मथुरा: नंद गांव के प्रसिद्ध बाबा मंदिर में गुरु पूर्णिमा से ही ठाकुर जी के हिंडोला दर्शन प्रारंभ हो जाते हैं. हालांकि इस वक्त कोरोना आपदा के चलते मंदिर तो श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह से बंद है. लेकिन मंदिर के अंदर ठाकुर जी की सेवाएं यथावत रूप से संचालित हो रही हैं. इसी क्रम में ठाकुरजी को सोने-चांदी से निर्मित हिंडोले में विराजमान कराकर पुजारियों ने बड़े ही श्रद्धा-भाव के साथ झूला झुलाया. मंदिर के सेवकों ने विधि-विधान के साथ ठाकुरजी श्री कृष्ण और बलराम की पूजा-अर्चना की गई.
गुरु पूर्णिमा से ही नंद गांव के प्रसिद्ध बाबा मंदिर में ठाकुरजी के हिंडोला दर्शन प्रारंभ हो जाते हैं. अपने आराध्य के दर्शन करने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचते हैं. फिलहाल कोरोना संक्रमण के चलते दर्शनार्थियों के लिए प्रमुख मंदिरों को बंद रखा गया है. लेकिन मंदिर के अंदर पुजारी और सेवायत विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर रहे हैं.
जानकारी देते हुए मंदिर के सेवायत सुशील गोस्वामी ने बताया कि गुरु पूर्णिमा के दिन से हमारे मंदिर में ठाकुर श्री कृष्ण बलराम को झूला झुलाने का उत्सव प्रारंभ हो गया है. हमारे यहां की परंपरा है कि गुरु पूर्णिमा से लेकर रक्षाबंधन तक प्रतिदिन ठाकुरजी श्री कृष्ण-बलराम सोने और चांदी से निर्मित इन हिंडोलो में झुलाया जाता है. यह ब्रज ही नहीं समूचे विश्व का एकमात्र मंदिर है, जहां पर कृष्ण-बलराम झूला झूलते हैं.
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उन्होंने कहा कि आपने ज्यादातर राधा-कृष्ण को साथ झूला-झूलते देखा होगा. लेकिन यह हमारे ब्रज में नंद बाबा का मंदिर है. यहां नंद बाबा के दोनों लाला कृष्ण और बलराम झूला झूलते हैं. इस समय कोरोना आपदा के चलते ब्रज के सभी प्रमुख मंदिर दर्शनार्थियों के लिए बंद है. लेकिन मंदिर के अंदर हमारी जो परंपरागत दैनिक ठाकुर जी की सेवा है वह निरंतर हो रही है. आज से झूला महोत्सव शुरू हो गया है, जो कि रक्षाबंधन तक चलेगा.
ब्रज में 7 बार 9 त्योहार वाली कहावत एक दम सटीक चरितार्थ होती है. यहां हर रोज ठाकुर जी के उत्सव तीज त्योहार मनाए जाते हैं. अब सावन मास के शुरू होते ही ठाकुर जी के झूला हिंडोला दर्शन प्रारंभ हो जाते हैं. नंद गांव के प्रसिद्ध बाबा मंदिर में गुरु पूर्णिमा से ही ठाकुरजी के हिंडोला दर्शन प्रारंभ हो जाते हैं. हालांकि इस वक्त कोरोना आपदा के चलते मंदिर तो श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह बंद है. मंदिर के अंदर ठाकुर जी की सभी सेवाएं यथावत रूप से संचालित हो रही हैं. उसी क्रम में ठाकुरजी को सोने चांदी से निर्मित हिंडोले में विराजमान कराकर बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ झूला झुलाए गया.