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मथुरा में सिर मुड़ाकर मुड़िया संतों ने किया 500 वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वहन

उत्तर प्रदेश के मथुरा में गौड़ीय संप्रदाय के मुड़िया संतों ने 500 वर्ष पुरानी परंपरा को आज भी जीवित रखा है. परंपरा का निर्वहन करते हुए मुड़िया संतों ने अपने सर मुंडन कराकर गुरु सनातन पाद गोस्वामी महाराज को याद किया.

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Published : Jul 16, 2019, 8:26 AM IST

मुड़िया संतों ने किया परंपरा का निर्वाह

मथुराः गोवर्थन में लगने वाला मुड़िया मेला का उत्साह एक बार फिर उपने उत्साह पर है. पांच दिन चलने वाले इस मेले में पूर्णिमा के दिन भक्तों का भारी जन सैलाब उमड़ पड़ता है. भक्ति और आस्था के इस मेले का इतिहास भी करीब 500 साल पुराना है.

श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर के महंत श्री रामकृष्ण दास ने बताया कि तीर्थ नगरी गोवर्धन धाम में लगभग 500 वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वाह करते हुए , गौड़ीय संप्रदाय के मुड़िया संतों ने अपने अपने सर मुंडन कराकर अपने गुरु को श्रद्धा पुष्पांजलि अर्पित किया.

मुड़िया संतों ने किया परंपरा का निर्वाह.
क्या है मान्यता -
  • मान्यता है कि लगभग 477 वर्ष पूर्व कान्हा के भक्ति में लीन होकर गोस्वामी महाराज गोलोक वास को चले गए थे.
  • जिनकी याद में अनुयाई और ब्रजवासियों ने अपने सर मुंडन कराकर पतित पावनी मानसी गंगा की परिक्रमा की थी.
  • तब से इस व्यास पूर्णिमा का नाम मुड़िया पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा पड़ा.
  • मुड़िया संतों ने श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर के महंत श्री रामकृष्ण दास के सानिध्य में मुंडन संस्कार करा अपने आप को धन्य माना .

मथुराः गोवर्थन में लगने वाला मुड़िया मेला का उत्साह एक बार फिर उपने उत्साह पर है. पांच दिन चलने वाले इस मेले में पूर्णिमा के दिन भक्तों का भारी जन सैलाब उमड़ पड़ता है. भक्ति और आस्था के इस मेले का इतिहास भी करीब 500 साल पुराना है.

श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर के महंत श्री रामकृष्ण दास ने बताया कि तीर्थ नगरी गोवर्धन धाम में लगभग 500 वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वाह करते हुए , गौड़ीय संप्रदाय के मुड़िया संतों ने अपने अपने सर मुंडन कराकर अपने गुरु को श्रद्धा पुष्पांजलि अर्पित किया.

मुड़िया संतों ने किया परंपरा का निर्वाह.
क्या है मान्यता -
  • मान्यता है कि लगभग 477 वर्ष पूर्व कान्हा के भक्ति में लीन होकर गोस्वामी महाराज गोलोक वास को चले गए थे.
  • जिनकी याद में अनुयाई और ब्रजवासियों ने अपने सर मुंडन कराकर पतित पावनी मानसी गंगा की परिक्रमा की थी.
  • तब से इस व्यास पूर्णिमा का नाम मुड़िया पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा पड़ा.
  • मुड़िया संतों ने श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर के महंत श्री रामकृष्ण दास के सानिध्य में मुंडन संस्कार करा अपने आप को धन्य माना .
Intro:तीर्थ नगरी गोवर्धन धाम में सोमवार को एक बार फिर लगभग 500 वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वाह करते हुए ,गौड़ीय संप्रदाय के मुड़िया संतों ने अपने अपने सर मुंडन कराकर अपने गुरु सनातन पाद गोस्वामी महाराज को याद किया.


Body:मान्यता है कि लगभग 477 वर्ष पूर्व कान्हा के अनन्य भक्त सनातन पाद गोस्वामी महाराज कान्हा की भक्ति में लीन हो, गोलोक वास को चले गए थे. जिनकी याद में सनातन पाद गोस्वामी महाराज के अनुयाई और ब्रज वासियों ने अपने सर मुंडन कराकर पतित पावनी मानसी गंगा की परिक्रमा की थी. तभी से इस व्यास पूर्णिमा का नाम मुड़िया पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा पड़ा.


Conclusion:सोमवार को मुड़िया संतों ने गोवर्धन के श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर के महंत ,श्री रामकृष्ण दास के सानिध्य में मुंडन संस्कार करा अपने आप को धन्य माना .जानकारी देते हुए राम कृष्ण दास जी महाराज महंत श्री राधा श्यामसुंदर मंदिर चकलेश्वर.
बाइट- रामकृष्ण दास जी महाराज
स्ट्रिंगर मथुरा
राहुल खरे
mb-9897000608
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