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मऊ : विशेष किस्म के चने की खेती बनी चर्चा का विषय, हार्वेस्टर से हो सकती है कटाई

मऊ के किसान आशीष राय समय-समय पर अपने खेतों में नए प्रयोग करते रहते हैं. हाल ही में लगभग तीन महीने पहले उन्होंने अपने खेतों में चने के उत्तम किस्म की बुवाई की थी. एक एकड़ भूमि में की गई खेती से लगभग 14 कुंटल पैदावार होने का अनुमान है.

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Published : Mar 26, 2019, 4:07 AM IST

विशेष किस्म के चने की खेती बनी चर्चा का विषय

मऊ :वैसेतो ज्यादातर किसान पारंपरिक खेती में भरोसा रखते हैं औरजागरुकता के अभाव में वैज्ञानिक खेती पर ध्यान कम ही देते हैं. मगरप्रगतिशील किसानों की श्रेणी में गिने जाने वाले किसान आशीष राय समय-समय पर अपने खेतों में नए प्रयोग करते रहते हैं. हाल ही में लगभग तीन महीने पहले उन्होंने अपने खेतों में चने के उत्तम किस्म की बुवाई की थी. एक एकड़ भूमि में की गई खेती से लगभग 14 कुंटल पैदावार होने का अनुमान है. यह किस्म है एचसी-5 जिसे हरियाणा से लाया गया था. इस किस्म के पौधों की लंबाईलगभग तीनफीट होती है. वहीं इसमें भूमि से छहइंच ऊपर से फलियां लगनी शुरू होती हैं,जिससे इस फसल को कंबाइन हार्वेस्टर मशीन से भी आसानी से काटा जा सकता है.

किसान आशीष राय ने बताया कि उनको फेसबुक पर इस प्रजाति की जानकारी मिली तो वह इसे लाने के लिए हरियाणा चले गए. वहां उन्होंने आईएआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ विरेन्द्र लाठर से संपर्कसाधा और इस एचसी-5 किस्म के बीज प्राप्त किए. वापस आकर अपने खेत में एक एकड़ भूमि में इस किस्म के चने बोए और अब फसल की कटाई शुरू हो गई है. उन्होंने बताया कि समय-समय पर उचित मात्रा में कीटनाशक के छिड़काव करने की वजह से उनके खेत के किसी भी पौधे में कीड़े नहीं लगे हैं. उन्होंने अनुमान जताते हुए बताया कि लगभग 14 कुंटल चने की पैदावार होगी.

बता दें कि युवा किसान आशीष के खेतों का निरीक्षण करने जिले और मंडल स्तर के अधिकारियों के साथ ही दिल्ली से आए अधिकारी भी आ चुके हैं. उप निदेशक कृषि विभाग डॉ एसपी श्रीवास्तव ने बताया कि एचसी-5 किस्म के चने की कटाई हार्वेस्टर से की जा सकती है. यह ऐसे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है, जहां फसल काटने के लिए श्रमिक नहीं मिल पाते. इस प्रजाति के पौधे में फलियों की संख्या ज्यादा होती है और पैदावार अच्छी मिल रही है. हालांकि, अभी कृषि विभाग की तरफ से इस किस्मका वितरण नहीं किया जाता है. अगरविभाग द्वारा उच्च स्तर पर इसे अनुशंसा मिलती है तो आने वाले समय में इसे जिले के किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा.

आशीष राय के खेतों में फसलों को देखकर अन्य किसान भी उत्साहित हैं. युवा किसानों को संदेश देते हुए आशीष राय ने कहा कि खेती से दूर भागने और पलायन करने की बजाय वैज्ञानिक खेती अपनाना चाहिए. चने की खेती में पानी की भी कम आवश्यकता होती है. इसलिए अच्छी प्रजाति की बुवाई करके ज्यादा उत्पादन और लाभ लिया जा सकता है. कटुआ, छेदक आदि कीटों और उकठा रोग से बचाव के लिए उचित मात्रा में दवाओं का छिड़काव करना चाहिए. एचसी-5 प्रजाति को हरियाणा के हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) से रिटायर्ड और आईएआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ विरेन्द्र लाठर द्वारा तैयार किया गया है. इसके बीज नेशनल सीड कॉर्पोरेशन (एनएससी), हरियाणा सीड डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन (एचएसडीसी) और हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से लिए जा सकते हैं.

