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मेरठ: गोशाला और डेयरी खोलने से पहले प्रदूषण विभाग से लेनी होगी एनओसी - regional pollution control board

बढ़ते जल प्रदूषण को रोकने के लिए डेयरी संचालकों और गोशालाओं के लिए नया आदेश जारी किया गया है. अब शहर में डेयरी और गोशाला संचालन के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी लेना होगा. अनुमति के बिना संचालन नहीं किया जा सकेगा. नए आदेश से शहर के डेयरी संचालनों की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी.

noc taken from pollution department
प्रदूषण विभाग से लेनी होगी एनओसी
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Published : Jul 18, 2020, 10:11 PM IST

मेरठ: डेयरी और गोशालाओं को अभी तक क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी और सहमति प्रमाण पत्र नहीं लेना पड़ता था. अब क्षेत्रीय प्रदूषण विभाग के अनुसार शहरी क्षेत्र में नई शर्तों के साथ ही डेयरी और गोशालाओं का संचालन किया जा सकेगा. डेयरी और गोशालाओं से निकल रही गंदगी नालों के माध्यम से नदियों तक पहुंच कर उन्हें गंदा कर रही है. एनजीटी ने इस बात को गंभीरता से संज्ञान लेते हुए नए निर्देश जारी किए हैं. तय मानकों के अनुसार कार्रवाई अमल में लाने के लिए क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है.

हाईवे से भी दूर रहेंगी डेयरी और गोशाला
क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी डॉ. योगेंद्र कुमार का कहना है कि नए मानकों के अनुसार डेयरी और गोशाला नेशनल हाईवे से कम से कम 200 मी. और स्टेट हाईवे से कम से कम 100 मी. की दूरी पर ही खोली जा सकेंगी. गोशाला और डेयरी में पानी की बर्बादी भी नहीं की जा सकेगी. ऐसे स्थानों से भी दूरी तय की गई है, जहां पीने का पानी टंकी आदि में इकट्ठा किया जाता है.

ये है नई गाइडलाइन
डॉ. योगेंद्र कुमार के मुताबिक वाटर एक्ट पर्यावरण अधिनियम के अंतर्गत यह आदेश पारित किया गया है कि आबादी से 200 मी. दूर ही डेयरी या गोशाला का संचालन किया जा सकेगा. अस्पताल और स्कूल से 500 मी. की दूरी पर गोशाला का संचालन किया जा सकेगा. साथ ही जहां डेयरी चल रही है, वहां एसटीपी प्लांट भी लगाना जरूरी होगा. उन्होंने बताया कि नदियों में जल प्रदूषण की रोकथाम के लिए निर्देश जारी किए गए हैं. इसके अलावा कई अन्य बिंदु हैं, जिनको पूरा करने के बाद ही एनओसी मिल सकेगी.

मेरठ: डेयरी और गोशालाओं को अभी तक क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी और सहमति प्रमाण पत्र नहीं लेना पड़ता था. अब क्षेत्रीय प्रदूषण विभाग के अनुसार शहरी क्षेत्र में नई शर्तों के साथ ही डेयरी और गोशालाओं का संचालन किया जा सकेगा. डेयरी और गोशालाओं से निकल रही गंदगी नालों के माध्यम से नदियों तक पहुंच कर उन्हें गंदा कर रही है. एनजीटी ने इस बात को गंभीरता से संज्ञान लेते हुए नए निर्देश जारी किए हैं. तय मानकों के अनुसार कार्रवाई अमल में लाने के लिए क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है.

हाईवे से भी दूर रहेंगी डेयरी और गोशाला
क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी डॉ. योगेंद्र कुमार का कहना है कि नए मानकों के अनुसार डेयरी और गोशाला नेशनल हाईवे से कम से कम 200 मी. और स्टेट हाईवे से कम से कम 100 मी. की दूरी पर ही खोली जा सकेंगी. गोशाला और डेयरी में पानी की बर्बादी भी नहीं की जा सकेगी. ऐसे स्थानों से भी दूरी तय की गई है, जहां पीने का पानी टंकी आदि में इकट्ठा किया जाता है.

ये है नई गाइडलाइन
डॉ. योगेंद्र कुमार के मुताबिक वाटर एक्ट पर्यावरण अधिनियम के अंतर्गत यह आदेश पारित किया गया है कि आबादी से 200 मी. दूर ही डेयरी या गोशाला का संचालन किया जा सकेगा. अस्पताल और स्कूल से 500 मी. की दूरी पर गोशाला का संचालन किया जा सकेगा. साथ ही जहां डेयरी चल रही है, वहां एसटीपी प्लांट भी लगाना जरूरी होगा. उन्होंने बताया कि नदियों में जल प्रदूषण की रोकथाम के लिए निर्देश जारी किए गए हैं. इसके अलावा कई अन्य बिंदु हैं, जिनको पूरा करने के बाद ही एनओसी मिल सकेगी.

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