महराजगंज: जिले का सोहगीबरवा थाना शहरी सुख सुविधाओं से वंचित है. इस थाने में पिछले कई वर्षों से एक भी गम्भीर मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है. इस थाने में दंडित पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई जाती है. इसलिए पुलिसकर्मी इसे कालापानी की सजा मानते हैं. सोहगीबरवा गांव का नाम सुनते ही वहां की विपरीत परिस्थितियां और समस्या से जूझते लोगों का चेहरा आंखों में तैरने लगता है.
थाने में आम लोग भी जाना नहीं करते पसंद
जिले के सोहगीबरवा थाने की पोस्टिग को पुलिसकर्मी और लोग काला पानी के तौर पर देखते हैं. ऐसा माना जाता है कि सजा के तौर पर पुलिसकर्मियों को यहां भेजा जाता है. तीन गांव के इस थाने पर आम लोग भी जाना पसंद नहीं करते. मुकदमा दर्ज करने के लिए महीने बीत जाते हैं. लगभग पांच वर्षों से अब तक थाने की जीडी में हत्या, लूट, डकैती और फिरौती आदि गम्भीर मामलों के एक भी मुकदमे नहीं लिखे गए हैं.
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बाढ़ के समय में थाने का संपर्क पूरे जिले से कट जाता है
क्षेत्र में शांति रहने की वजह से पीस कमेटी की बैठक, पैदल गश्त, बैंक चेकिग और गश्त जैसे पुलिस की ड्यूटी भी नहीं लगती है. यूपी-बिहार की सीमा पर जंगल पार्टी के आंतक को खत्म करने के लिए शासन के निर्देश पर वर्ष 2003 में महराजगंज जिले के सोहगीबरवा थाने की स्थापना की गई थी. बाढ़ के समय में थाने का संपर्क पूरे जिले से कट जाता है. थाने की गाड़ी खड़ी हो जाती है.
थाने में अपराध है नहीं के बराबर
तीन गांव के इस थाने में अपराध नहीं के बराबर है. जिसकी वजह से कई वर्षों से एक भी आपराधिक मुकदमे दर्ज नहीं हुए हैं. थाने पर पहुंचने के लिए कुशीनगर के खड्डा से होते हुए बिहार के पश्चिमी चंपारन के नौरंगिया से होकर जाना पड़ता है. नेपाल के रास्ते जाने के लिए एसपी के स्कोर्ट को भी निचलौल के झुलनीपुर पुलिस चौकी पर असलहा जमा करना पड़ जाता है. अब निचलौल से सटे ही गण्डक नदी में पीपा पुल का निर्माण हो रहा है, जिससे आने-जाने के लिए थोड़ी राहत मिल सकती है.