महोबा: जिले के बहुचर्चित कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत का शुक्रवार देर रात को एडीजी प्रयागराज जोन द्वारा खुलासा किया गया. पुलिस का खुलासा आत्महत्या की तरफ इशारा कर रहा है, लेकिन पुलिस ने उनकी आत्महत्या को साफ नहीं किया. ऐसे में उनकी आत्महत्या को स्पष्ट न करना पुलिस की थ्योरी में ही सवाल खड़े कर रहा है. हत्या और खुदकुशी के बीच पुलिसिया जांच अटक गई है. खुलासे पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
एडीजी प्रेम प्रकाश ने बताया कि अभी तक की जांच में स्पष्ट हुआ है कि गोली कार के भीतर ही चली. ड्राइविंग सीट में गोली धंसी हुई मिली, जिसका मिलान फॉरेंसिक जांच में इंद्रकांत की लाइसेंसी पिस्टल से हुआ है. गोली गले से सटाकर सामने से मारी गई है. पुलिस के ये तथ्य खुदकुशी की तरफ इशारा कर रहे है, लेकिन एडीजी ने स्पष्ट नहीं किया कि इंद्रकांत को गोली मारी गई या खुद उन्होंने गोली मारकर खुदकुशी की.
इस वजह से पुलिस की मंशा पर सवाल खड़े होने लगे हैं. पुलिस ने 17 दिन बाद मौत का खुलासा का दावा कर प्रेसवार्ता तो की, लेकिन हत्याकांड का पर्दाफाश नहीं हो सका. सवाल जस के तस बने हैं. प्रेसवार्ता भी ऐसी की पहले टाइमिंग 2 बजे दिन में फिर मीडिया के पहुंचने के बाद 3 बजे, फिर से शाम 7 बजे प्रेसवार्ता का टाइम देकर देर रात प्रेसवार्ता करना पुलिस की कार्यशैली पर गम्भीर सवाल खड़े कर रहा है.
पिस्टल घर देने की बात उलझाऊ
पुलिस के मुताबिक इंद्रकांत की लाइसेंसी पिस्टल से गोली चली और उनकी गर्दन पर लगी. अगर ऐसा है तो पिस्टल कार से ही बरामद होनी चाहिए थी. ये सवाल शुरू से ही बना हुआ था. एसआईटी ने बाद में इंद्रकांत के घर से पिस्टल को बरामद किया. एडीजी का दावा है कि वारदात के बाद वहां पहुंचे इंद्रकांत के पार्टनर बल्लू के भाई ने पिस्टल उठाकर उनके घर पर दे दी थी. ये बात गले नहीं उतर रही है.
किसी बड़ी सादिश के होने का संदेह
सवाल है कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया? पुलिस का कहना है कि बल्लू के भाई की जांच में कोई भूमिका अभी तक सामने नहीं आई है. हालांकि पूरे मामले में तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार के साथ तत्कालीन डीएम अवधेश कुमार तिवारी, एसडीएम सदर राजेश यादव सहित तत्कालीन थानाध्यक्ष कबरई देवेन्द्र शुक्ला पर भी मृतक कारोबारी इन्द्रकांत त्रिपाठी ने वीडियो वायरल कर भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप लगाकर एसपी मणिलाल पाटीदार से अपनी जान का खतरा बताया था. ऐसे में पुलिस द्वारा मामले का पूरी तरह खुलासा न कर बाकी बचे आरोपियों को अभयदान देना किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा कर रहा है.
गोली लगने की दो अलग-अलग रिपोर्ट
इंद्रकांत की मौत कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में इलाज के दौरान 13 सितंबर को हुई थी. पैनल से उसी रात कानपुर जिला अस्पताल में शव का पोस्टमार्टम हुआ था, तब कानपुर पुलिस के अफसरों ने बताया कि इंद्रकांत के गले पर पीछे से असलहा सटाकर गोली मारी गई है. फॉरेंसिक रिपोर्ट में गोली गले पर आगे से मारे जाने की पुष्टि हुई है. अब सवाल है कि एक ही घटना में दो अलग-अलग रिपोर्ट कैसे आ गईं. इस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. हालांकि एडीजी प्रेम प्रकाश का कहना है कि वैज्ञानिक परीक्षण में गोली सामने से लगने की पुष्टि है. इस हत्याकांड में बड़ा सवाल यह उठता है कि एक आईपीएस अधिकारी पर दर्ज हुए मामले की जांच सीओ सदर कर रहे हैं.