बच्चों और ऐसे बच्चे जिन्हें संक्रमण की आशंका होती है, उन्हें दी जाती है. प्री-मैच्योर डिलेवरी के दौरान जन्म लेने वाले कमजोर बच्चों को इससे स्वस्थ रखा जा सकता है. समय-समय पर डॉक्टर और नर्स द्वारा निर्देश दिये जाते रहते हैं और उनके निर्देशानुसार धात्री शिशु को सीने से चिपकाकर रखती हैं. इससे उनके बच्चों और स्वयं को भी लाभ प्राप्त होता है.

केएमसी के फायदे
जिला महिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ प्रवीण सिंह ने बताया कि केएमसी विधि से शिशु और मां दोनों को कई तरह के फायदे होते हैं जैसे शिशु का तापमान सही रहता है. वह इंफेक्शन से भी दूर रहता है, इससे शिशु और मां के बीच का रिश्ता मजबूत होता है, स्तनपान बेहतर होता है. कंगारू मदर देखभाल सिर्फ मां की ही नहीं बल्कि परिवार का कोई भी सदस्य दे सकता है. जब शिशु का वजन 2.5 किलो तक हो जाए तो केएमसी बंद कर सकते हैं. इसके अलावा जब भी मां बच्चे को केएमसी देने की कोशिश करे ओर बच्चा रोने लगे, असुविधा महसूस करे तब समझें कि केएमसी बंद करने का समय आ गया है. इस दौरान शिशु का स्तनपान जारी रखें. केएमसी से बच्चे का वजन बढ़ता है. हॉस्पिटल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है.

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