मथुरा: असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक विजयदशमी का पर्व देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. लेकिन, कृष्ण की नगरी में दशानंद रावण के पुतले का विरोध किया जाता है. यही नहीं रावण का मथुरा से पुराना नाता भी रहा है. यमुना नदी के किनारे एक प्राचीन शिव मंदिर स्थापित है. रावण इसी मंदिर में आकर शिव की आराधना करता था. रावण की बहन कुंभिनी का विवाह मधु राक्षस से हुआ था.
त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्म अयोध्या में हुआ था. असुरों का वध करने के बाद लंका पति रावण का भी वध राम ने किया था. असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक विजयदशमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. त्रेता युग में रावण का मथुरा से पुराना नाता रहा है. रावण की दो बहनें सुर्पणखा और कुंभिनी थीं. कुंभिनी का विवाह मधु राक्षस के साथ मथुरा में हुआ था. मथुरा का पुराण नाम मधुपुरा था. रावण अपनी बहन से मिलने के लिए मधुपुरा आता-जाता रहता था. वह यमुना नदी के किनारे ही प्राचीन शिव मंदिर में आराधना करता था. कुंभिनी राक्षस लवणासुर की मां थी. इसलिए रावण का मथुरा से पुराना नाता रहा है.
यमुना नदी के किनारे शिव मंदिर में विजयदशमी के पर्व पर सारस्वत समाज के लोग रावण की विधि-विधान से पूजा करने के बाद महा आरती उतारते हैं. वहीं, रावण भी भोलेनाथ की आराधना करते हुए पूजा करता है. पिछले कई वर्षों से लंकेश भक्त मंडल समिति द्वारा मंदिर में रावण की महा आरती उतारी जाती है और रावण के पुतले के दहन का विरोध करती है.
असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक विजयदशमी का पर्व रावण का पुतला दहन करके मनाया जाता है. लेकिन, सारस्वत समाज के लोग रावण के पुतले के दहन का विरोध करते हैं. क्योंकि, लंकापति रावण प्रचंड विद्वान और वेदों का ज्ञाता था. भगवान शिव की आराधना करता था. मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने भी रावण की शिव के प्रति भक्ति और वेदों का ज्ञाता होने के बाद कहा था कि इस संसार में रावण के बराबर कोई विद्वान धरती पर नहीं होगा.
लंकेश भक्त मंडल समिति के अध्यक्ष ओमवीर सारस्वत ने बताया कि रावण चारों वेदों का ज्ञाता था. भगवान राम ने भी उसकी विद्वता मानी थी. रावण भगवान शिव की आराधना करता था. त्रेता युग में यमुना नदी के किनारे प्राचीन शिव मंदिर जो भी आज भी बना हुआ है, इसमें आकर शिव की आराधना करता था. मथुरा में रावण की बहन कुंभिनी का विवाह मधु राक्षस के साथ हुआ था, इसलिए रावण का मथुरा से पुराना नाता रहा है.
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