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यमराज और यमुना देवी को समर्पित है मथुरा का यह मंदिर, जानिए इतिहास

उत्तर प्रदेश के मथुरा में भाई-बहन के प्यार को समर्पित एक बहुत ही प्राचीन मंदिर यमुना नदी के किनारे स्थापित है. मथुरा के प्रसिद्ध विश्राम घाट पर यह भाई-बहन का मंदिर बना हुआ है. इस मंदिर में भाई-बहन की एक खास जोड़ी धर्रामज और यमुना मां की पूजा की जाती है.

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Published : Oct 27, 2019, 7:44 PM IST

श्री यमुना जी धर्मराज मंदिर

मथुरा : विश्वभर में बहुत से देवी देवताओं के मंदिर स्थापित हैं, जिनमें भगवान कृष्ण, शिव, दुर्गा मां व अन्य के बहुतायत हैं, लेकिन इतिहास में कई ऐसे मंदिर हैं जो विभिन्न प्रकार की मान्यताओं के लिए जाना जाता है. ऐसा ही एक मंदिर है कृष्ण की नगरी मथुरा में स्थित है. यह मंदिर है विश्व के एकमात्र भाई-बहन यमराज और यमुना देवी को समर्पित है. यम द्वितीया के दिन लाखों की संख्या में भाई-बहन यमुना जी में स्नान करते हैं. लोगों में मान्यता यह है कि यमुना में स्नान करने से यमराज के प्रकोप से मुक्ति मिलती है. यह मंदिर शहर के विश्राम घाट पर स्थित है.

मथुरा का श्री यमुना जी धर्मराज मंदिर.

यह है मान्यता
पौराणिक मान्यता है कि यमराज अपनी बहन यमुना महारानी के घर भाई दूज के दिन पहुंचे थे. बहन ने भाई की खूब खातिरदारी की थी. भाई यमराज ने अपनी बहन यमुना महारानी से कोई एक वर मांगने को कहा, यमुना महारानी ने कहा भाई आपके प्रकोप से लोगों को मुक्ति कैसे मिलेगी. तब यमराज ने कहा भाई दूज के दिन विश्राम घाट पर यमुना जी में भाई-बहन एक साथ स्नान करेंगे तो मेरे प्रकोप से मुक्ति मिलेगी और सीधा बैकुंठधाम धाम में प्रवेश करेंगे.

तभी से यमराज का नाम धर्मराज पड़ा. सदियों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है. मान्यता यह भी है कि जो भाई-बहन इस मंदिर में साथ दर्शन करते हैं और फिर यमुना नदी में स्नान करते हैं उनको जीवन-मत्यु के झंझट से मुक्ति मिल जाती है.

सदियों पुराना यह धर्मराज और यमुना महारानी का मंदिर है. यम द्वितीया के दिन लाखोंं की संख्या में भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं और यमराज के प्रकोप से मुक्ति मिलती है और मंदिर में आकर दान पुण्य करते हैं.
- शैलेंद्र चतुर्वेदी, मंदिर पुजारी

इसे भी पढ़ें - दीपावली 2019: मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इन मुहूर्त का रखें ध्यान, ऐसे करें पूजा-पाठ

मथुरा : विश्वभर में बहुत से देवी देवताओं के मंदिर स्थापित हैं, जिनमें भगवान कृष्ण, शिव, दुर्गा मां व अन्य के बहुतायत हैं, लेकिन इतिहास में कई ऐसे मंदिर हैं जो विभिन्न प्रकार की मान्यताओं के लिए जाना जाता है. ऐसा ही एक मंदिर है कृष्ण की नगरी मथुरा में स्थित है. यह मंदिर है विश्व के एकमात्र भाई-बहन यमराज और यमुना देवी को समर्पित है. यम द्वितीया के दिन लाखों की संख्या में भाई-बहन यमुना जी में स्नान करते हैं. लोगों में मान्यता यह है कि यमुना में स्नान करने से यमराज के प्रकोप से मुक्ति मिलती है. यह मंदिर शहर के विश्राम घाट पर स्थित है.

मथुरा का श्री यमुना जी धर्मराज मंदिर.

