मथुराः वरिष्ठ अधिवक्ता के निधन के कारण कृष्ण जन्मभूमि मामले में सोमवार को कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकी. सुनवाई की अगली तारीख एक अप्रैल तय की गई है. आपको बता दें कि पिछले साल 23 दिसंबर को सामाजिक संस्था यूनाइटेड हिंदू फ्रंट धर्म रक्षा संघ और कुछ अधिवक्ताओं ने श्री कृष्ण जन्मभूमि मालिकाना हक और परिसर को अतिक्रमण मुक्त कराने की मांग को लेकर, सीनियर डिवीजन सिविल जज की कोर्ट में जन्मभूमि मामले को लेकर तीसरी पिटीशन दायर की थी.
ये है मांग
12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्री कृष्ण जन्म स्थान सोसाइटी द्वारा किया गया था. 20 जुलाई 1973 को यह जमीन डिक्री की गई. डिक्री रद्द करने की मांग को लेकर सामाजिक संस्था द्वारा सीनियर डिवीजन सिविल जज की कोर्ट में वाद दर्ज किया गया था. इसे लेकर अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर सुनवाई होनी थी, लेकिन अधिवक्ता के निधन के चलते अवकाश होने के कारण मामले की सुनवाई नहीं हो सकी. अब अगली सुनवाई एक अप्रैल को तय की गई है.
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ये बोले अधिवक्ता
अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि एक केस श्री कृष्ण जन्मभूमि प्रकरण को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में चल रहा है. आज (सोमवार) उसी केस में सुनवाई की डेट थी, जिसमें विशेष रूप से प्रतिवादीगणों के द्वारा अपने डब्ल्यूएस दाखिल किए जाने थे. इसके बाद यथास्थिति के लिए हमारे द्वारा माननीय न्यायालय में एप्लीकेशन शपथ पत्र के साथ दी थी और उसमें यह संज्ञान में आया था कि कुछ लोग वहां की यथास्थिति है, उसे चेंज करना चाहते हैं. इसी को लेकर हम चाहते थे कि स्टे कर दिया जाए. इसको लेकर एक एप्लीकेशन दी गई थी. दूसरा हमारा विषय था कि वहां पर माननीय न्यायालय से एक अमीन अप्वॉइंट किया जाए और वहां से अमीन रिपोर्ट मंगा ली जाए. तीसरी एप्लीकेशन हमने दी थी कि कोर्ट के द्वारा वहां रिसीवर अप्वॉइंट कर दिया जाए और जो मस्जिद का प्रबंध तंत्र है उसे निरस्त कर दिया जाए. जो भी स्थिति है और जो भी संचालन है वह रिसीवर की देखरेख में हो. जिससे कि वहां कोई भी किसी तरह का निर्माण ना हो. साथ ही कोई तोड़फोड़ ना हो. जो हिंदू देवी-देवताओं के चित्र हैं, उनको जिस तरह से तोड़ा गया, वह स्थापित कला हैं, हिंदू देवी-देवताओं की, उसको नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है. हम चाहते थे वहां रिसीवर अप्वॉइंट हो. चौथा और महत्वपूर्ण विषय था आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट मंगा ली जाए. अयोध्या के मामले में माननीय न्यायालय के द्वारा आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट मंगाई गई थी और इससे यह प्रूफ हुआ था यह जो पत्थर हैं वह रामकालीन हैं. इसी कारण हमने यहां एक एप्लीकेशन दी थी. शपथ पत्र के साथ और हमने माननीय न्यायालय से कहा था इसमें रिपोर्ट मंगा ली जाए. इससे उन पत्थरों की स्थिति मालूम पड़ जाए कि किस समय के पत्थर हैं, उनकी क्या स्थापित कला है. हमारे एक साथी अधिवक्ता हैं, उनका निधन हो गया है जिसकी वजह से कंडोलेंस है. उसके कारण आज न्यायालय के द्वारा सुनवाई नहीं हो पाई है. इसमें माननीय न्यायालय की ओर से 1 अप्रैल की तारीख तय की गई है.
मालिकाना हक पर सुनवाई 7 अप्रैल को
श्री कृष्ण जन्म भूमि के मालिकाना हक और परिसर को अतिक्रमण मुक्त बनाने की मांग को लेकर सोमवार को होने वाली सुनवाई अधिवक्ता के निधन के चलते टल गई. अब अगली सुनवाई 7 अप्रैल को होगी. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री सहित पांच अधिवक्ताओं ने 25 सितंबर को मालिकाना हक और परिसर को मस्जिद मुक्त बनाने की मांग को लेकर जिला न्यायालय में याचिका डाली थी ,जिसकी सोमवार को सुनवाई होनी थी. अधिवक्ता विष्णु जैन ने बताया कि हमने श्री कृष्ण जन्मभूमि के ऊपर वाद डाला है. यह कहते हुए कि वहां पर जो शाही ईदगाह मस्जिद है वह गैरकानूनी है और जो समझौता हुआ 12 अक्टूबर 1968 को वह इनलीगल है, इसलिए वहां से मस्जिद हटाई जाए और वह पूरी जगह हिंदुओं के लिए घोषित की जाए. 13.37 एकड़ भगवान श्री कृष्ण का है और उस भूमि पर कोई भी विधर्मी निवास नहीं कर सकता है. यह याचिका रंजना अग्निहोत्री की तरफ से डाली गई है. अब इस मामले में 7 अप्रैल को फाइनल आग्र्युमेंट होंगे.