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मालूम नहीं जाति न गोत्र, लक्ष्मी दिला रहीं सबको मोक्ष - कनक फाउंडेशन संस्था

मथुरा के वृंदावन गौतम पाड़ा निवासी 60 वर्षीय समाजसेवी महिला लक्ष्मी गौतम पिछले कई वर्षों से गरीब असहाय अज्ञात व्यक्तियों के शवों का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज के अनुसार कराती आ रही है. न जाति, न धर्म, न गोत्र, न ही कोई संबंध, दिन हो या रात अज्ञात शव का अंतिम संस्कार कनक फाउंडेशन संस्था द्वारा किया जाता है.

लक्ष्मी गौतम.
लक्ष्मी गौतम.
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Published : Mar 6, 2021, 10:26 PM IST

मथुराः धर्म की नगरी वृंदावन गौतम पाड़ा इलाके में रहने वाली 60 वर्षीय समाज सेविका लक्ष्मी गौतम गरीब असहाय लोगों के लिए मसीहा बनकर उभर रही हैं. अज्ञात व्यक्तियों के शव के अंतिम संस्कार भी हिंदू रीति रिवाज से कराती हैं. कनक फाउंडेशन संस्था की समाज सेविका लक्ष्मी गौतम स्कूली छात्राओं और असुरक्षित महिलाओं के लिए पिछले कई वर्षों से कार्य करती आ रही हैं. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2015 में नारी शक्ति पुरस्कार और 100 विमेन अचीव पुरस्कार से सम्मानित किया है.

महिला दिवस.

कई पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं लक्ष्मी गौतम

कनक फाउंडेशन संस्था की समाज सेविका लक्ष्मी गौतम पिछले कई वर्षों से उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित हो चुकी हैं. 2015 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लक्ष्मी गौतम को नारी शक्ति पुरस्कार और हंड्रेड वूमेन अचीव अवार्ड से सम्मानित किया है. भारत सरकार द्वारा लक्ष्मी गौतम को 2019 में वेव वंडर वूमेन पुरस्कार सम्मानित किया है.

स्कूली छात्राओं के लिए सहारा बनी लक्ष्मी गौतम

समाजसेवी लक्ष्मी गौतम स्कूली छात्राओं और असुरक्षित महिलाओं के लिए सहारा बनी हैं. पिछले कई वर्षों से असुरक्षित महिलाओं के लिए और स्कूली छात्राओं के लिए सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करती आ रही हैं. मनचलों के आतंक से परेशान स्कूली छात्राओं की मदद करती आती हैं.

परिवार के सदस्यों का भी सहयोग मिला

समाज सेवा कार्य करने के लिए लक्ष्मी गौतम को परिवार के साथ आसपास के लोगों का भी सहयोग मिला है. वृंदावन क्षेत्र में रहने वाली बुजुर्ग विधवा महिलाओं के लिए भी सम्मानजनक कार्य कराने के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं. लक्ष्मी गौतम ने बताया कि समाज सेवा का कार्य करने के बाद मन में एक शांति सी महसूस होती है. वह कभी सुर्खियों में नहीं आना चाहतीं, लेकिन कुछ लोग हैं जो समाज सेवा के रूप में मुझे पहचान दिलाते हैं.

इसे भी पढ़ें- महिला दिवस स्पेशल: गंगा प्रहरी बन ला रहीं स्वच्छ्ता, बच्चों को दे रहीं शिक्षा

2011 में नालसा राष्ट्रीय विधिक सेवा सर्वे करने के लिए गई थी तो उन्हें मालूम पड़ा कि वृंदावन में कुछ विधवा माताओं का सम्मानजनक अंतिम संस्कार नहीं हो पाता. पूरी जिंदगी असुरक्षा और गरीबी के माहौल में जीने के बाद भी अंतिम संस्कार सम्मानजनक न होना दुखद है. इस पर उन्होंने मन में संकल्प लिया और कहा आज के बाद वृंदावन में विधवा माताओं का हिंदू रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार कराया जाएगा. वहीं पिछले कुछ वर्षों से पुरुषों का भी अंतिम संस्कार कराती आ रही हैं.

मथुराः धर्म की नगरी वृंदावन गौतम पाड़ा इलाके में रहने वाली 60 वर्षीय समाज सेविका लक्ष्मी गौतम गरीब असहाय लोगों के लिए मसीहा बनकर उभर रही हैं. अज्ञात व्यक्तियों के शव के अंतिम संस्कार भी हिंदू रीति रिवाज से कराती हैं. कनक फाउंडेशन संस्था की समाज सेविका लक्ष्मी गौतम स्कूली छात्राओं और असुरक्षित महिलाओं के लिए पिछले कई वर्षों से कार्य करती आ रही हैं. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2015 में नारी शक्ति पुरस्कार और 100 विमेन अचीव पुरस्कार से सम्मानित किया है.

महिला दिवस.

कई पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं लक्ष्मी गौतम

कनक फाउंडेशन संस्था की समाज सेविका लक्ष्मी गौतम पिछले कई वर्षों से उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित हो चुकी हैं. 2015 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लक्ष्मी गौतम को नारी शक्ति पुरस्कार और हंड्रेड वूमेन अचीव अवार्ड से सम्मानित किया है. भारत सरकार द्वारा लक्ष्मी गौतम को 2019 में वेव वंडर वूमेन पुरस्कार सम्मानित किया है.

स्कूली छात्राओं के लिए सहारा बनी लक्ष्मी गौतम

समाजसेवी लक्ष्मी गौतम स्कूली छात्राओं और असुरक्षित महिलाओं के लिए सहारा बनी हैं. पिछले कई वर्षों से असुरक्षित महिलाओं के लिए और स्कूली छात्राओं के लिए सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करती आ रही हैं. मनचलों के आतंक से परेशान स्कूली छात्राओं की मदद करती आती हैं.

परिवार के सदस्यों का भी सहयोग मिला

समाज सेवा कार्य करने के लिए लक्ष्मी गौतम को परिवार के साथ आसपास के लोगों का भी सहयोग मिला है. वृंदावन क्षेत्र में रहने वाली बुजुर्ग विधवा महिलाओं के लिए भी सम्मानजनक कार्य कराने के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं. लक्ष्मी गौतम ने बताया कि समाज सेवा का कार्य करने के बाद मन में एक शांति सी महसूस होती है. वह कभी सुर्खियों में नहीं आना चाहतीं, लेकिन कुछ लोग हैं जो समाज सेवा के रूप में मुझे पहचान दिलाते हैं.

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2011 में नालसा राष्ट्रीय विधिक सेवा सर्वे करने के लिए गई थी तो उन्हें मालूम पड़ा कि वृंदावन में कुछ विधवा माताओं का सम्मानजनक अंतिम संस्कार नहीं हो पाता. पूरी जिंदगी असुरक्षा और गरीबी के माहौल में जीने के बाद भी अंतिम संस्कार सम्मानजनक न होना दुखद है. इस पर उन्होंने मन में संकल्प लिया और कहा आज के बाद वृंदावन में विधवा माताओं का हिंदू रीति रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार कराया जाएगा. वहीं पिछले कुछ वर्षों से पुरुषों का भी अंतिम संस्कार कराती आ रही हैं.

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