यह है मान्यता
पौराणिक मान्यता है कि यमराज अपनी बहन यमुना महारानी के घर भाई दूज के दिन पहुंचे थे. बहन ने भाई की खूब खातिरदारी की थी. भाई यमराज ने अपनी बहन यमुना महारानी से कोई एक वर मांगने को कहा, यमुना महारानी ने कहा भाई आपके प्रकोप से लोगों को मुक्ति कैसे मिलेगी. तब यमराज ने कहा भाई दूज के दिन विश्राम घाट पर यमुना जी में भाई-बहन एक साथ स्नान करेंगे तो मेरे प्रकोप से मुक्ति मिलेगी और सीधा बैकुंठधाम धाम में प्रवेश करेंगे.

तभी से यमराज का नाम धर्मराज पड़ा. सदियों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है. मान्यता यह भी है कि जो भाई-बहन इस मंदिर में साथ दर्शन करते हैं और फिर यमुना नदी में स्नान करते हैं उनको जीवन-मत्यु के झंझट से मुक्ति मिल जाती है.

सदियों पुराना यह धर्मराज और यमुना महारानी का मंदिर है. यम द्वितीया के दिन लाखोंं की संख्या में भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं और यमराज के प्रकोप से मुक्ति मिलती है और मंदिर में आकर दान पुण्य करते हैं.
- शैलेंद्र चतुर्वेदी, मंदिर पुजारी

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Intro:मथुरा। विश्व का एकमात्र भाई-बहन का मंदिर।जहां यमराज और यमुना महारानी का, यम द्वितीया के दिन लाखो भाई बहन यमुना जी में स्नान करते हैं और यमराज के प्रकोप से मिलती है मुक्ति। शहर के विश्राम घाट पर स्थित है धर्मराज और यमुना महारानी का मंदिर।


Body:गोवर्धन पूजा के दूसरे दिन भाई दूज जो यम द्वितीया के नाम से जानी जाती है। मथुरा शहर के विश्राम घाट पर यम द्वितीया पर्व पर लाखों की संख्या में भाई बहन एक साथ यमुना जी में डुबकी लगाते हैं और यमराज के प्रकोप से मिलती है मुक्ति। सदियों से चली आ रही है परंपरा।
पौराणिक मान्यता है कि यमराज अपनी बहन यमुना महारानी की घर भाई दूज के दिन पहुंचे थे, बहन ने भाई की खूब खातिरदारी की ,भाई यमराज ने अपनी बहन यमुना महारानी से कोई एक वर मांगने को कहा ।यमुना महारानी ने कहा भाई आपके प्रकोप से लोगों को मुक्ति कैसे मिलेगी ।तब यमराज ने कहा भाई दूज के दिन विश्राम घाट पर यमुना जी में भाई बहन एक साथ स्नान करेंगे तो मेरे प्रकोप से मुक्ति मिलेगी और सीधा बैकुंठधाम धाम में प्रवेश करेंगे तभी से यमराज का नाम धर्मराज पड़ा। सदियों से चली आ रही परंपरा आज भी कायम है मथुरा शहर के विश्राम घाट पर स्थित है भाई यमराज और बहन यमुना जी का मंदिर।


Conclusion:मंदिर पुजारी शैलेंद्र चतुर्वेदी ने बताया सदियों पुराना धर्मराज और यमुना महारानी का मंदिर। यम द्वितीया के दिन लाखों की संख्या में भाई बहन यमुना जी में स्नान करते हैं और यमराज के प्रकोप से मुक्ति मिलती है और मंदिर में आकर दान पुण्य करते हैं।
रंगनाथ चतुर्वेदी श्रद्धालु ने बताया भाई दूज के दिन यम दुतिया का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है और दूरदराज से लाखों की संख्या में स्नान करने के लिए यहां आते हैं काफी पुराना मंदिर धर्मराज और यमुना महारानी का मंदिर बना हुआ।

वाइट शैलेंद्र चतुर्वेदी मंदिर पुजारी
वाइट रंगनाथ चतुर्वेदी श्रद्धालु
पीटीसी प्रवीन शर्मा



mathura reporter
praveen sharma
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