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पुलवामा अटैक: शहीद पंकज त्रिपाठी की बरसी, शासन के कुछ वादे हुए पूरे, कुछ रहे अधूरे

14 फरवरी 2019 को कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर हुए हमले में महराजगंज के पंकज त्रिपाठी भी शहीद हुए थे. आज पुलवामा अटैक की बरसी पर ईटीवी भारत की टीम शहीद पंकज के गांव पहुंची और उनके परिवार से बातचीत की. देखें विशेष रिपोर्ट...

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Published : Feb 15, 2020, 2:26 AM IST

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शहीद पंकज त्रिपाठी की बरसी

14 फरवरी 2019 को कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर हुए हमले में महराजगंज के फरेंदा क्षेत्र के हरपुर बिलैया निवासी पंकज त्रिपाठी भी शहीद हुए थे. शहीद पंकज सीआरपीएफ में चालक के पद पर तैनात थे. आज पुलवामा अटैक की बरसी पर उन्हें याद करते हुए परिवार के लोगों को जेहन में वहीं मंजर दोबारा दिखाई देता है.

शहीद के पिता का कहना है कि उनका एक बेटा तो देश के लिए शहीद हो गया लेकिन दूसरे बेटे को भी सेना में भेजने के लिए तैयार हैं. जब पंकज शहीद हुए तो उनकी पत्नी गर्भवती थी और कुछ दिनों बाद ही उनके घर बेटी ने जन्म लिया.

पत्नी ने बयां किया दर्द

पत्नी द्वारा शहीद पंकज के बारे में बताते हुए उनकी आंखें नम हो जाती है. शहीद पंकज की पत्नी बताती हैं कि पुलवामा हमले के बाद देर रात सीआरपीएफ कमांडेंट ने पहले फोन कर पिता ओम प्रकाश त्रिपाठी को शहीद पंकज के लापता होने की सूचना दी. फिर अगले दिन सुबह उनके शहादत की खबर घर पहुंची. एक साल बीत जाने के बाद भी शहीद की पत्नी चाहती हैं पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया जाए, जिससे फिर कभी इस तरह की घटना न हो सके.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

ये भी पढ़ें- पुलवामा शहीदों को सीएम योगी ने अर्पित की श्रद्धांजलि

शहीद की पत्नी को मिली सरकारी नौकरी

शहीद पंकज त्रिपाठी की पत्नी रोहिणी को राज्य सरकार ने सरकारी नौकरी देने का वादा किया था. जिसके तहत रोहिणी ने पहले लक्ष्मीपुर ब्लाक में कनिष्ठ सहायक पद पर कार्यभार ग्रहण किया, फिर कार्यस्थल घर से दूर होने के कारण रोहिणी ने शासन को पत्र लिखकर अपना स्थानांतरण फरेंदा ब्लॉक में करवा लिया. अभी वह फरेंदा ब्लॉक में सेवा दे रही हैं.

शहीद के पिता ने कहा दूसरा बेटा भी सेना में जाने को तैयार

शहीद पंकज के पिता ओम प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि अगर देश को उसके दूसरे बेटे की जरूरत पड़ेगी तो वह उसको भी सेना में भेजने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे. उन्होंने कहा कि शहीद पंकज का भाई शुभम भी अपने भाई की तरह सेना में जाने की तैयारी कर रहा है और मौका मिला तो पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देगा. वहीं उन्होंने शहीद पंकज त्रिपाठी के बेटे को भी सेना में भेजने की बात कही.

शासन ने वादे किए पूरे

पंकज त्रिपाठी के शहीद होने के बाद शासन ने जो वादा किया था कि गांव के स्कूल का नाम शहीद के नाम पर होगा. कुछ दिनों बाद स्कूल का नाम पूर्व माध्यमिक विद्यालय से अमर शहीद पंकज त्रिपाठी विद्यालय रखा गया. सहित पंकज त्रिपाठी के नाम पर गांव में ही शहीद स्मारक बनाया जा रहा है. स्मारक बनाने का नाम युद्ध स्तर पर चल रहा है.

ये भी पढ़ें- पुलवामा हमले की पहली बरसी पर शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहा है कृतज्ञ राष्ट्र

शहीद का बनाया जा रहा स्मारक

स्मारक बनाने का काम पहले ग्रामसभा को मिला था, लेकिन कोई बजट नहीं होने के कारण प्रधान आनाकानी करने लगे. फिर शासन ने इसका कार्यभार जिला पंचायत को सौंप दिया. अभी जिला पंचायत द्वारा शहीद स्मारक बनाया जा रहा है.

