मथुराः जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों को आपराधिक प्रवृत्ति से दूर रखने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं. ताकि वह अपनी सजा काटने के बाद जेल से बाहर निकलकर मुख्यधारा से जुड़ कर एक बेहतर जीवन जी सकें और अपराध से दूर रहें. इसी कड़ी में जिला कारागार में बंदियों से विभिन्न प्रकार के वस्त्र बनवाए जा रहे हैं. जिसके लिए उन्हें उनकी मजदूरी भी दी जाती है.
भारत पताका संस्थान द्वारा जिला कारागार में एक यूनिट स्थापित की हुई है. जिसमें कई बंदी प्रशिक्षण लेकर धागे से लेकर विभिन्न प्रकार के वस्त्र बना रहे हैं. जेल से अपनी सजा काटने के बाद बाहर निकलने पर कैदी संस्था से जुड़कर आगे भी कार्य कर सकते हैं.
जानकारी देते हुए डिप्टी जेलर संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि भारत पताका संस्था द्वारा हथकरधा की यूनिट स्थापित की हुई है. जिसमें बंदियों को धागे से लेकर वस्त्र बनाने तक का प्रशिक्षण दिया जाता है. वर्तमान में बंदी वस्त्र बना रहे हैं. इस समय धोती और गमछा दो चीजें बनवा रहे हैं और इनका मोटिव यह है कि बंदियों को उनके काम की मजदूरी मिले.
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इसके साथ ही बंदी जब अपनी सजा काटकर कारागार से बाहर निकलें तो इनका बेहतर पुनर्वास हो सके. इसके लिए संस्था इनको एक ऑफर दे रही है कि अगर बाहर निकलने के बाद भी संस्था से जुड़कर काम करना चाहें तो संस्थाएं इन्हें धागे हैंडलूम फ्री में देगी. जिससे वस्त्र तैयार कर भारत पताका संस्था को दे दें. वह खरीद लेगी और इनकी मजदूरी दे देगी.
![कपड़ा बनाता कैदी.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-mat-01-know-howprisoners-areshowing-skills-injail-1byte-visual-10057_23102021113929_2310f_1634969369_116.jpg)
जिला कारागार मथुरा में विभिन्न अपराधों की सजा काट रहे बंदियों को अपराधिक प्रवृत्ति से दूर रखने के लिए कारागार प्रशासन समय-समय पर विभिन्न प्रयास कर रहा है. कभी बंदियों से कोरोना काल में मास्क, सैनिटाइजर, फेस शिल्ड इत्यादि चीजें बनवाई जाती है तो वहीं दिवाली के समय दिए, मोमबत्ती, लक्ष्मी गणेश भगवान की मूर्तियां इत्यादि चीजें बनवाई जाती है. जिससे कि वह अपराधिक प्रवृत्ति से दूर रह सके और कारागार से सजा काटने के बाद एक बेहतर जीवन जी सकें. उन्हें बाहर निकलने पर अपना रोजगार मिल सके.