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महराजगंज: नदियों का जलस्तर बढ़ा, कई गांवों में बाढ़ का खतरा

उत्तर प्रदेश के महराजगंज नदियों को ऊपर बने बांध की हालत काफी खराब है, ऊपर से मानसूनी बारिश ने और कहर बरसा रखा है. आलम यह है कि प्रशासन की लापरवाही के कारण बांध टूटने के कगार पर हैं, जिससे कई गांवों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है.

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Published : Jul 1, 2020, 11:01 AM IST

administration negligence
टूटने के कगार पर बांध

महराजगंज: लगातार हो रही मानसूनी बारिश और नेपाल से आने वाली नदियों के जल स्तर में बढ़ोतरी के चलते जिले में एक बार फिर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. नदियों पर बने बांधो पर मरम्मत में लापरवाही के कारण जगह-जगह रेन कट, रैट होल के चलते बांध कमजोर हो गए हैं. जनपद की उत्तर पश्चिम सीमा में बहने वाली घोंघी नदी के बांध पर कटान की वजह से 6 गांव प्रभावित हो सकता है, लेकिन बांध मरम्मत के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है. ऐसे में बाढ़ के खतरे को लेकर लोगों में डर बढ़ता जा रहा है.

टूटने के कगार पर बांध
जनपद के उत्तर पश्चिम इलाके बृजमनगंज क्षेत्र में नेपाल और सिद्धार्थनगर से होकर घोंघी नदी बहती है. इस नदी पर बांध तो बना है, लेकिन मरम्मत के अभाव में जगह-जगह रेन कट और रैट होल की वजह से बांध टूटने के कगार पर है. बांध टूटने के खतरे से कई गांव के लोग भयभीत है. जनपद में कुल 22 बांध है. इसमें से चार बांध नेपाल की सीमा में पड़ते है, जिससे गंडक नदी के जल प्रवाह को भारतीय सीमा में रोकने के लिए बांध बनाया गया है. सिंचाई विभाग यहां पानी की तरह पैसा बहाता है, लेकिन बरसात और नेपाल की पहाड़ियों में भारी बारिश और तेज बहाव से सब कुछ बहा ले जाता है. इसी तरह का हाल जनपद के अन्य बांधो का भी रहता है, जहां बांध टूटने से भारी तबाही और जन-धन की हानि होती है. लगातार जल स्तर बढ़ने से इस बार यह खतरा और भी बढ़ने लगा है.प्रशासन को समय रहते बांधो की मरम्मत करानी चाहिए, हालांकि प्रशासन की तरफ से ऐसा कोई कदम लिया नहीं जा रहा है. गंडक नदी पर बने चार बांध जो नेपाल में बने हैं, उन पर भी मरम्मत की जरूरत है. लेकिन वाटर लेवल बढ़ने की वजह से कार्य प्रभावित हुआ है. लेकिन अपनी कमी छिपाने के लिए अधिकारी उसे ठीक बता रहे हैं. इसके अलावा जनपद के अन्य 18 बांधो पर अब मरम्मत कराने की बात डीएम कह रहे हैं. डीएम की बात उस कहावत को चरितार्थ कर रही कि 'का बर्षा जब कृषि सुखानी'.

जिले के अधिकारियों के बात से यह तो साफ है कि उन्हें हर चीज सही नजर आ रही है. वहीं जब ज्यादा बारिश से बांध टूट जाएंगे तो सरकार की ओर से कई टेंडर पास कराए जाएंगे और करोड़ो रुपये आएंगे. मगर फिर भी ये कागजी दावे करने वाले अधिकारी उन पैसों को डकार जाएंगे.

महराजगंज: लगातार हो रही मानसूनी बारिश और नेपाल से आने वाली नदियों के जल स्तर में बढ़ोतरी के चलते जिले में एक बार फिर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. नदियों पर बने बांधो पर मरम्मत में लापरवाही के कारण जगह-जगह रेन कट, रैट होल के चलते बांध कमजोर हो गए हैं. जनपद की उत्तर पश्चिम सीमा में बहने वाली घोंघी नदी के बांध पर कटान की वजह से 6 गांव प्रभावित हो सकता है, लेकिन बांध मरम्मत के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है. ऐसे में बाढ़ के खतरे को लेकर लोगों में डर बढ़ता जा रहा है.

टूटने के कगार पर बांध
जनपद के उत्तर पश्चिम इलाके बृजमनगंज क्षेत्र में नेपाल और सिद्धार्थनगर से होकर घोंघी नदी बहती है. इस नदी पर बांध तो बना है, लेकिन मरम्मत के अभाव में जगह-जगह रेन कट और रैट होल की वजह से बांध टूटने के कगार पर है. बांध टूटने के खतरे से कई गांव के लोग भयभीत है. जनपद में कुल 22 बांध है. इसमें से चार बांध नेपाल की सीमा में पड़ते है, जिससे गंडक नदी के जल प्रवाह को भारतीय सीमा में रोकने के लिए बांध बनाया गया है. सिंचाई विभाग यहां पानी की तरह पैसा बहाता है, लेकिन बरसात और नेपाल की पहाड़ियों में भारी बारिश और तेज बहाव से सब कुछ बहा ले जाता है. इसी तरह का हाल जनपद के अन्य बांधो का भी रहता है, जहां बांध टूटने से भारी तबाही और जन-धन की हानि होती है. लगातार जल स्तर बढ़ने से इस बार यह खतरा और भी बढ़ने लगा है.प्रशासन को समय रहते बांधो की मरम्मत करानी चाहिए, हालांकि प्रशासन की तरफ से ऐसा कोई कदम लिया नहीं जा रहा है. गंडक नदी पर बने चार बांध जो नेपाल में बने हैं, उन पर भी मरम्मत की जरूरत है. लेकिन वाटर लेवल बढ़ने की वजह से कार्य प्रभावित हुआ है. लेकिन अपनी कमी छिपाने के लिए अधिकारी उसे ठीक बता रहे हैं. इसके अलावा जनपद के अन्य 18 बांधो पर अब मरम्मत कराने की बात डीएम कह रहे हैं. डीएम की बात उस कहावत को चरितार्थ कर रही कि 'का बर्षा जब कृषि सुखानी'.

जिले के अधिकारियों के बात से यह तो साफ है कि उन्हें हर चीज सही नजर आ रही है. वहीं जब ज्यादा बारिश से बांध टूट जाएंगे तो सरकार की ओर से कई टेंडर पास कराए जाएंगे और करोड़ो रुपये आएंगे. मगर फिर भी ये कागजी दावे करने वाले अधिकारी उन पैसों को डकार जाएंगे.

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