मऊ :वैसेतो ज्यादातर किसान पारंपरिक खेती में भरोसा रखते हैं औरजागरुकता के अभाव में वैज्ञानिक खेती पर ध्यान कम ही देते हैं. मगरप्रगतिशील किसानों की श्रेणी में गिने जाने वाले किसान आशीष राय समय-समय पर अपने खेतों में नए प्रयोग करते रहते हैं. हाल ही में लगभग तीन महीने पहले उन्होंने अपने खेतों में चने के उत्तम किस्म की बुवाई की थी. एक एकड़ भूमि में की गई खेती से लगभग 14 कुंटल पैदावार होने का अनुमान है. यह किस्म है एचसी-5 जिसे हरियाणा से लाया गया था. इस किस्म के पौधों की लंबाईलगभग तीनफीट होती है. वहीं इसमें भूमि से छहइंच ऊपर से फलियां लगनी शुरू होती हैं,जिससे इस फसल को कंबाइन हार्वेस्टर मशीन से भी आसानी से काटा जा सकता है.

किसान आशीष राय ने बताया कि उनको फेसबुक पर इस प्रजाति की जानकारी मिली तो वह इसे लाने के लिए हरियाणा चले गए. वहां उन्होंने आईएआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ विरेन्द्र लाठर से संपर्कसाधा और इस एचसी-5 किस्म के बीज प्राप्त किए. वापस आकर अपने खेत में एक एकड़ भूमि में इस किस्म के चने बोए और अब फसल की कटाई शुरू हो गई है. उन्होंने बताया कि समय-समय पर उचित मात्रा में कीटनाशक के छिड़काव करने की वजह से उनके खेत के किसी भी पौधे में कीड़े नहीं लगे हैं. उन्होंने अनुमान जताते हुए बताया कि लगभग 14 कुंटल चने की पैदावार होगी.

बता दें कि युवा किसान आशीष के खेतों का निरीक्षण करने जिले और मंडल स्तर के अधिकारियों के साथ ही दिल्ली से आए अधिकारी भी आ चुके हैं. उप निदेशक कृषि विभाग डॉ एसपी श्रीवास्तव ने बताया कि एचसी-5 किस्म के चने की कटाई हार्वेस्टर से की जा सकती है. यह ऐसे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है, जहां फसल काटने के लिए श्रमिक नहीं मिल पाते. इस प्रजाति के पौधे में फलियों की संख्या ज्यादा होती है और पैदावार अच्छी मिल रही है. हालांकि, अभी कृषि विभाग की तरफ से इस किस्मका वितरण नहीं किया जाता है. अगरविभाग द्वारा उच्च स्तर पर इसे अनुशंसा मिलती है तो आने वाले समय में इसे जिले के किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा.

आशीष राय के खेतों में फसलों को देखकर अन्य किसान भी उत्साहित हैं. युवा किसानों को संदेश देते हुए आशीष राय ने कहा कि खेती से दूर भागने और पलायन करने की बजाय वैज्ञानिक खेती अपनाना चाहिए. चने की खेती में पानी की भी कम आवश्यकता होती है. इसलिए अच्छी प्रजाति की बुवाई करके ज्यादा उत्पादन और लाभ लिया जा सकता है. कटुआ, छेदक आदि कीटों और उकठा रोग से बचाव के लिए उचित मात्रा में दवाओं का छिड़काव करना चाहिए. एचसी-5 प्रजाति को हरियाणा के हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) से रिटायर्ड और आईएआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ विरेन्द्र लाठर द्वारा तैयार किया गया है. इसके बीज नेशनल सीड कॉर्पोरेशन (एनएससी), हरियाणा सीड डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन (एचएसडीसी) और हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से लिए जा सकते हैं.