कुछ वादे पूरे हुए, कुछ अधूरे रह गए

पंकज त्रिपाठी के घर तक जाने का सही रास्ता नहीं था, लेकिन शासन ने शहीद के घर तक जाने के लिए पीसीसी रोड बनाकर रास्ते को सही किया. ऐसे ही गांव में इंट्री के पहले एक गेट लगाया गया है, जिस पर शहीद की प्रतिमा भी स्थापित की गई है. वहीं शहीद पंकज त्रिपाठी के पिता ओम प्रकाश त्रिपाठी का कहना है कि शासन और सेना द्वारा किया गया वादा और घोषणाओं में कुछ पूरे हुए कुछ अधूरे भी रह गए.

14 फरवरी 2019 को कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर हुए हमले में महराजगंज के फरेंदा क्षेत्र के हरपुर बिलैया निवासी पंकज त्रिपाठी भी शहीद हुए थे. शहीद पंकज सीआरपीएफ में चालक के पद पर तैनात थे. आज पुलवामा अटैक की बरसी पर उन्हें याद करते हुए परिवार के लोगों को जेहन में वहीं मंजर दोबारा दिखाई देता है.

शहीद के पिता का कहना है कि उनका एक बेटा तो देश के लिए शहीद हो गया लेकिन दूसरे बेटे को भी सेना में भेजने के लिए तैयार हैं. जब पंकज शहीद हुए तो उनकी पत्नी गर्भवती थी और कुछ दिनों बाद ही उनके घर बेटी ने जन्म लिया.

पत्नी ने बयां किया दर्द

पत्नी द्वारा शहीद पंकज के बारे में बताते हुए उनकी आंखें नम हो जाती है. शहीद पंकज की पत्नी बताती हैं कि पुलवामा हमले के बाद देर रात सीआरपीएफ कमांडेंट ने पहले फोन कर पिता ओम प्रकाश त्रिपाठी को शहीद पंकज के लापता होने की सूचना दी. फिर अगले दिन सुबह उनके शहादत की खबर घर पहुंची. एक साल बीत जाने के बाद भी शहीद की पत्नी चाहती हैं पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया जाए, जिससे फिर कभी इस तरह की घटना न हो सके.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

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शहीद की पत्नी को मिली सरकारी नौकरी

शहीद पंकज त्रिपाठी की पत्नी रोहिणी को राज्य सरकार ने सरकारी नौकरी देने का वादा किया था. जिसके तहत रोहिणी ने पहले लक्ष्मीपुर ब्लाक में कनिष्ठ सहायक पद पर कार्यभार ग्रहण किया, फिर कार्यस्थल घर से दूर होने के कारण रोहिणी ने शासन को पत्र लिखकर अपना स्थानांतरण फरेंदा ब्लॉक में करवा लिया. अभी वह फरेंदा ब्लॉक में सेवा दे रही हैं.

शहीद के पिता ने कहा दूसरा बेटा भी सेना में जाने को तैयार

शहीद पंकज के पिता ओम प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि अगर देश को उसके दूसरे बेटे की जरूरत पड़ेगी तो वह उसको भी सेना में भेजने के लिए हमेशा तैयार रहेंगे. उन्होंने कहा कि शहीद पंकज का भाई शुभम भी अपने भाई की तरह सेना में जाने की तैयारी कर रहा है और मौका मिला तो पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देगा. वहीं उन्होंने शहीद पंकज त्रिपाठी के बेटे को भी सेना में भेजने की बात कही.

शासन ने वादे किए पूरे

पंकज त्रिपाठी के शहीद होने के बाद शासन ने जो वादा किया था कि गांव के स्कूल का नाम शहीद के नाम पर होगा. कुछ दिनों बाद स्कूल का नाम पूर्व माध्यमिक विद्यालय से अमर शहीद पंकज त्रिपाठी विद्यालय रखा गया. सहित पंकज त्रिपाठी के नाम पर गांव में ही शहीद स्मारक बनाया जा रहा है. स्मारक बनाने का नाम युद्ध स्तर पर चल रहा है.

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शहीद का बनाया जा रहा स्मारक

स्मारक बनाने का काम पहले ग्रामसभा को मिला था, लेकिन कोई बजट नहीं होने के कारण प्रधान आनाकानी करने लगे. फिर शासन ने इसका कार्यभार जिला पंचायत को सौंप दिया. अभी जिला पंचायत द्वारा शहीद स्मारक बनाया जा रहा है.

कुछ वादे पूरे हुए, कुछ अधूरे रह गए

पंकज त्रिपाठी के घर तक जाने का सही रास्ता नहीं था, लेकिन शासन ने शहीद के घर तक जाने के लिए पीसीसी रोड बनाकर रास्ते को सही किया. ऐसे ही गांव में इंट्री के पहले एक गेट लगाया गया है, जिस पर शहीद की प्रतिमा भी स्थापित की गई है. वहीं शहीद पंकज त्रिपाठी के पिता ओम प्रकाश त्रिपाठी का कहना है कि शासन और सेना द्वारा किया गया वादा और घोषणाओं में कुछ पूरे हुए कुछ अधूरे भी रह गए.

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