ETV Bharat / state

धरातल पर दम तोड़ रही आयुष्मान भारत योजना

यूपी के मैनपुरी में गरीबों के लिए संजीवनी कही जाने वाली आयुष्मान भारत योजना धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही है. कार्ड धारकों का इलाज प्राइवेट अस्पताल नकद भुगतान के बाद ही इलाज करते हैं.

मैनपुरी से आयुष्मान भारत योजना की विशेष रिपोर्ट.
मैनपुरी से आयुष्मान भारत योजना की विशेष रिपोर्ट.
author img

By

Published : Dec 27, 2020, 7:11 PM IST

मैनपुरीः गरीबों के लिए संजीवनी कही जाने वाली आयुष्मान भारत योजना धरातल पर दम तोड़ती हुई नजर आ रही है. कार्ड धारकों का इलाज अस्पताल संचालक नकद भुगतान के बाद ही इलाज किया जाता है. ईटीवी भारत की टीम आयुष्मान योजना की पड़ताल मुख्यालय से सटे गांव में पहुंची. यहां गोल्डन कार्ड का नाम सुनते ही बुजुर्ग भड़क गया.

मैनपुरी से आयुष्मान भारत योजना की विशेष रिपोर्ट.
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत योजना का प्रारंभ 1 अप्रैल 2018 से हुआ था. सरकार का लक्ष्य था कि 10 करोड़ लोगों को इस योजना के तहत लाभ मिले. 2011 में सर्वे के आधार पर लाभार्थियों को इस योजना में जोड़ा गया, जिसमें कुछ लोगों के गोल्डन कार्ड जारी हो गए थे. कोविड-19 ने कुछ महीनों के लिए रोक लगा दी लेकिन मौजूदा वक्त में यह योजनाएं जोर शोर से फिर प्रारंभ हो गई हैं. प्रत्येक जिले में एक लक्ष्य दिया गया है जो सर्वे के आधार पर जितने भी परिवार चिन्हित किए गए थे उसमें शेष बचे हुए लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड जारी किए जाएं. 15 दिसंबर से 31 दिसंबर तक गांव-गांव जाकर स्वास्थ्य शिविर लगाकर गोल्डन कार्ड भी बनाए गए.

गोल्डन कार्ड देखते ही अस्पताल संचालक ने इलाज से मना किया
आयुष्मान योजना की हकीकत जानने के लिए ईटीवी की टीम जब नगला निरंजन के बाहर एक खोखे में बैठे बुजुर्ग से जब आयुष्मान भारत या गोल्डन कार्ड के बारे में जानना चाहा तो बुजुर्ग पहले तो भड़क गया. इसके बाद उसने बताया कि 2019 में गांव में डेंगू बुखार फैला था. बुजुर्ग ने बताया कि उसका बेटा भी डेंगू से पीड़ित था और जिला अस्पताल लेकर गए. जहां से डॉक्टरों ने बेटे को सैफई के लिए रेफर कर दिया. इसके बाद हमने बेटे को प्राइवेट अस्पताल के लिए रुख किया क्योंकि हमारे पास गोल्डन कार्ड था. बुजुर्ग ने बताया कि प्रावेट अस्पताल में गोल्डन कार्ड दिखाते ही अस्पताल संचालक भड़क गया और कहा कि आपके पास पैसा है तो इलाज कराइए नहीं तो इस कार्ड से इलाज नहीं होगा.

गोल्डन कार्ड को नहीं मानते अस्पताल संचालक
नगला निरंजन गांव के रामनरेश ने बताया कि मेरी पत्नी, बेटा और बेटी बीमार थे. आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तो आयुष्मान भारत के अंतर्गत गोल्डन कार्ड से इलाज कराने तीनों को शहर के एक निजी अस्पताल ले गए. अस्पताल में गोल्डन कार्ड दिखाया तो इलाज करने से साफ शब्दों में मना कर. रामनरेश ने बताया कि इसके बाद उसने रुपये जमा किए और अपने पत्नी बच्चों का इलाज करवाया.

भैंस बेचकर कर बेटे का कराया इलाज
गांव के ही सुरेश जोकि मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं उन्होंने बताया कि वह अपने बेटे के इलाज के लिए दो भैंसे बेच दी. सुरेश ने बताया कि उसके पास गोल्डन कार्ड था, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ. गांव में गोमती देवी या सुमन हो गांव के एक हिस्से में ईटीवी की टीम को 6 से 8 लोग के कार्ड तो मिले लेकिन इनको अपने इलाज के लिए या तो कर्ज लिया या इन्होंने पशुओं या जेवर बेच इलाज करवाया. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2011 में सर्वे के आधार पर जनपद मैनपुरी में एक लाख 10 हजार परिवारों को चिन्हित किया गया था अब तक 83500 कार्ड बने हैं, जिसमें 3070 लोग इस योजना के तहत निशुल्क इलाज भी करा चुके हैं.

