मथुरा : रंग भरनी एकादशी को लेकर देश के कोने-कोने से पहुंचे श्रद्धालुओं ने लाखों की संख्या में वृंदावन की पंचकोशी परिक्रमा की. रविवार से वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर जी के साथ होली खेलने के लिए देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं. आज से मथुरा के प्रत्येक मंदिर में पूर्णिमा तक होली का उत्सव मनाया जाएगा.
कान्हा की नगरी में टेसू के फूलों से निर्मित रंग-गुलाल उड़ाते हुए श्रद्धालुओं ने होली का आनंद लेते हुए पंचकोसी परिक्रमा लगाई. रंगभरी एकादशी की परिक्रमा का काफी पुराना महत्व है. भगवान श्री कृष्ण नंद गांव में थे. उस समय भगवान इंद्र की पूजा हुआ करती थी. भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र की पूजा का विरोध किया और कहा कि गोवर्धन पर्वत हमारे देवता है क्योंकि इनकी छांव में तलेटी में हमारे पशु-पक्षी और गायें चरती हैं, जिनसे हमें दूध आदि की प्राप्ति होती है. यही हमारा मुख्य व्यवसाय है. लोग इंद्र की पूजा छोड़कर गिरिराज पर्वत की पूजा करें.
उस समय भगवान श्री कृष्ण ने लोगों से गिरिराज पर्वत की पूजा कराई और पूजा संपन्न होने के बाद सभी ब्रज वासियों के साथ प्रेमपूर्वक गिरिराज महाराज की परिक्रमा लगाई. उसी समय से इस परिक्रमा का प्रचलन चल रहा है. उसी दिन से लाखों की संख्या में लोग रंगभरी एकादशी के दिन गोवर्धन वृंदावन की परिक्रमा लगाते हैं.