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महाराजगंज में 'सखी' में लटक रहे ताले, नहीं हुई स्टॉफ की नियुक्ति

यूपी के महराजगंज में केंद्र सरकार के लाख दावों के बाद भी सखी सेंटरों की हालत काफी खराब है. यहां आलम यह है कि 100 शैय्यायुक्त मैटर्निटी विंग अस्पताल के पांच कमरों में बने वन स्टॉप सेंटर पर ताला ही लटकता रहता है. यहां अभी तक किसी भी स्टॉफ की नियुक्ति नहीं की गई है.

लटक रहे हैं कमरों में ताले
लटक रहे हैं कमरों में ताले
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Published : Mar 24, 2020, 6:01 AM IST

महराजगंज: 'तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है' अदम गोंडवी की ये रचना प्रदेश के सखी सेंटरों के हालात बताने के लिए काफी है. कहने को तो जिले के 100 शैय्यायुक्त मैटर्निटी विंग अस्पताल के पांच कमरों में वन स्टॉप सेंटर खोल दिया गया, लेकिन अस्पताल के इन कमरों में ताले ही लटके रहते हैं. यहां आज तक वन स्टाॅप सेन्टर को संचालित करने के लिए स्टॉफ की नियुक्ति तक नहीं की गई.

लटक रहे हैं कमरों में ताले.

पांच कमरों में खोला गया था वन स्टाॅप सेंटर
हिंसा की शिकार महिलाओं को एक ही छत के नीचे रहने, सुरक्षा, प्रशिक्षण, चिकित्सा, काउंसलिंग आदि सुविधा देने के लिए जिला अस्पताल से सटे 100 शैय्यायुक्त मैटर्निटी विंग अस्पताल के पांच कमरों में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने वन स्टॉप सेंटर को खोलने का निश्चय किया था. जिसके बाद यहां इन कमरों में वन स्टॉप सेंटर का संचालन शुरू हुआ, लेकिन यह महज कागजों तक ही सीमित रह गया. आज तक यहां किसी भी पद पर स्टाॅफ की नियुक्ति नहीं की गई है. नियुक्ति के लिए आवेदन को लिए गए हैं लेकिन रिक्त पड़े ये पद आज भी बस राह ही देख रहे हैं.

लटक रहे हैं कमरों में ताले

ईटीवी भरत ने जब इसकी पड़ताल की तो जिम्मेदार अधिकारियों ने शीघ्र ही नियुक्ति करने का दावा किया. उनका कहना था कि वन स्टॉप सेन्टर के लिए भूमि को चिन्हित भी कर लिया गया है और इसके भवन निर्माण के लिए धन भी आवंटित कर दिया गया है. अधिकारियों के इन दावों के बावजूद आज तक कोई निर्माण कार्य शुरू नही हो सका है. ऐसे में यहां वन स्टाॅप सेन्टर का संचालन कागजों में सिमट कर रह गया है.

क्या बोले जिम्मेदार
जिले के प्रोबेशन अधिकारी ध्रुव चंद त्रिपाठी से जब ईटीवी भारत ने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि वन स्टॉप सेंटर संचालन के लिए कोऑर्डिनेटर, काउंसलर, एडवोकेट, कंप्यूटर ऑपरेटर, सुरक्षा गार्ड, लिपिक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नियुक्ति 19 फरवरी को की जाएगी. जिसके बाद जिले की पीड़ित महिलाओं को सुरक्षा, संरक्षणं भरण-पोषण और इलाज की सभी सुविधाएं सेंटर में ही मिलेगी.

उन्होंने यह भी बताया कि वन स्टॉप सेंटर के आवास के लिए जमीन को चिन्हित कर लिया गया है. ग्रामीण अभियंता विभाग के खाते में धन हस्तांतरित कर दिया गया है. निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ हो जाएगा. सेवा प्रदाता के माध्यम से पदों पर चयन किया जाएगा. जिसके लिए 8 आवेदन आए हुए हैं. 19 फरवरी को सेवा प्रदाता चयन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी.

