मैनपुरीः पंचायत चुनाव 2021 सिर पर है, बहुत जल्द ही इसकी रणभेरी भी बजने वाली है. जिसको लेकर प्रतिनिधियों ने अभी से अपनी राजनीतिक पकड़ बनानी शुरू कर दी है. वे ग्राम पंचायतों में जाकर अपनी जमीन मजबूत करने में जुटे हैं. लेकिन बात जिले के ब्लॉक सुल्तानगंज के पुसैना ग्राम पंचायत की करें, तो यहां की हालत देख आप अंदाजा लगा लेंगे कि विकास की क्या स्थिति है.
खस्ताहाल ग्राम पंचायत पुसैना
यहां 5 साल के कार्यकाल में प्रधान ने गलियों के पानी के निकासी की व्यवस्था नहीं की. जिससे आये दिन स्कूल जाने वाले बच्चे से लेकर राहगीर तक इसमें गिरते रहते हैं. पंचायत घर की बात करें, तो वो भी जर्जर ही है. यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रधान ने सरकार की योजनाओं का भी लाभ केवल अपने ही लोगों को दिया है.
दो गांवों से मिलकर बना पंचायत चुनाव
मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत पुसैना दो गांवों से मिलकर बना है. यहां की आबादी पांच हजार है, जिसमें 18 सौ वोटर हैं. इसके पास से ईशन नदीं बहती है. लेकिन ग्राम पंचायत काफी ऊंचाई पर है, जिसकी वजह से यहां कभी भी नदी का पानी नहीं पहुंचा है. यहां की ज्यादातर आबादी मजदूरी पर निर्भर है. अधिकतर शराब की बुरी लत की वजह से इस गांव के पुरुषों की मौत हो चुकी है. ग्राम पंचायत में सर्वाधिक लोधी समाज का वोट है. 2015 में एससी सीट हुई थी और रजनीश दिवाकर गांव के प्रधान थे. गांव की हालत देख आप इनकी विकासगाथा को आसानी से समझ सकते हैं. जब हमारी ईटीवी भारत की टीम ने इसकी ग्राउंड रिपोर्ट यहां के लोगों से पूछा. तो खामियां छोड़कर कहीं भी विकास की बात नहीं नज़र आयी.