Intro:मऊ। रबी की रोपाई का सीजन बीत चुका है, अब समय है फसल की कटाई का. ज्यादातर किसानों ने अपने खेतों से फसल काट लिए हैं वहीं कुछ किसान अभी फसल काटने में जुटे हैं. इन दिनों जिले के कोपागंज क्षेत्र के रहने वाले किसान आशीष राय अपने आस-पास के क्षेत्र में चर्चित हो रहे हैं. जिसका कारण है उनके द्वारा की गई चने की विशेष किस्म की खेती से मिली उपज.


Body:यूं तो जिले में ज्यादातर किसान पारंपरिक खेती में भरोसा रखते हैं व जागरुकता के अभाव में वैज्ञानिक खेती पर ध्यान कम ही देते हैं. लेकिन प्रगतिशील किसानों की श्रेणी में गिने जाने वाले किसान आशीष राय समय-समय पर अपने खेतों में नए प्रयोग करते रहते हैं. हाल ही में लगभग तीन महीने पहले उन्होंने अपने खेतों में चने के उत्तम किस्म की बुवाई की थी. एक एकड़ भूमि में की गई खेती से लगभग 14 कुंटल पैदावार होने का अनुमान है. यह किस्म है एचसी-5 जिसे उन्होंने हरियाणा से लाया था. इस किस्म के पौधों की लम्बाई लगभग 3 फीट होती है. वहीं इसमें भूमि से 6 इंच ऊपर से फलियां लगनी शुरू होती हैं. जिससे इस फसल को कंबाइन हार्वेस्टर मशीन से भी आसानी से काटा जा सकता है.

किसान आशीष राय ने बताया कि उनको फेसबुक पर इस प्रजाति की जानकारी मिली तो वह इसे लाने के लिए हरियाणा चले गए. वहां उन्होंने आईएआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ विरेन्द्र लाठर से सम्पर्क साधा और इस एचसी-5 किस्म के बीज प्राप्त किये. वापस आकर अपने खेत में एक एकड़ भूमि में इस किस्म के चने बोए और अब फसल की कटाई शुरू हो गई है. उन्होंने बताया कि समय-समय पर उचित मात्रा में कीटनाशक के छिड़काव करने की वजह से उनके खेत किसी भी पौधे में कीड़े नहीं लगे हैं. अनुमान जताते हुए बताया कि लगभग 14 कुंटल चने पैदावार होगी.

बता दें कि युवा किसान आशीष के खेतों का निरीक्षण करने जिले व मंडल स्तर के अधिकारियों के साथ ही दिल्ली से आए अधिकारी भी आ चुके हैं. उप निदेशक कृषि विभाग डॉ एसपी श्रीवास्तव ने बताया कि एचसी-5 किस्म के चने की कटाई हार्वेस्टर से की जा सकती है. यह ऐसे क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है जहां फसल काटने के लिए श्रमिक नहीं मिल पाते. इस प्रजाति के पौधे में फलियों की संख्या ज्यादा होती है और पैदावार अच्छी मिल रही है. हालांकि अभी कृषि विभाग की तरफ से इस किस्म का वितरण नहीं किया जाता है. यदि विभाग द्वारा उच्च स्तर पर इसे अनुशंसा मिलती है तो आने वाले समय में इसे जिले के किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा.


Conclusion:आशीष राय के खेतों में फसलों को देखकर अन्य किसान भी उत्साहित हैं युवा किसानों को संदेश देते हुए आशीष राय ने कहा कि खेती से दूर भागने और पलायन करने की बजाय वैज्ञानिक खेती अपनाना चाहिए. चने की खेती में पानी की भी कम आवश्यकता होती है इसलिए अच्छी प्रजाति की बुवाई करके ज्यादा उत्पादन और लाभ लिया जा सकता है. कटुआ, छेदक आदि कीटों और उकठा रोग से बचाव के लिए उचित मात्रा में दवाओं का छिड़काव करना चाहिए.

बता दें कि एचसी-5 प्रजाति को हरियाणा के हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) से रिटायर्ड और आईएआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ विरेन्द्र लाठर द्वारा तैयार किया गया है. इसके बीज नेशनल सीड कॉर्पोरेशन (एनएससी), हरियाणा सीड डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन (एचएसडीसी) और हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से लिया जा सकता है.
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