मैनपुरीः गरीबों के लिए संजीवनी कही जाने वाली आयुष्मान भारत योजना धरातल पर दम तोड़ती हुई नजर आ रही है. कार्ड धारकों का इलाज अस्पताल संचालक नकद भुगतान के बाद ही इलाज किया जाता है. ईटीवी भारत की टीम आयुष्मान योजना की पड़ताल मुख्यालय से सटे गांव में पहुंची. यहां गोल्डन कार्ड का नाम सुनते ही बुजुर्ग भड़क गया.

मैनपुरी से आयुष्मान भारत योजना की विशेष रिपोर्ट.
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत योजना का प्रारंभ 1 अप्रैल 2018 से हुआ था. सरकार का लक्ष्य था कि 10 करोड़ लोगों को इस योजना के तहत लाभ मिले. 2011 में सर्वे के आधार पर लाभार्थियों को इस योजना में जोड़ा गया, जिसमें कुछ लोगों के गोल्डन कार्ड जारी हो गए थे. कोविड-19 ने कुछ महीनों के लिए रोक लगा दी लेकिन मौजूदा वक्त में यह योजनाएं जोर शोर से फिर प्रारंभ हो गई हैं. प्रत्येक जिले में एक लक्ष्य दिया गया है जो सर्वे के आधार पर जितने भी परिवार चिन्हित किए गए थे उसमें शेष बचे हुए लाभार्थियों के गोल्डन कार्ड जारी किए जाएं. 15 दिसंबर से 31 दिसंबर तक गांव-गांव जाकर स्वास्थ्य शिविर लगाकर गोल्डन कार्ड भी बनाए गए.

गोल्डन कार्ड देखते ही अस्पताल संचालक ने इलाज से मना किया
आयुष्मान योजना की हकीकत जानने के लिए ईटीवी की टीम जब नगला निरंजन के बाहर एक खोखे में बैठे बुजुर्ग से जब आयुष्मान भारत या गोल्डन कार्ड के बारे में जानना चाहा तो बुजुर्ग पहले तो भड़क गया. इसके बाद उसने बताया कि 2019 में गांव में डेंगू बुखार फैला था. बुजुर्ग ने बताया कि उसका बेटा भी डेंगू से पीड़ित था और जिला अस्पताल लेकर गए. जहां से डॉक्टरों ने बेटे को सैफई के लिए रेफर कर दिया. इसके बाद हमने बेटे को प्राइवेट अस्पताल के लिए रुख किया क्योंकि हमारे पास गोल्डन कार्ड था. बुजुर्ग ने बताया कि प्रावेट अस्पताल में गोल्डन कार्ड दिखाते ही अस्पताल संचालक भड़क गया और कहा कि आपके पास पैसा है तो इलाज कराइए नहीं तो इस कार्ड से इलाज नहीं होगा.

गोल्डन कार्ड को नहीं मानते अस्पताल संचालक
नगला निरंजन गांव के रामनरेश ने बताया कि मेरी पत्नी, बेटा और बेटी बीमार थे. आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी तो आयुष्मान भारत के अंतर्गत गोल्डन कार्ड से इलाज कराने तीनों को शहर के एक निजी अस्पताल ले गए. अस्पताल में गोल्डन कार्ड दिखाया तो इलाज करने से साफ शब्दों में मना कर. रामनरेश ने बताया कि इसके बाद उसने रुपये जमा किए और अपने पत्नी बच्चों का इलाज करवाया.

भैंस बेचकर कर बेटे का कराया इलाज
गांव के ही सुरेश जोकि मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं उन्होंने बताया कि वह अपने बेटे के इलाज के लिए दो भैंसे बेच दी. सुरेश ने बताया कि उसके पास गोल्डन कार्ड था, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ. गांव में गोमती देवी या सुमन हो गांव के एक हिस्से में ईटीवी की टीम को 6 से 8 लोग के कार्ड तो मिले लेकिन इनको अपने इलाज के लिए या तो कर्ज लिया या इन्होंने पशुओं या जेवर बेच इलाज करवाया. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2011 में सर्वे के आधार पर जनपद मैनपुरी में एक लाख 10 हजार परिवारों को चिन्हित किया गया था अब तक 83500 कार्ड बने हैं, जिसमें 3070 लोग इस योजना के तहत निशुल्क इलाज भी करा चुके हैं.

For All Latest Updates

TAGGED:

up_mainpuri
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.