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...जब जिंदा लोगों को मिली अपनी मौत की खबर, गुहार लगाने पहुंचे सरकारी चौखट पर - सरकारी दस्तावेजों में जीवित लोगों को दिखाया मृत

उत्तर प्रदेश के महोबा में प्रशासन ने सरकारी दस्तावेज में कई लोगों को मृत घोषित कर दिया. लोगों का आरोप है कि दस्तावेजों में खिलवाड़ के साथ ही उनकी सरकारी सेवाएं भी बंद कर दी गईं.

दस्तावेजों में जीवित लोगों को दिखाया मृत.
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Published : Oct 11, 2019, 9:24 PM IST

Updated : Oct 12, 2019, 10:33 AM IST

महोबा: जिले में प्रशासन की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. जहां लोगों को सरकारी दस्तावेज में मृत घोषित कर उनकी सभी सरकारी सहायता बंद कर दी गई. जिसके बाद अब वे लोग अपने सबूत लिए सरकारी चौखट पर खुद के जिंदा होने की बात कहकर गुहार लगा रहे हैं.

दस्तावेजों में जीवित लोगों को दिखाया मृत.

जानें पूरा मामला

  • मामला कबरई विकासखंड के शाहपहाड़ी गांव का है.
  • 60 वर्षीय महिला बिंदीबाई अपने नाती के साथ रहती है.
  • वृद्ध को सरकार द्वारा पेंशन मिलती रही, जिससे उसका गुजारा होता था.
  • कुछ वर्ष पूर्व से उसे सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया.

जगदीश को भी किया मृत घोषित
इसी प्रकार पनवाड़ी ब्लाक के लुहार गांव निवासी जगदीश को भी सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया. इससे जगदीश को मिलने वाली सरकारी सुविधाएं बंद हो गई. यह तो मात्र एक बानगी है, न जाने कितने लोग ऐसे हैं जो कागजों में मृत घोषित कर दिए जाते हैं. कोई भी सरकारी नुमाइंदा गांव या किसी के घर जा कर यह तहकीकात नहीं करता कि व्यक्ति जिंदा है या मर चुका है.

इसे भी पढ़ें- परियोजना निदेशक के सरकारी आवास पर चोरों ने बोला धावा

बिंदीबाई ने कहा 'अब हम किसके सहारे रहें'
मृत घोषित हो चुकी महिला बिंदीबाई ने बताया कि हमें मुर्दा घोषित कर दिया गया. इसलिए हमारी पेंशन बंद हो गई है. अब हम किसके सहारे रहें, क्या खाएं. हमें न तो सरकारी आवास मिले न ही कोई सरकारी सुविधा.

दस्तावेजों में मृतक को दोबारा किया मृत घोषित
मृत घोषित हो चुके जगदीश के परिजन बताते हैं कि हमें समाज कल्याण विभाग से जानकारी मिली कि तुम्हारे दादा जी मृत घोषित कर दिए गए हैं.

इसे भी पढ़ें- नोडल अधिकारी ने की समीक्षा बैठक, कहा-पात्रों को पहुंचे सरकारी लाभ

समाज कल्याण विभाग अधिकारी ने दी जानकारी
समाज कल्याण विभाग के अधिकारी यशपाल सिंह ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार प्रतिवर्ष सत्यापन कराया जाता है. ग्रामीण क्षेत्र में वीडीओ स्तर और शहरी क्षेत्र में एसडीएम स्तर से हमारे यहां जो सत्यापन आता है. हम उसी के अनुसार कार्य करते हैं. लुहारगांव के प्रकरण में वीडीओ की जो आख्या आई है, उसमें जगदीश को मृत घोषित किया गया है.

महोबा: जिले में प्रशासन की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है. जहां लोगों को सरकारी दस्तावेज में मृत घोषित कर उनकी सभी सरकारी सहायता बंद कर दी गई. जिसके बाद अब वे लोग अपने सबूत लिए सरकारी चौखट पर खुद के जिंदा होने की बात कहकर गुहार लगा रहे हैं.

दस्तावेजों में जीवित लोगों को दिखाया मृत.

जानें पूरा मामला

  • मामला कबरई विकासखंड के शाहपहाड़ी गांव का है.
  • 60 वर्षीय महिला बिंदीबाई अपने नाती के साथ रहती है.
  • वृद्ध को सरकार द्वारा पेंशन मिलती रही, जिससे उसका गुजारा होता था.
  • कुछ वर्ष पूर्व से उसे सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया.

जगदीश को भी किया मृत घोषित
इसी प्रकार पनवाड़ी ब्लाक के लुहार गांव निवासी जगदीश को भी सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया. इससे जगदीश को मिलने वाली सरकारी सुविधाएं बंद हो गई. यह तो मात्र एक बानगी है, न जाने कितने लोग ऐसे हैं जो कागजों में मृत घोषित कर दिए जाते हैं. कोई भी सरकारी नुमाइंदा गांव या किसी के घर जा कर यह तहकीकात नहीं करता कि व्यक्ति जिंदा है या मर चुका है.

