महोबा: जिले में बीते माह सड़क किनारे बीमार पड़े अज्ञात व्यक्ति को 108 एम्बुलेंस की मदद से इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. फिर यहां शुरू हुआ स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही का सिलसिला जो लगभग 25 दिन बीतने के बाद भी जारी है. लावारिस शव बीते 12 नवंबर से जिला अस्पताल के शवगृह के फ्रीजर में पड़ा है. पुलिस लावारिश शव की शिनाख्त कराने में तो विफल रही ही साथ ही शव का पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार तक नहीं किया गया.
अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की हद तो तब हो गई जब उन्हें यह तक याद नहीं रहा कि उनके हॉस्पिटल में इलाज के दौरान एक लावारिस व्यक्ति की मौत हो गई और उसका शव 25 दिनों से अस्पताल के शव गृह के फ्रीजर में पड़ा रहा. पुलिस और अस्पताल प्रशासन शव का पोस्टमार्टम करा कर उसका अंतिम संस्कार तक कराना भूल गए. जब पोल खुली तो दोनों पक्ष अपना बचाव करने में जुट गए और एक दूसरे पर आरोप मढ़ने लगे.
क्यों नहीं किया गया अंतिम संस्कार
जिला अस्पताल प्रशासन ने पुलिस के ऊपर तोहमत लगाते हुए कहा कि लावारिस व्यक्ति के मृत्यु के बाद ही पुलिस को सूचना दी गई थी. फिलहाल पोल खुलने पर शव का पंचानामा कराया गया है. जल्ह ही शव का पोस्टमार्टम भी किया जाएगा. लेकिन सवाल यह उठता है कि जब अज्ञात व्यक्ति के शव का अंतिम संस्कार 72 घंटे के बाद पुलिस प्रशासन द्वारा कराना अनिवार्य है तो 25 दिन से भी ज्यादा दिन बीतने के बाद इस अज्ञात व्यक्ति के शव का अंतिम संस्कार क्यों नहीं कराया गया. क्या इस लापरवाही को लेकर कोई कार्रवाई की जाएगी.
क्या कहता है नियम
72 घंटे तक शिनाख्त न होने पर शव का अंतिम संस्कार करना जरुरी होता है. लेकिन महोबा के इस मामले में ऐसा नहीं किया गया.
ये है शिनाख्त की प्रक्रिया
अज्ञात शव मिलने पर पुलिस शव को कब्जे में लेकर मोर्चरी में रखवा देती है. 48 घंटे तक उसकी पहचान का प्रयास किया जाता है. थाने से शव के फोटो और हुलिया पर्चों पर गुमशुदा की तलाश लिखवाकर समस्त थानों में भिजवा देते हैं. थाने में लगे सूचना बोर्ड पर यह पर्चे चस्पा किये जाते हैं. हर थाने पर ऐसे सैकड़ों पर्चे चिपके रहते हैं. दो साल से इस प्रक्रिया को हाईटेक किया गया. इसके तहत नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के माध्यम से जिपनेट पर अज्ञात शव की फोटो डाउनलोड कर दूसरे जिलों और प्रदेशों में भी प्रसारित की जाती है.
मोर्चरी में होनी चाहिए उचित व्यवस्था
मोर्चरी में शवों को रखने की उचित व्यवस्था होनी चाहिए. जिले भर से आने वाले शवों को एक कमरे में रख दिया जाता है. लावारिस शव नियम की आड़ में 72 घंटे तक रखे रहते हैं. शवों को रखने के लिए विशेष कमरा और फ्रीजर या ऐसी व्यवस्था होनी जरूरी है, जिससे शवों की हालत खराब न हो सके.
लापरवाही की कहानी जिम्मेदारों की जुबानी
अज्ञात व्यक्ति को जिला अस्पताल में भर्ती कराने वाले 108 एंबुलेंस के ईएमटी निर्मल कुमार ने बताया कि "हमे 108 इमरजेंसी से कॉल आई थी कि परमानंद चौराहे पर एक व्यक्ति बेहोशी हालत में पड़ा हुआ है मैं एंबुलेंस लेकर चौराहे पर पहुंच गया और कोतवाली पुलिस को सूचना दी कि अज्ञात व्यक्ति है . इसके बाद हमने कॉलर ओमप्रकाश को साथ लेकर व्यक्ति को जिला अस्पताल में भर्ती कराया. अस्पताल से भी पुलिस को सूचना भेजी गई थी, लेकिन शाम को जानकारी हुई कि उस व्यक्ति की मौत हो गई."
जिला अस्पताल सीएमएस डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि "12 नवंबर को अज्ञात व्यक्ति की मौत हो गई थी. इस संबंध में कोतवाली पुलिस को जानकारी दी गई थी. पुलिस ने पोस्टमार्टम करा कर अंतिम संस्कार की कार्रवाई नहीं की . मृतक का शव आज भी हमारी मोर्चरी के डीफ्रीजर में रखी हुई है. शह शव करीब 25 दिनों से यहां रखा हुआ है. अब पुलिस ही बताएगी की क्या कार्रवाई की गई है. पुलिस को दोबारा अस्पताल से सूचना भेजी गई है."