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मथुरा: जानिए क्यों कहते हैं इसे 'कोई ले गांव'

उत्तर प्रदेश के मथुरा में जिला मुख्यालय से पंद्रह किलोमीटर दूर कोई ले गांव है. इस गांव का संबंध भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय से है. अब इस स्थान का सौंदर्यीकरण करा दिया गया है और घाट भी बन गए हैं.

कोई ले गांव मथुरा
कोई ले गांव मथुरा
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Published : Aug 11, 2020, 8:58 PM IST

मथुरा: जनपद मुख्यालय से पंद्रह किलोमीटर दूर कोई ले गांव स्थित है. इस गांव का संबंध द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय से है. भगवान श्रीकृष्ण से जुडी हुई मथुरा जनपद में कई पौराणिक कथाएं सुनने को मिलती हैं. इनमें से एक रिफाइनरी थाना क्षेत्र कोई ले गांव से भी संबंधित है.

जानकारी देते संवाददाता

इस गांव के पीछे की ये है कहानी
हिंदू मान्यता के अनुसार मथुरा के राजा कंस ने वासुदेव और देवकी को कारागार में डाल दिया था. जब देवकी की आठवीं संतान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तब घनघोर काली घटा छाई थी और आसमान से मूसलाधार बारिश होने लगी. उस समय जेल के सभी पहरेदार बेहोश हो गए. तब वासुदेव श्रीकृष्ण को बचाने के लिए उन्हें सूप में रखकर मथुरा से गोकुल की ओर जा रहे थे. तभी यमुना नदी का विकराल रूप देखकर वासुदेव घबरा गए. वासुदेव ने सोचा कि मेरा पुत्र यमुना में कहीं बह ना जाए इसलिए मेरे पुत्र को कोई ले, कोई ले, कोई आकर ले ले की पुकार की. अपने पिता को चिंतित देखकर श्रीकृष्ण ने अपने पैर सूप से बाहर लटका दिए. यमुना ने भगवान श्री कृष्ण के चरण स्पर्श कर लिए और अपना विकराल रूप शांत कर लिया. तब वासुदेव श्रीकृष्ण को लेकर यमुना नदी पार करके गोकुल चले गए. वासुदेव के पुकारने के बाद से इस गांव का नाम कोई ले गांव पड़ गया.

गांव का कराया गया है सौंदर्यीकरण

स्थानीय निवासी उधम सिंह ने बताया कि कोई ले गांव में यमुना नदी द्वापर युग से बहती आ रही है. इसी रास्ते से वासुदेव कृष्ण को लेकर निकले थे. अब इस स्थान का सौंदर्यीकरण करा दिया गया है और घाट भी बन गए हैं. उन्होंने बताया कि मंदिर में वासुदेव और कृष्ण की प्रतिमा भी लगी हुई है.

मथुरा: जनपद मुख्यालय से पंद्रह किलोमीटर दूर कोई ले गांव स्थित है. इस गांव का संबंध द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय से है. भगवान श्रीकृष्ण से जुडी हुई मथुरा जनपद में कई पौराणिक कथाएं सुनने को मिलती हैं. इनमें से एक रिफाइनरी थाना क्षेत्र कोई ले गांव से भी संबंधित है.

जानकारी देते संवाददाता

इस गांव के पीछे की ये है कहानी
हिंदू मान्यता के अनुसार मथुरा के राजा कंस ने वासुदेव और देवकी को कारागार में डाल दिया था. जब देवकी की आठवीं संतान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तब घनघोर काली घटा छाई थी और आसमान से मूसलाधार बारिश होने लगी. उस समय जेल के सभी पहरेदार बेहोश हो गए. तब वासुदेव श्रीकृष्ण को बचाने के लिए उन्हें सूप में रखकर मथुरा से गोकुल की ओर जा रहे थे. तभी यमुना नदी का विकराल रूप देखकर वासुदेव घबरा गए. वासुदेव ने सोचा कि मेरा पुत्र यमुना में कहीं बह ना जाए इसलिए मेरे पुत्र को कोई ले, कोई ले, कोई आकर ले ले की पुकार की. अपने पिता को चिंतित देखकर श्रीकृष्ण ने अपने पैर सूप से बाहर लटका दिए. यमुना ने भगवान श्री कृष्ण के चरण स्पर्श कर लिए और अपना विकराल रूप शांत कर लिया. तब वासुदेव श्रीकृष्ण को लेकर यमुना नदी पार करके गोकुल चले गए. वासुदेव के पुकारने के बाद से इस गांव का नाम कोई ले गांव पड़ गया.

गांव का कराया गया है सौंदर्यीकरण

स्थानीय निवासी उधम सिंह ने बताया कि कोई ले गांव में यमुना नदी द्वापर युग से बहती आ रही है. इसी रास्ते से वासुदेव कृष्ण को लेकर निकले थे. अब इस स्थान का सौंदर्यीकरण करा दिया गया है और घाट भी बन गए हैं. उन्होंने बताया कि मंदिर में वासुदेव और कृष्ण की प्रतिमा भी लगी हुई है.

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