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महराजगंजः फल खरीदने को नहीं मिल रहे खरीदार, किसान परेशान

उत्तर प्रदेश के महराजगंज में लाॅकडाउन से किसानों के उम्मीदों पर पानी फिर गया है. किसानों का कहना है कि, तरबूजे और खीरे जैसी फसलें खेतों में तैयार हैं, लेकिन कोई खरीदार नहीं मिल रहा है.

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फसलें खेतों में तैयार
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Published : May 20, 2020, 10:31 PM IST

महराजगंज: जिले में कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन ने किसानों के सामने परेशानी खड़ी कर दी है. तरबूज, खीरा और लौकी जैसे फल और सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को इस बार मुनाफे की अच्छी उम्मीद थी. लेकिन लाॅकडाउन ने किसानों के उम्मीदों पर पानी फेर दिया. खेतों में तरबूज, खीरा, ककड़ी, और लौकी जैसी फसलें तैयार हैं, लेकिन उन्हें कोई खरीदार नहीं मिल रहा है.

जिले के पनियरा ब्लाक के ग्राम सभा कुआचांप गांव के पूर्व प्रधान वीरेन्द्र निषाद ने बताया की 5 एकड़ में तरबूज और खीरा लगाया गया है. इस वक़्त तरबूज और खीरे का बंपर उत्पादन शुरू हो गया है, लेकिन लाॅकडाउन की वजह से बाहर नहीं जा पा रहा है. जिसकी वजह से किसानों को इसका सही दाम नहीं मिल पा रहा है. किसानों का कहना है कि, फसल को मंडी तक ले जाने के लिए गाड़ियां नहीं मिल रही हैं और स्थानीय छोटे व्यवसायी बड़ी मुश्किल से 40 से 50 किलो तरबूज ही खरीद रहे हैं.

किसान भगवान दास ने बताया कि इस बार तरबूज और खीरे की खेती पिछली बार की अपेक्षा अधिक हुई है. कुआचांप गांव के किसानों के सामने कोरोना वायरस ने समस्याओं को और बढ़ा दिया है. गांव के किसानों ने 50 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में तरबूज खीरा की बुवाई की है. हम किसानों ने जो गाढ़ी कमाई लगाकर फसल तैयार किया है उसके खरीदार नहीं है.

महराजगंज: जिले में कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन ने किसानों के सामने परेशानी खड़ी कर दी है. तरबूज, खीरा और लौकी जैसे फल और सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को इस बार मुनाफे की अच्छी उम्मीद थी. लेकिन लाॅकडाउन ने किसानों के उम्मीदों पर पानी फेर दिया. खेतों में तरबूज, खीरा, ककड़ी, और लौकी जैसी फसलें तैयार हैं, लेकिन उन्हें कोई खरीदार नहीं मिल रहा है.

जिले के पनियरा ब्लाक के ग्राम सभा कुआचांप गांव के पूर्व प्रधान वीरेन्द्र निषाद ने बताया की 5 एकड़ में तरबूज और खीरा लगाया गया है. इस वक़्त तरबूज और खीरे का बंपर उत्पादन शुरू हो गया है, लेकिन लाॅकडाउन की वजह से बाहर नहीं जा पा रहा है. जिसकी वजह से किसानों को इसका सही दाम नहीं मिल पा रहा है. किसानों का कहना है कि, फसल को मंडी तक ले जाने के लिए गाड़ियां नहीं मिल रही हैं और स्थानीय छोटे व्यवसायी बड़ी मुश्किल से 40 से 50 किलो तरबूज ही खरीद रहे हैं.

किसान भगवान दास ने बताया कि इस बार तरबूज और खीरे की खेती पिछली बार की अपेक्षा अधिक हुई है. कुआचांप गांव के किसानों के सामने कोरोना वायरस ने समस्याओं को और बढ़ा दिया है. गांव के किसानों ने 50 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में तरबूज खीरा की बुवाई की है. हम किसानों ने जो गाढ़ी कमाई लगाकर फसल तैयार किया है उसके खरीदार नहीं है.

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