मऊ: जिले में सरयू नदी का जलस्तर तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है. नेपाली पानी से उफनाई सरयू के चलते दोहरीघाट के कई गांवों का संपर्क टूट गया है. वहीं लगभग एक हजार परिवार बाढ़ की चपेट में आ गए हैं. अब कटान बढ़ने की संभावना जताई जा रही है. ऐसे में दोहरीघाट के ऐतिहासिक मंदिरों पर खतरा दिख रहा है.
ग्रामीण इलाकों में बाढ़ का पानी फैल जाने से लोग काफी परेशान हैं. जलभराव के चलते कई गांवों का संपर्क मार्ग टूट चुका है. लोग किसी तरह जीवन-यापन कर रहे हैं. सरयू नदी का दबाव अब बांधों पर पड़ रहा है. नदी का जलस्तर बढ़ने से दोहरीघाट नगर के तीन मोहल्लों में पानी भर चुका है.
बाढ़ की जद में कई गांव
जिले के दोहरीघाट और मधुबन तहसील क्षेत्र में घाघरा नदी के तेज बहाव से तटीय किनारे में कटान हो रहा है. एक तरफ जहां बाढ़ से 15 से ज्यादा गांव प्रभावित हैं. वहीं नेपाल देश के द्वारा पानी छोड़े जाने से बाढ़ से पैदा होने वाले खतरे से दहशत का माहौल बना हुआ है. दोहरीघाट मुक्तिधाम स्थित शवदाहगृह पानी में डूब चुका है. शव को ऊंचे स्थान पर जलाया जा रहा है. ऐतिहासिक मंदिर खाखी बाबा की कुटी बाढ़ की जद में है.
कई घाट क्षत-विक्षत
अगर घाघरा का दबाव 1998 की तरह हुआ तो क्षेत्र में तबाही का मंजर साफ दिखने लगेगा. घाघरा की लहरें गौरीशंकर घाट पर दबाव बनाए हुए हैं. घाघरा के दबाव के चलते पीचिंग कराए गए बोल्डर नीचे धंस रहे हैं. अगर घाघरा कटान करती है तो गौरीशंकर घाट का अस्तित्व मिट सकता है. इसके पहले 1992 में गौरीशंकर घाट का बना पक्का घाट, श्मशानघाट का पक्का घाट, खाकी बाबा का पक्का घाट, राजनीतिक सामाजिक और धार्मिक स्थल कट कर नदी में विलीन हो चुका है. घाघरा के बढ़ते जलस्तर की वजह से एक बार फिर से जिले की एतिहासिक धरोहरों पर खतरा मंडराने लगा है.
सरयू इस समय जनपद के मधुबन और दोहरीघाट में हाहाकार मचाती हुई लहरों के साथ बह रही है. पूर्व से बहने वाली हवा की वजह से लहरों के का वेग बढ़ गया है. लहरें तेजी के साथ टकरा-टकरा कर तटीय इलाकों पर दबाव बनाती जा रहीं हैं. दोहरीघाट कस्बे में जानकीघाट, गौरीशंकर घाट और रामघाट क्षत-विक्षत हो गए हैं. रामघाट तक बाढ़ का पानी चढ़ा हुआ है. बेलौली के पास बांध का पानी सड़क पार कर गांव में घुस चुका है. गांव चारों तरफ से पानी से डूबा हुआ है. बाढ़ के चलते दोहरीघाट कस्बे का पशुआश्रय केंद्र भी डूब गया है. जहां से पशुओं को निकाल कर सुरक्षित स्थान पर रखा गया है.
'तबाही के संकट'
दोहरीघाट कस्बा निवासी संदीप गुप्ता ने बताया कि सरयू का पानी कटान तेजी से कर रहा है. इस वर्ष नदी अपने रौद्र रूप की ओर बढ़ रही है. 1998 में नदी अपने रौद्र रूप में आई थी, तब बहुत तबाही मचा था. अभी हालात 1998 के तो नहीं है, लेकिन नदियों में पानी तेजी से बढ़ रहा है. 1998 में जलस्तर की नाप करने वाला गेज बह गया था, इस बार भी बह गया है. सरयू की कटान के चलते दोहरीघाट का ऐतिहासिक रामजानकी मंदिर 1998 में बह गया था. अब प्राचीन खाकी बाबा की कुटी पर संकट के बादल मंडरा रहा है.
संदीप ने बताया कि प्रशासन के द्वारा ऐतिहासिक मन्दिरों की सुरक्षा के लिए कोई समुचित प्रयास नहीं किया जा रहा है. कटान में प्रशासनिक लापरवाही बहुत है. जब बाढ़ आती है, तब कार्य शुरू होता है. कटान रोकने के लिए फिर पिचिंग का कार्य शुरू किया जाता है. इसका परिणाम यह होता है कि सब बोल्डर और मिट्टी नदी में बह जाता है. बाढ़ आने से पहले प्रशासन तैयारियां करे तो कटान से नगर और ऐतिहासिक धरोहरों को बचाया जा सकता है.
'प्रशासन की लापरवाही से लोग नाराज'
बाढ़ का पानी दोहरीघाट कस्बे में घुस गया है, जिससे जन-जीवन काफी प्रभावित हुआ है. लोग परेशान हैं और प्रशासन से कोई मदद नहीं मिलने से लोग नाराज हैं. गांव की मुनिया देवी ने बताया कि घर पानी से घिरा हुआ है. घुटने भर पानी में आ-जाकर जरूरी काम किया जा रहा है. दुकानें बन्द हैं तो कमाई भी बन्द है. नगरपालिका, चेयरमैन और पुलिस कोई भी देखने-पूछने नहीं आ रहा है. हम लोग परेशान हैं.
'किए जा रहे इंतजाम'
सरयू के कहर पर जिलाधिकारी ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि सरयू का जल स्तर अब घट रहा है. इस समय पूर्व से आने वाली हवा की वजह से लहरें तेज हो गई हैं, जिससे खतरा बढ़ सकता है. हालात को देखते हुए प्रशासन मुस्तैद है. बाढ़ क्षेत्र में 31 बाढ़ चौकी और 13 राहत शिविर बनाए गए हैं. राहत शिविर में 904 लोगों को रखा गया है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में 144 छोटी बड़ी नावें लगाई गई हैं. वहीं नाव की संख्या बढ़ाई जा रही है. लोगों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए इंतजाम किए जा रहे हैं.