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मथुरा: लॉकडाउन के दौरान रास्ते में फंसे लोगों ने बयां किया अपना दर्द

उत्तर प्रदेश के मथुरा में कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए लॉक डाउन के बाद लोग अपने-अपने घरों को निकल पड़े हैं. लेकिन इस बीच रास्ते में काफी लोग फंस गए है और अपने घरों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं.

लॉक डाउन के दौरान रास्ते में फंसे लोग
लॉक डाउन के दौरान रास्ते में फंसे लोग
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Published : Mar 29, 2020, 5:12 PM IST

मथुरा: देश भर में कोरोना वायरस ने कई लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है, जिसके चलते भारत सरकार द्वारा लॉक डाउन कर दिया है. इस वजह से काफी लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लोग अपने घरों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. खाने-पीने की वस्तुओं के साथ-साथ अन्य परेशानियों से भी जूझ रहे हैं. उनका कहना है कि हमारे पास इतना पैसा भी नहीं कि हम अपने घरों तक पहुंच जाएं.

कोरोनावायरस के कहर से बचने के लिए सैकड़ों लोग लॉक डाउन में जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं. महा संकट की इस घड़ी में विश्व भर में कोरोना वायरस संक्रमण की दहशत के साए में लोग अपनी जिंदगी बिता रहे हैं. वहीं लॉक डाउन में फंसे हुए लोगों का कहना है कि वे दिहाड़ी मजदूर हैं, रोज कमाते हैं और रोज खाते हैं. लॉक डाउन के चलते न तो वह अपने घर जा पा रहे हैं और न ही खाने-पीने की वस्तुओं को खरीद पा रहे हैं. जितना राशन बचा था अभी तक उसी से काम चला रहे थे. अब आगे किस तरह से खाने-पीने की वस्तुएं वह ले पाएंगे.

वह मांग कर रहे हैं या तो प्रशासन उन्हें उनके घरों तक पहुंचा दे, नहीं तो उनके लिए खाने पीने की व्यवस्था कराए. लोग अपना दर्द बयां करते हुए बता रहे हैं कि कई दिनों से वह एक समय का ही भोजन कर पा रहे हैं. वह सरकार से मांग कर रहे हैं कि सरकार उनकी मदद करें.

वहीं कुछ गर्भवती महिलाएं भी इस बात के लिए चिंतित हैं कि उनका उपचार कैसे हो पाएगा. उनका कहना है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं, जिसके चलते उनका उपचार नहीं हो पा रहा है. वह मांग कर रही हैं कि सरकार उन्हें उनके घरों तक पहुंचा दें, जिससे कि वह किसी तरह से अपने घर पहुंच कर अपने उपचार के लिए व्यवस्था कर सकें.

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वह मांग कर रहे हैं या तो प्रशासन उन्हें उनके घरों तक पहुंचा दे, नहीं तो उनके लिए खाने पीने की व्यवस्था कराए. लोग अपना दर्द बयां करते हुए बता रहे हैं कि कई दिनों से वह एक समय का ही भोजन कर पा रहे हैं. वह सरकार से मांग कर रहे हैं कि सरकार उनकी मदद करें.

वहीं कुछ गर्भवती महिलाएं भी इस बात के लिए चिंतित हैं कि उनका उपचार कैसे हो पाएगा. उनका कहना है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं, जिसके चलते उनका उपचार नहीं हो पा रहा है. वह मांग कर रही हैं कि सरकार उन्हें उनके घरों तक पहुंचा दें, जिससे कि वह किसी तरह से अपने घर पहुंच कर अपने उपचार के लिए व्यवस्था कर सकें.

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