अब 19 फरवरी भी बीत चुकी है, लेकिन ये पद अब तक रिक्त पड़े हैं. जिले में पीड़ित महिलाएं इंतजार कर रही है कि कब कोई आएगा और बंद पडे़ वन स्टॉप सेंटर पर लटक रहे इन तालों को खोलेगा.

इसे भी पढ़ें- यूपी के कई जिलों में किराए पर 'सखी', फंड के बाद भी नहीं बनी वन स्टॉप सेंटर की बिल्डिंग

महराजगंज: 'तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है' अदम गोंडवी की ये रचना प्रदेश के सखी सेंटरों के हालात बताने के लिए काफी है. कहने को तो जिले के 100 शैय्यायुक्त मैटर्निटी विंग अस्पताल के पांच कमरों में वन स्टॉप सेंटर खोल दिया गया, लेकिन अस्पताल के इन कमरों में ताले ही लटके रहते हैं. यहां आज तक वन स्टाॅप सेन्टर को संचालित करने के लिए स्टॉफ की नियुक्ति तक नहीं की गई.

लटक रहे हैं कमरों में ताले.

पांच कमरों में खोला गया था वन स्टाॅप सेंटर
हिंसा की शिकार महिलाओं को एक ही छत के नीचे रहने, सुरक्षा, प्रशिक्षण, चिकित्सा, काउंसलिंग आदि सुविधा देने के लिए जिला अस्पताल से सटे 100 शैय्यायुक्त मैटर्निटी विंग अस्पताल के पांच कमरों में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने वन स्टॉप सेंटर को खोलने का निश्चय किया था. जिसके बाद यहां इन कमरों में वन स्टॉप सेंटर का संचालन शुरू हुआ, लेकिन यह महज कागजों तक ही सीमित रह गया. आज तक यहां किसी भी पद पर स्टाॅफ की नियुक्ति नहीं की गई है. नियुक्ति के लिए आवेदन को लिए गए हैं लेकिन रिक्त पड़े ये पद आज भी बस राह ही देख रहे हैं.

लटक रहे हैं कमरों में ताले

ईटीवी भरत ने जब इसकी पड़ताल की तो जिम्मेदार अधिकारियों ने शीघ्र ही नियुक्ति करने का दावा किया. उनका कहना था कि वन स्टॉप सेन्टर के लिए भूमि को चिन्हित भी कर लिया गया है और इसके भवन निर्माण के लिए धन भी आवंटित कर दिया गया है. अधिकारियों के इन दावों के बावजूद आज तक कोई निर्माण कार्य शुरू नही हो सका है. ऐसे में यहां वन स्टाॅप सेन्टर का संचालन कागजों में सिमट कर रह गया है.

क्या बोले जिम्मेदार
जिले के प्रोबेशन अधिकारी ध्रुव चंद त्रिपाठी से जब ईटीवी भारत ने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि वन स्टॉप सेंटर संचालन के लिए कोऑर्डिनेटर, काउंसलर, एडवोकेट, कंप्यूटर ऑपरेटर, सुरक्षा गार्ड, लिपिक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की नियुक्ति 19 फरवरी को की जाएगी. जिसके बाद जिले की पीड़ित महिलाओं को सुरक्षा, संरक्षणं भरण-पोषण और इलाज की सभी सुविधाएं सेंटर में ही मिलेगी.

उन्होंने यह भी बताया कि वन स्टॉप सेंटर के आवास के लिए जमीन को चिन्हित कर लिया गया है. ग्रामीण अभियंता विभाग के खाते में धन हस्तांतरित कर दिया गया है. निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ हो जाएगा. सेवा प्रदाता के माध्यम से पदों पर चयन किया जाएगा. जिसके लिए 8 आवेदन आए हुए हैं. 19 फरवरी को सेवा प्रदाता चयन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी.

अब 19 फरवरी भी बीत चुकी है, लेकिन ये पद अब तक रिक्त पड़े हैं. जिले में पीड़ित महिलाएं इंतजार कर रही है कि कब कोई आएगा और बंद पडे़ वन स्टॉप सेंटर पर लटक रहे इन तालों को खोलेगा.

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