ETV Bharat / state

इन पांच की याद में यहां बना है देश का पहला हाथी स्मारक सेंटर

यूपी के मथुरा के चुरमुरा गांव में देश का पहला हाथी स्मारक सेंटर बनाया गया है. वाइल्ड लाइफ एसओएस संस्था ने आठ नवंबर 2019 को ‘एलीफेंट मेमोरियल’ की शुरुआत की थी. यहां पर पांच हाथियों की मौत के बाद उनकी याद में पांच स्मारक बनाए गए हैं.

देश का पहला हाथी स्मारक सेंटर
देश का पहला हाथी स्मारक सेंटर
author img

By

Published : Nov 4, 2020, 6:14 PM IST

मथुरा: जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर फरह क्षेत्र के चुरमुरा गांव में देश का पहला एलीफेंट मेमोरियल सेंटर स्थापित है. देश ही नहीं विदेशों से सैकड़ों सैलानी इस एलीफेंट मेमोरियल सेंटर को देखने आते हैं. यह सेंटर उन हाथियों की याद में बनाया गया, जो रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद यहां लाए जाते हैं और इलाज के दौरान उनकी मौत हो जाती है. एलीफेंट मेमोरियल सेंटर वाइल्ड लाइफ एसओएस संस्था की देखरेख में चलाया जा रहा है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

देश का पहला हाथी स्मारक सेंटर
वाइल्ड लाइफ की एसओएस संस्था देश के कई स्थानों से प्रताड़ित हाथियों को उपचार के लिए यहां लाती है. वर्तमान में एलीफेंट केयर सेंटर में 25 हाथी मौजूद है. इसमें बीमार हाथियों का इलाज किया जाता है. इलाज के दौरान बीमार हाथियों की मौत हो जाती है, तो उन हाथियों की याद में एलीफेंट मेमोरियल सेंटर बनाया गया. यह देश का एकमात्र मेमोरियल सेंटर है.

एलीफेंट केयर सेंटर की शुरुआत 2010 में हुई थी
सबसे पहले आठ अप्रैल 2010 में चंपा नाम के बीमार हाथी को यहां लाया गया था. 18 महीने इलाज करने के बाद उस हाथी को डॉक्टर बचा नहीं सके और चम्पा हाथी की मौत हो गई. मृतक हाथी की याद में मेमोरियल सेंटर 8 नवंबर 2019 को बनाया गया. मेमोरियल सेंटर में चंपा, लाखी, मोहन, लूना और सीता पांच हाथियों के स्मारक है.

कोविड-19 की वजह से सैलानियों का प्रवेश वर्जित
देश का पहला एलीफेंट मेमोरियल सेंटर देखने के लिए हर रोज दर्जनों की संख्या में सैलानी आते थे, फिलहाल कोविड-19 की वजह से सैलानियों का प्रवेश वर्जित है.

एलीफेंट मेमोरियल सेंटर की देखरेख
एसओएस संस्था एलीफेंट मेमोरियल सेंटर की देखरेख करती है. वर्तमान में 100 कर्मचारी यहां कार्यरत है. एलीफेंट केयर सेंटर में 25 हाथी मौजूद हैं. समय-समय पर हाथियों को जंगल में घूमाने के लिए ले जाया जाता है.

बजट में आई कमी
देश और विदेश से सैलानी इस मेमोरियल सेंटर देखने के लिए आते थे और पंद्रह सौ रुपये डोनेट करते थे. इससे हाथियों के लिए खाने-पीने का सामान आ जाता था. फिलहाल कोविड की वजह से कोई भी सैलानी यहां घूमने नहीं आ रहा. इससे हाथियों के खाने-पीने का सामान लाने में परेशानी हो रही है.

25 हाथियों का हो रहा यहां इलाज

एसओएस संस्था के पदाधिकारी बैजू ने बताया कि एलीफेंट केयर सेंटर में देश का पहला एलीफेंट मेमोरियल सेंटर है. वर्तमान में 25 हाथियों का इलाज यहां हो रहा है. यहां आने वाले घायल हाथियों को डॉक्टर ठीक करने का प्रयास करते हैं. हालांकि, लेकिन इलाज के दौरान कुछ हाथियों की मौत हो जाती है. उन्हीं हाथियों की याद में मेमोरियल सेंटर बनाया गया है. सबसे पहले 2010 में बीमार हाथी चंपा को लाया गया था. 18 महीने इलाज करने के बाद भी उसकी मौत हो गई थी.

