महोबा: जिले में प्रशासन की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. जहां लोगों को सरकारी दस्तावेज में मृत घोषित कर उनकी सभी सरकारी सहायता बंद कर दी गई. जिसके बाद अब वे लोग अपने सबूत लिए सरकारी चौखट पर खुद के जिंदा होने की बात कहकर गुहार लगा रहे हैं.
जानें पूरा मामला
- मामला कबरई विकासखंड के शाहपहाड़ी गांव का है.
- 60 वर्षीय महिला बिंदीबाई अपने नाती के साथ रहती है.
- वृद्ध को सरकार द्वारा पेंशन मिलती रही, जिससे उसका गुजारा होता था.
- कुछ वर्ष पूर्व से उसे सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया.
जगदीश को भी किया मृत घोषित
इसी प्रकार पनवाड़ी ब्लाक के लुहार गांव निवासी जगदीश को भी सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया. इससे जगदीश को मिलने वाली सरकारी सुविधाएं बंद हो गई. यह तो मात्र एक बानगी है, न जाने कितने लोग ऐसे हैं जो कागजों में मृत घोषित कर दिए जाते हैं. कोई भी सरकारी नुमाइंदा गांव या किसी के घर जा कर यह तहकीकात नहीं करता कि व्यक्ति जिंदा है या मर चुका है.
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बिंदीबाई ने कहा 'अब हम किसके सहारे रहें'
मृत घोषित हो चुकी महिला बिंदीबाई ने बताया कि हमें मुर्दा घोषित कर दिया गया. इसलिए हमारी पेंशन बंद हो गई है. अब हम किसके सहारे रहें, क्या खाएं. हमें न तो सरकारी आवास मिले न ही कोई सरकारी सुविधा.
दस्तावेजों में मृतक को दोबारा किया मृत घोषित
मृत घोषित हो चुके जगदीश के परिजन बताते हैं कि हमें समाज कल्याण विभाग से जानकारी मिली कि तुम्हारे दादा जी मृत घोषित कर दिए गए हैं.
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समाज कल्याण विभाग अधिकारी ने दी जानकारी
समाज कल्याण विभाग के अधिकारी यशपाल सिंह ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार प्रतिवर्ष सत्यापन कराया जाता है. ग्रामीण क्षेत्र में वीडीओ स्तर और शहरी क्षेत्र में एसडीएम स्तर से हमारे यहां जो सत्यापन आता है. हम उसी के अनुसार कार्य करते हैं. लुहारगांव के प्रकरण में वीडीओ की जो आख्या आई है, उसमें जगदीश को मृत घोषित किया गया है.