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बिंदीबाई ने कहा 'अब हम किसके सहारे रहें'
मृत घोषित हो चुकी महिला बिंदीबाई ने बताया कि हमें मुर्दा घोषित कर दिया गया. इसलिए हमारी पेंशन बंद हो गई है. अब हम किसके सहारे रहें, क्या खाएं. हमें न तो सरकारी आवास मिले न ही कोई सरकारी सुविधा.

दस्तावेजों में मृतक को दोबारा किया मृत घोषित
मृत घोषित हो चुके जगदीश के परिजन बताते हैं कि हमें समाज कल्याण विभाग से जानकारी मिली कि तुम्हारे दादा जी मृत घोषित कर दिए गए हैं.

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समाज कल्याण विभाग अधिकारी ने दी जानकारी
समाज कल्याण विभाग के अधिकारी यशपाल सिंह ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार प्रतिवर्ष सत्यापन कराया जाता है. ग्रामीण क्षेत्र में वीडीओ स्तर और शहरी क्षेत्र में एसडीएम स्तर से हमारे यहां जो सत्यापन आता है. हम उसी के अनुसार कार्य करते हैं. लुहारगांव के प्रकरण में वीडीओ की जो आख्या आई है, उसमें जगदीश को मृत घोषित किया गया है.

Intro:एंकर- सरकारी सिस्टम का भी अपना अनोखा फंडा होता है। जिसे चाहे मृत घोषित कर दें जिसे चाहे जिंदा कर दें। इसीलिए तो मुर्दा बोलता है। जी हां ऐसा ही कुछ मामला बुंदेलखंड के महोबा जिले में देखने को मिला जहां लोगों को सरकारी दस्तावेज में मृत घोषित कर उसकी सभी सरकारी सहायता बंद कर दी गई। अब वह लोग अपने सबूत लिए सरकारी चौखट पर जिंदा होने की गुहार लगा रहे है।


Body: मामला कबरई विकासखंड के शाहपहाड़ी गांव का है। जहां की रहने वाली 60 वर्षीय महिला बिंदीबाई पत्नी स्वर्गीय किशोरी लाल अपने छोटे नाती के साथ रहती है। वृद्ध महिला को सरकार द्वारा पेंशन मिलती रही जिससे उसका गुजारा होता रहा लेकिन बीते कुछ वर्ष पूर्व से उसे सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया। इसी प्रकार पनवाड़ी ब्लाक के लुहार गांव निवासी जगदीश को भी सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया गया।जिससे उसे मिलने वाली सरकारी सुविधाएं बंद हो गई यह तो मात्र एक बानगी है न जाने कितने लोग ऐसे हैं जो कागजों में मृत घोषित कर दिए जाते हैं। लेकिन हकीकत में जिंदा होते हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर यह सब होता है क्यों है। इसकी वजह साफ है सरकारी सिस्टम की जंग कोई भी सरकारी नुमाइंदा गांव या किसी के घर जा कर यह तहकीकात नहीं करता कि व्यक्ति जिंदा है या मर चुका है। सूत्रों की मानें तो हर सरकारी नुमन्दों का गांव में एक प्राइवेट व्यक्ति होता है। उसे फोन करके सत्यापन कर लिया जाता है। और उसने जो कह दिया वही सच इसी लिए जिंदा व्यक्ति मर्दा घोषित हो जाते हैं।

मृत घोषित हो चुकी महिला बिंदीबाई ने बताया कि हमें मुर्दा घोषित कर दिया गया। इसलिए हमारी पेंशन बंद हो गई है। अब हम किसके सहारे रहे क्या खाएं हमारे नाती हैं। हम उनके साथ रहते हैं वह भी मजदूरी करते हैं हमें ना तो सरकारी आवास मिले ना ही कोई सरकारी सुविधा।
बाइट- बिंदीबाई (मृत धोषित महिला)

मृत धोषित हो चुके जगदीश के परिजन बताते है कि हमे समाज कल्याण विभाग से जानकारी मिली कि तुम्हारे दादा जी मृत धोषित कर दिए गए है।
बाइट- नीरज (परिजन)


Conclusion:समाज कल्याण विभाग के अधिकारी यशपाल सिंह ने बताया शासन के निर्देशों के अनुसार प्रतिवर्ष सत्यापन कराया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में वी डी ओ स्तर से और शहरी क्षेत्र में एसडीएम स्तर से हमारे यहां जो सत्यापन आता है। हम उसी के अनुसार कार्य करते है।लुहारगांव के प्रकरण में वी डी ओ की जो आख्या आई है। जिसमे जगदीश मृत धोषित किया गया है।
बाइट- यशपाल सिंह (समाज कल्याण अधिकारी महोबा)

सरकार हर गरीब वृद्ध पेंशन जैसी योजनाएं देकर उनको मदद देती है। लेकिन सरकार से मोटी मोटी तनख्वाह पाने वाले अपने कर्तव्यों की जिम्मेदारी पूरी से निर्वहन नहीं करते एक जगह बैठ कर की सत्यापन कर दिया जाता है। आखिर क्यों ऐसे अनेकों सवाल सरकारी सिस्टम की जंग की ओर इशारा करते हैं। कि कब इस सिस्टम की जंग दूर होती है। और सरकारी दस्तावेजों में सही आकलन आएगा।

तेज प्रताप सिंह
महोबा यूपी
09889466159
06306038548
Last Updated : Oct 12, 2019, 10:33 AM IST

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