मथुरा: आज से सात साल पहले जिले के जवाहरबाग में जो हुआ था, वह सोचकर भी आज भी लोगों के रूह कांप जाते हैं. सरकारी भूमि खाली कराते समय 2 जून 2016 को सत्याग्रहियों और पुलिसकर्मियों के बीच हिंसा हो गई थी. इस हिंसा में 2 पुलिस अधिकारियों समेत 29 लोगों की मौत हो गई थी. इस कांड के सात साल पूरे होने पर शहीद पुलिस वालों को श्रद्धांजलि दी गई.
बहुचर्चित जवाहर बाग कांड: 2 जून 2016 को मथुरा में एक सरकारी जमीन जिला उद्यान विभाग की खाली कराते समय कथित सत्याग्रहियों ने पुलिस प्रशासन के ऊपर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी. इस फायरिंग में तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और इंस्पेक्टर संतोष यादव शहीद हो गए थे. इस हत्याकांड में कुल 29 लोगों की मौत हुई थी. 2014 को स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह संगठन के रामवृक्ष यादव अपने साथियों के साथ सरकारी जमीन पर 2 दिन के लिए धरना प्रदर्शन की अनुमति मांगी थी. लेकिन सरकारी जमीन पर रामवृक्ष यादव ने धीरे-धीरे अवैध कब्जा कर लिया. सरकारी जमीन को खाली कराने के लिए जिला प्रशासन को बड़ी कवायद झेलनी पड़ी और बाद में हिंसक घटना घटित हुई.
सरकार ने कराया जवाहर बाग का सौंदर्यीकरण: मथुरा जिला उद्यान विभाग की 270 एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा कर कर बैठे कथित सत्याग्रहियों ने जवाहर बाग को उजाड़ कर रख दिया था. कब्जा मुक्त होने के बाद सरकारी जमीन फिर से हरी-भरी होने लगी है. योगी सरकार के नेतृत्व में जवाहर बाग का सौंदर्यीकरण कराने के लिए प्रदेश सरकार ने 16 करोड़ रुपये का बजट पास किया. जवाहर बाग परिसर में ओपन थिएटर, म्यूजिक सिस्टम, वृक्षारोपण, योगा आसन, बच्चों के लिए झूले ,स्विमिंग पूल के साथ वाकिंग ट्रेक भी बनाया गया है. जवाहर बाग का सौंदर्यीकरण होने के बाद आम नागरिकों के लिए खोल दिया गया है. पूरे परिसर में घूमने के लिए शुल्क निर्धारित किए गए हैं. पूरे परिसर में हरे-भरे पेड़ के साथ लहराती हुई फसलें और बाग भी बने हुए हैं. दोनों शहीद पुलिस अधिकारियों के नाम से नवग्रह वाटिका भी स्थापित की गई है.
जवाहर बाग हत्याकांड के 7 साल: सरकारी जमीन खाली कराते समय शहीद हुए 2 पुलिस अधिकारी तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और इंस्पेक्टर संतोष यादव शहीद हो गए थे. शुक्रवार को शहीद एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की पत्नी अपने परिवार के साथ उनकी एक तस्वीर लेकर जवाहर बाग पहुंची. यहां उन्होंने अपने शहीद पति और शहीद थाना अध्यक्ष संतोष यादव की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. उन्होंने कहा कि घटना को 7 वर्ष पूरे हो गए हैं. लेकिन जिला प्रशासन ने अभी तक शहीद के नाम से स्मारक स्थल नहीं बनवाया है. अगर जिला प्रशासन उन्हें अनुमति दे तो वह अपने पैसे से शहीद स्मारक स्थल बनवाना चाहती हैं.
जिला प्रशासन नहीं लगवा रहा शहीद की प्रतिमा: शहीद मुकुल द्विवेदी की पत्नी अर्चना द्विवेदी ने जिला प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर जवाहर बाग में शहीद की प्रतिमा क्यों नहीं लगाई जा रही है. जिला उद्यान विभाग द्वारा प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव अधिकारियों तक भेज चुका है. सरकारी जमीन खाली कराते समय 2 अधिकारियों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए. लेकिन मथुरा जिला प्रशासन शहीद की प्रतिमा का स्थान भी नहीं दे पा रही है.
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