मथुरा: जनपद की एडीजे प्रथम कोर्ट ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) के सदस्य पत्रकार सिद्दिकी कप्पन की जमानत याचिका मंगलवार को खारिज कर दी है. अब जमानत के लिए पत्रकार सिद्दिकी कप्पन को हाईकोर्ट में अपील करना होगा. सिद्दिकी कप्पन की जमानत याचिका पर मंगलवार यानी आज दूसरी बार सुनवाई हुई थी. बीते साल मांट टोल प्लाजा पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था. उस पर हाथरस में बहुचर्चित किशोरी हत्याकांड को लेकर सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप है.
पत्रकार सिद्दिकी कप्पन की जमानत याचिका खारिज
केरल यूनियन वर्किंग ऑफ जर्नलिस्ट संस्था के लिए काम कर रहे पीएफआई सदस्य सिद्दिकी कप्पन केरल का निवासी है. उसकी जमानत याचिका पर सोमवार के बाद दूसरे दिन मंगलवार को भी एडीजे प्रथम अनिल कुमार पांडेय की कोर्ट में सुनवाई हुई. आरोपी पक्ष के अधिवक्ता विल्स मैथ्यू ने न्यायालय में दोपहर 12 बजे कोर्ट में बहस की. बहस के दौरान आरोपी पक्ष के अधिवक्ता ने दलील दी कि कप्पन पर बिना किसी सबूत के केस दर्ज किया गया. दोपहर बाद न्यायालय ने आदेश करते हुए सिद्दिकी कप्पन की जमानत याचिका खारिज कर दी. एडीजे प्रथम कोर्ट पीएफआई के तीन अन्य सदस्यों अतीकुर्रहमान, ड्राइवर आलम और मसूद की जमानत याचिका पहले ही खारिज कर चुकी है.
हाथरस के बहुचर्चित किशोरी हत्याकांड को लेकर सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप में पुलिस ने जनपद के मांट टोल प्लाजा पर पीएफआई पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के चार सदस्यों अतीकुर्रहमान, आलम, मसूद और सिद्दिकी कप्पन को गिरफ्तार किया था उनके पास से जस्टिस फॉर हाथरस के पंपलेट, लैपटॉप, मोबाइल अन्य सामग्री बरामद की थी.पीएफआई से जुड़े मामले में नोएडा एसटीएफ की टीम ने पिछले 2 माह पूर्व न्यायालय के समक्ष आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करते हुए पांच हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी.
पेशे से पत्रकार और पीएफआई संस्था से जुड़े सदस्य सिद्दीकी कप्पन की जमानत याचिका आज एडीजे प्रथम कोर्ट में बहस होने के बाद खारिज कर दी गई है. पिछले महीने 21 जून को न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया था. अब हाईकोर्ट में जाकर अप्लाई करेंगे.
-विल्स मैथ्यू, अधिवक्ता, आरोपी पक्ष
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इस मामले में मथुरा की एडीजे कोर्ट ने केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को जमानत देने से इनकार कर दिया है. लेकिन, कुछ दिन पहले इसी कोर्ट ने कप्पन और उनके साथियों पर लगे शांति भंग करने के आरोपों को रद्द कर दिया था. कोर्ट ने इस समय कहा था कि पुलिस 6 महीने के भीतर उनके खिलाफ जांच पूरी करने में नाकाम रही है.