सबसे पहले बना चंपा का मेमोरियल
एसओएस संस्था के कर्मचारी नरेश कुमार ने बताया जिन हाथियों की इलाज के दौरान मौत हो जाती है. उनकी याद में मेमोरियल सेंटर बनाया गया है. वर्तमान में पांच मेमोरियल यहां बने हुए हैं. सबसे पहले 2010 में चंपा नाम के हाथी को इलाज के लिए लाया गया था. हालांकि इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी. सबसे पहले उसकी याद में मेमोरियल बनाया गया था.

मथुरा: जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर फरह क्षेत्र के चुरमुरा गांव में देश का पहला एलीफेंट मेमोरियल सेंटर स्थापित है. देश ही नहीं विदेशों से सैकड़ों सैलानी इस एलीफेंट मेमोरियल सेंटर को देखने आते हैं. यह सेंटर उन हाथियों की याद में बनाया गया, जो रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद यहां लाए जाते हैं और इलाज के दौरान उनकी मौत हो जाती है. एलीफेंट मेमोरियल सेंटर वाइल्ड लाइफ एसओएस संस्था की देखरेख में चलाया जा रहा है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

देश का पहला हाथी स्मारक सेंटर
वाइल्ड लाइफ की एसओएस संस्था देश के कई स्थानों से प्रताड़ित हाथियों को उपचार के लिए यहां लाती है. वर्तमान में एलीफेंट केयर सेंटर में 25 हाथी मौजूद है. इसमें बीमार हाथियों का इलाज किया जाता है. इलाज के दौरान बीमार हाथियों की मौत हो जाती है, तो उन हाथियों की याद में एलीफेंट मेमोरियल सेंटर बनाया गया. यह देश का एकमात्र मेमोरियल सेंटर है.

एलीफेंट केयर सेंटर की शुरुआत 2010 में हुई थी
सबसे पहले आठ अप्रैल 2010 में चंपा नाम के बीमार हाथी को यहां लाया गया था. 18 महीने इलाज करने के बाद उस हाथी को डॉक्टर बचा नहीं सके और चम्पा हाथी की मौत हो गई. मृतक हाथी की याद में मेमोरियल सेंटर 8 नवंबर 2019 को बनाया गया. मेमोरियल सेंटर में चंपा, लाखी, मोहन, लूना और सीता पांच हाथियों के स्मारक है.

कोविड-19 की वजह से सैलानियों का प्रवेश वर्जित
देश का पहला एलीफेंट मेमोरियल सेंटर देखने के लिए हर रोज दर्जनों की संख्या में सैलानी आते थे, फिलहाल कोविड-19 की वजह से सैलानियों का प्रवेश वर्जित है.

एलीफेंट मेमोरियल सेंटर की देखरेख
एसओएस संस्था एलीफेंट मेमोरियल सेंटर की देखरेख करती है. वर्तमान में 100 कर्मचारी यहां कार्यरत है. एलीफेंट केयर सेंटर में 25 हाथी मौजूद हैं. समय-समय पर हाथियों को जंगल में घूमाने के लिए ले जाया जाता है.

बजट में आई कमी
देश और विदेश से सैलानी इस मेमोरियल सेंटर देखने के लिए आते थे और पंद्रह सौ रुपये डोनेट करते थे. इससे हाथियों के लिए खाने-पीने का सामान आ जाता था. फिलहाल कोविड की वजह से कोई भी सैलानी यहां घूमने नहीं आ रहा. इससे हाथियों के खाने-पीने का सामान लाने में परेशानी हो रही है.

25 हाथियों का हो रहा यहां इलाज

एसओएस संस्था के पदाधिकारी बैजू ने बताया कि एलीफेंट केयर सेंटर में देश का पहला एलीफेंट मेमोरियल सेंटर है. वर्तमान में 25 हाथियों का इलाज यहां हो रहा है. यहां आने वाले घायल हाथियों को डॉक्टर ठीक करने का प्रयास करते हैं. हालांकि, लेकिन इलाज के दौरान कुछ हाथियों की मौत हो जाती है. उन्हीं हाथियों की याद में मेमोरियल सेंटर बनाया गया है. सबसे पहले 2010 में बीमार हाथी चंपा को लाया गया था. 18 महीने इलाज करने के बाद भी उसकी मौत हो गई थी.

सबसे पहले बना चंपा का मेमोरियल
एसओएस संस्था के कर्मचारी नरेश कुमार ने बताया जिन हाथियों की इलाज के दौरान मौत हो जाती है. उनकी याद में मेमोरियल सेंटर बनाया गया है. वर्तमान में पांच मेमोरियल यहां बने हुए हैं. सबसे पहले 2010 में चंपा नाम के हाथी को इलाज के लिए लाया गया था. हालांकि इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी. सबसे पहले उसकी याद में मेमोरियल बनाया गया था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.