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मथुरा: जिला कारागार में बंदी बना रहे मिट्टी से बर्तन

उत्तर प्रदेश के मथुरा जिला कारागार में बंदियों द्वारा मिट्टी से कुल्हड़ दीये और अन्य वस्तुएं बनाई जा रही हैं. जिला कारागार बंदियों को पूर्ण सहयोग प्रदान कर रहा है, जिससे वह आपराधिक प्रवृत्ति से हटकर जब जेल से बाहर निकले तो वह मुख्यधारा से जुड़ कर रोजगार कर पाएं.

मथुरा जिला कारागार निरूद्ध बंदी मिट्टी से बना रहे बर्तन
मथुरा जिला कारागार निरूद्ध बंदी मिट्टी से बना रहे बर्तन
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Published : Mar 21, 2021, 12:20 PM IST

मथुरा: जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों द्वारा मिट्टी से बर्तन कुल्हड़, दीये और अन्य वस्तुएं बनाई जा रही हैं. जिला करागार प्रशासन के सहयोग से बंदी कुछ न कुछ बनाते चले आ रहे हैं. कभी बंदियों द्वारा भगवान कृष्ण के लिए पोशाक बनाई जाती है ,तो कभी बच्चों के स्कूल की ड्रेस तो कभी सैनिटाइजर, मास्क, पीपीई किट फेस शील्ड इत्यादि बनाए जा रहे हैं. जिला कारागार प्रशासन बंदियों को पूर्ण सहयोग प्रदान कर रहा है, जिससे वह आपराधिक प्रवृत्ति से हटकर जब जेल से बाहर निकले तो वह मुख्यधारा से जुड़ कर रोजगार कर पाएं.

जानकारी देते वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार
वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने जानकारी दीजानकारी देते हुए वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार ने बताया कि वर्तमान में बंदियों द्वारा जिला कारागार में मिट्टी के चाक से जो भी सामान बनाया जा रहा है उसमें बंदियों को किसी प्रकार का कोई प्रशिक्षण नहीं दिया जा रहा है. हमारी जेल के अंदर ही कुछ बंदी ऐसे बंद थे जो बाहर मिट्टी से मूर्तियां, कुल्लड़ और दीपक बनाते थे. उन बंदियों को चिन्हित कर उनके द्वारा जो भी सामान बताया गया वह लाया गया और हमारे बंदी द्वारा ही चाक बनाया गया. इसके बाद हमने उनको मुखिया बनाते हुए आठ से दस बंदियों को इस चीज का प्रशिक्षण दिलाया. वर्तमान में बंदियों द्वारा कुल्हड़,दीये बनाए जा रहे हैं. बच्चों के लिए पैसा रखने के लिए गुल्लक बनाई जा रही है.
MATHURA NEWS
जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों द्वारा मिट्टी से बर्तन कुल्लड़, दीये और अन्य वस्तुएं बनाई जा रही हैं.
इसे भी पढ़ें: मथुरा: जिला कारागार में सिलाई प्रशिक्षण केंद्र और जेल FM रेडियो का उद्घाटन

बाहर भी बेची जाएंगी बंदियों द्वारा बनाई गई चीजें

पिछली दीपावली को लक्ष्मी गणेश जी की मूर्तियां बंदियों द्वारा जेल में ही बनाई गई थी. बंदियों ने जेल के भीतर ही डेढ़ सौ लक्ष्मी गणेश का जोड़ा बनाया था, जो बाजार में भी बेचा गया था. अभी जो बंदियों द्वारा सामान बनाया जा रहा है उसकी मात्रा इतनी नहीं है कि हम उसे बाजार में बेच सकें .अभी जो चीजें बनाई जा रही हैं वह प्रशिक्षण के रूप में बनाई जा रही हैं .लेकिन बंदी इस कार्य से उत्साहित हैं. अगर हमारा बाहर किसी से एग्रीमेंट हो जाता है और वह सामान लेने के लिए तैयार होता है तो जेल से बाहर भी वस्तुएं दी जाएंगी.

मथुरा: जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों द्वारा मिट्टी से बर्तन कुल्हड़, दीये और अन्य वस्तुएं बनाई जा रही हैं. जिला करागार प्रशासन के सहयोग से बंदी कुछ न कुछ बनाते चले आ रहे हैं. कभी बंदियों द्वारा भगवान कृष्ण के लिए पोशाक बनाई जाती है ,तो कभी बच्चों के स्कूल की ड्रेस तो कभी सैनिटाइजर, मास्क, पीपीई किट फेस शील्ड इत्यादि बनाए जा रहे हैं. जिला कारागार प्रशासन बंदियों को पूर्ण सहयोग प्रदान कर रहा है, जिससे वह आपराधिक प्रवृत्ति से हटकर जब जेल से बाहर निकले तो वह मुख्यधारा से जुड़ कर रोजगार कर पाएं.

जानकारी देते वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार
वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने जानकारी दीजानकारी देते हुए वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार ने बताया कि वर्तमान में बंदियों द्वारा जिला कारागार में मिट्टी के चाक से जो भी सामान बनाया जा रहा है उसमें बंदियों को किसी प्रकार का कोई प्रशिक्षण नहीं दिया जा रहा है. हमारी जेल के अंदर ही कुछ बंदी ऐसे बंद थे जो बाहर मिट्टी से मूर्तियां, कुल्लड़ और दीपक बनाते थे. उन बंदियों को चिन्हित कर उनके द्वारा जो भी सामान बताया गया वह लाया गया और हमारे बंदी द्वारा ही चाक बनाया गया. इसके बाद हमने उनको मुखिया बनाते हुए आठ से दस बंदियों को इस चीज का प्रशिक्षण दिलाया. वर्तमान में बंदियों द्वारा कुल्हड़,दीये बनाए जा रहे हैं. बच्चों के लिए पैसा रखने के लिए गुल्लक बनाई जा रही है.
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जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों द्वारा मिट्टी से बर्तन कुल्लड़, दीये और अन्य वस्तुएं बनाई जा रही हैं.
इसे भी पढ़ें: मथुरा: जिला कारागार में सिलाई प्रशिक्षण केंद्र और जेल FM रेडियो का उद्घाटन

बाहर भी बेची जाएंगी बंदियों द्वारा बनाई गई चीजें

पिछली दीपावली को लक्ष्मी गणेश जी की मूर्तियां बंदियों द्वारा जेल में ही बनाई गई थी. बंदियों ने जेल के भीतर ही डेढ़ सौ लक्ष्मी गणेश का जोड़ा बनाया था, जो बाजार में भी बेचा गया था. अभी जो बंदियों द्वारा सामान बनाया जा रहा है उसकी मात्रा इतनी नहीं है कि हम उसे बाजार में बेच सकें .अभी जो चीजें बनाई जा रही हैं वह प्रशिक्षण के रूप में बनाई जा रही हैं .लेकिन बंदी इस कार्य से उत्साहित हैं. अगर हमारा बाहर किसी से एग्रीमेंट हो जाता है और वह सामान लेने के लिए तैयार होता है तो जेल से बाहर भी वस्तुएं दी जाएंगी.

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