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ढाई साल से सजा काट रहा था युगांडा का नागरिक, जुर्माना भरने का बाद हुई रिहाई

यूपी के महराजगंज में ढाई साल पहले गिरफ्तार हुए युगांडा के कैदी को सेबेन्या बेन कोर्ट के आदेश पर जिला कारागार से रिहा कर दिया गया. बता दें कि वह फर्जी पासपोर्ट के मामले में गिरफ्तार हुआ था.

युगांडा का नागरिक
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Published : Apr 10, 2021, 9:24 PM IST

महराजगंज: भारत-नेपाल के सोनौली सीमा से फर्जी पासपोर्ट के मामले में ढाई साल पहले गिरफ्तार हुआ युगांडा का कैदी सेबेन्या बेन कोर्ट के आदेश पर जिला कारागार से रिहा कर दिया गया. हालांकि उसकी रिहाई के पीछे जेल प्रशासन की इंसानियत, कैदी का नेक आचरण और मेहनत भी शामिल है. खास बात यह है कि कोर्ट ने युगांडा के कैदी पर 3000 रुपये का अर्थदंड भी लगाया था. अर्थदंड की यह धनराशि सेबेन्या बेन ने जेल के अंदर मजदूरी करके जुटाई थी. इसके बाद कोर्ट के आदेश के मुताबिक सभी न्यायिक प्रक्रिया का पालन करते हुए उसको जेल से रिहा कर दिया गया. सेबेन्या बेन के पास वीजा और पासपोर्ट नहीं है इसीलिए उसे लेकर महराजगंज पुलिस दिल्ली रवाना हो गई. वहां उसे युगांडा के दूतावास में सुपुर्द किया जाएगा.

युगांडा का नागरिक

14 विदेशी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर भेजा गया था जेल
युगांडा का कैदी सेबेन्या बेन को सोनौली में 14 नवंबर 2018 को गिरफ्तार किया गया था. वह दिल्ली से नेपाल जाने के लिए सोनौली बार्डर पर पहुंचा था. नेपाल जाने के लिए उसने अपना पासपोर्ट सोनौली के इमीग्रेशन ऑफिस में क्लीयरेंस के लिए दिया. पासपोर्ट और वीजा की जांच में यह पता चला कि वह पासपोर्ट सेबेन्या बेन का नहीं है बल्कि फर्जी था. जिसके बाद उस पर 14 विदेशी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया. वह जेल में विक्षिप्त जैसा व्यवहार करने लगा. इस पर जेल प्रशासन ने उसका मानसिक चिकित्सालय वाराणसी में दो बार उपचार भी कराया.

अर्थदंड देने के बाद कैदी रिहा
जेलर ने पहल करते हुए 24 घंटे उसे अच्छे कैदियों के बीच रखा. जेल के अस्पताल में ही जेलर ने उसे बागवानी के काम पर लगाया, उसकी काउंसलिंग की. धीरे-धीरे उसका व्यवहार और आचरण सही हुआ. जिसके बाद जेलर ने उसके अच्छे आचरण के बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत भी कराया. जेलर ने बताया कि सीजीएम कोर्ट ने सबूतों के आधार पर युगांडा के कैदी की रिहाई का आदेश दिया और 3000 रुपये अर्थदंड भी लगाया. इसको भरने के लिए सेबेन्या बेन द्वारा जेल में मेहनत की कमाई का इस्तेमाल किया गया. अर्थदंड देने के बाद उसे रिहा कर दिया गया.

जेलर अरविंद श्रीवास्तव ने बताया कि युगांडा के नागरिक के पास पासपोर्ट वीजा नहीं है इसलिए उसे पुलिस की सुरक्षा में दिल्ली स्थित युगांडा दूतावास पर भेजा जा रहा है. शनिवार को जेल से रिहा होकर युगांडा निवासी सेबेन्या बेन के चेहरे पर खुशी साफ देखी जा सकती है. जेलर ने बताया कि अच्छा व्यवहार और मेहनत से इसकी रिहाई हुई है.

महराजगंज: भारत-नेपाल के सोनौली सीमा से फर्जी पासपोर्ट के मामले में ढाई साल पहले गिरफ्तार हुआ युगांडा का कैदी सेबेन्या बेन कोर्ट के आदेश पर जिला कारागार से रिहा कर दिया गया. हालांकि उसकी रिहाई के पीछे जेल प्रशासन की इंसानियत, कैदी का नेक आचरण और मेहनत भी शामिल है. खास बात यह है कि कोर्ट ने युगांडा के कैदी पर 3000 रुपये का अर्थदंड भी लगाया था. अर्थदंड की यह धनराशि सेबेन्या बेन ने जेल के अंदर मजदूरी करके जुटाई थी. इसके बाद कोर्ट के आदेश के मुताबिक सभी न्यायिक प्रक्रिया का पालन करते हुए उसको जेल से रिहा कर दिया गया. सेबेन्या बेन के पास वीजा और पासपोर्ट नहीं है इसीलिए उसे लेकर महराजगंज पुलिस दिल्ली रवाना हो गई. वहां उसे युगांडा के दूतावास में सुपुर्द किया जाएगा.

युगांडा का नागरिक

14 विदेशी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर भेजा गया था जेल
युगांडा का कैदी सेबेन्या बेन को सोनौली में 14 नवंबर 2018 को गिरफ्तार किया गया था. वह दिल्ली से नेपाल जाने के लिए सोनौली बार्डर पर पहुंचा था. नेपाल जाने के लिए उसने अपना पासपोर्ट सोनौली के इमीग्रेशन ऑफिस में क्लीयरेंस के लिए दिया. पासपोर्ट और वीजा की जांच में यह पता चला कि वह पासपोर्ट सेबेन्या बेन का नहीं है बल्कि फर्जी था. जिसके बाद उस पर 14 विदेशी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया गया. वह जेल में विक्षिप्त जैसा व्यवहार करने लगा. इस पर जेल प्रशासन ने उसका मानसिक चिकित्सालय वाराणसी में दो बार उपचार भी कराया.

अर्थदंड देने के बाद कैदी रिहा
जेलर ने पहल करते हुए 24 घंटे उसे अच्छे कैदियों के बीच रखा. जेल के अस्पताल में ही जेलर ने उसे बागवानी के काम पर लगाया, उसकी काउंसलिंग की. धीरे-धीरे उसका व्यवहार और आचरण सही हुआ. जिसके बाद जेलर ने उसके अच्छे आचरण के बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत भी कराया. जेलर ने बताया कि सीजीएम कोर्ट ने सबूतों के आधार पर युगांडा के कैदी की रिहाई का आदेश दिया और 3000 रुपये अर्थदंड भी लगाया. इसको भरने के लिए सेबेन्या बेन द्वारा जेल में मेहनत की कमाई का इस्तेमाल किया गया. अर्थदंड देने के बाद उसे रिहा कर दिया गया.

जेलर अरविंद श्रीवास्तव ने बताया कि युगांडा के नागरिक के पास पासपोर्ट वीजा नहीं है इसलिए उसे पुलिस की सुरक्षा में दिल्ली स्थित युगांडा दूतावास पर भेजा जा रहा है. शनिवार को जेल से रिहा होकर युगांडा निवासी सेबेन्या बेन के चेहरे पर खुशी साफ देखी जा सकती है. जेलर ने बताया कि अच्छा व्यवहार और मेहनत से इसकी रिहाई हुई है.

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