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महाराजगंज में बैराज निर्माण में 229 लाख की क्षति मामले में चार रिटायर अभियंताओं के खिलाफ मुकदमा - महाराजगंज की खबरें

महाराजगंज में रोहिन नदी बैराज निर्माण में 229 लाख की क्षति मामले में चार रिटायर अभियंताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. चलिए जानते हैं इस बारे में.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 23, 2023, 8:28 AM IST

महाराजगंजः वर्ष 2008 में रोहिन नदी में आई बाढ़ से निर्माणाधीन बैराज ध्वस्त हो गया था. सरकार को इससे 229 लाख रुपए की क्षति पहुंची थी. इस मामले के 17 साल बाद लापरवाही के लिए जिम्मेदार सिंचाई विभाग के चार रिटायर अभियंताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है. सिंचाई खंड प्रथम के सहायक अभियंता द्वितीय की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने धारा 409 आईपीसी के तहत यह केस दर्ज किया है. इसके बाद सिंचाई विभाग में हड़कंप मच गया है.

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ये था पूरा मामला.

रोहिन नदी पर आजादी के समय नौतनवा क्षेत्र के मिश्रवलिया गांव के सामने वीयर का निर्माण कराया गया था. रोहिन वीयर के पास से सिंचाई के लिए नहर का निर्माण कराया गया था. वर्ष 2005 में रोहिन नदी में आई बाढ़ से वीयर ध्वस्त हो गया था. तबसे अभी तक नौतनवा व लक्ष्मीपुर क्षेत्र की नहरों से गेहूं की पहली सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाता है.

वर्ष 2008 में प्रदेश सरकार ने रोहिन वीयर निर्माण के लिए 437 लाख रूपए का प्रशासकीय व वित्तीय मंजूरी दी थी. मुख्य अभियंता ने 561.51 लाख रूपए का बजट स्वीकृत किया ता. रुड़की की टीम ने ड्राईंग तैयार किया था. इसके बाद निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया. उसी साल रोहिन नदी में आई बाढ़ से निर्माणाधीन वीयर ध्वस्त हो गया. इससे सरकार को 229 लाख रूपए की क्षति हुई थी.

इस मामले में शासन से जांच शुरू हुई जिसमें यह बात उजागर हुई कि शासन ने रोहिन वीयर के लिए जो डिजाइन स्वीकृत किया था, सिंचाई विभाग के जिम्मेदारों ने उस डिजाइन को ही बदल दिया. रोहिन वीयर की जगह बैराज का निर्माण कराया गया. मिट्टी की जांच भी नहीं कराई गई. डिजाइन बनाने वाली आईआईटी रूड़की की टीम से हाइड्रोलिक एवं स्ट्रक्चरल डिजाइन की गणनाएं नहीं ली गईं. नदी के पानी के डिस्चार्ज के आंकड़ों का सही से आंकलन नहीं किया गया. इसी की वजह से रोहिन में बाढ़ आने से वीयर/बैराज का पिलर सैलाब से धराशायी हो गया. सरकार को 229 लाख रूपए की क्षति हुई. शासन के निर्देश पर जांच में दो मुख्य अभियंता गंडक बटुकेश्वर प्रताप सिंह व कृष्ण देव शुक्ल एवं दो अधीक्षण अभियंता अवध कुमार सिंह व दिलीप कुमार दास के नाम सामने आए.

जांच रिपोर्ट में कहा गया कि उस समय इन्हीं के लोगों के दिशा निर्देश पर डिजाइन बदला गया था. जांच में लापरवाही सामने आने के बाद केस दर्ज कराने के साथ -साथ शासन की क्षति हुई धनराशि की वसूली के लिए सक्षम न्यायालय में केस दर्ज कराने का निर्देश हुआ.

इस मामले में अपर पुलिस अधीक्षक आतिश कुमार सिंह ने बताया कि तहरीर के आधार पर दो तत्कालीन (अब सेवानिवृत्त)मुख्य अभियंता गंडक बटुकेश्वर प्रताप सिंह व कृष्ण देव शुक्ल एवं दो अधीक्षण अभियंता अवध कुमार सिंह व दिलीप कुमार दास के खिलाफ धारा 409 आईपीसी के तहत अभियोग पंजीकृत कर लिया गया है. विवेचना के बाद चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की जाएगी.

ये भी पढ़ेंः Watch: महाराजगंज में विवाद के बाद भिड़े बालू कारोबारी, रोकने पर पुलिस से भी की धक्कामुक्की

ये भी पढ़ेंः अंडे के रुपये देने के विवाद में तीन चचेरे भाइयों ने गला रेतकर किशोर को मार डाला, शव को खेत में छिपाया

महाराजगंजः वर्ष 2008 में रोहिन नदी में आई बाढ़ से निर्माणाधीन बैराज ध्वस्त हो गया था. सरकार को इससे 229 लाख रुपए की क्षति पहुंची थी. इस मामले के 17 साल बाद लापरवाही के लिए जिम्मेदार सिंचाई विभाग के चार रिटायर अभियंताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है. सिंचाई खंड प्रथम के सहायक अभियंता द्वितीय की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने धारा 409 आईपीसी के तहत यह केस दर्ज किया है. इसके बाद सिंचाई विभाग में हड़कंप मच गया है.

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ये था पूरा मामला.

रोहिन नदी पर आजादी के समय नौतनवा क्षेत्र के मिश्रवलिया गांव के सामने वीयर का निर्माण कराया गया था. रोहिन वीयर के पास से सिंचाई के लिए नहर का निर्माण कराया गया था. वर्ष 2005 में रोहिन नदी में आई बाढ़ से वीयर ध्वस्त हो गया था. तबसे अभी तक नौतनवा व लक्ष्मीपुर क्षेत्र की नहरों से गेहूं की पहली सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पाता है.

वर्ष 2008 में प्रदेश सरकार ने रोहिन वीयर निर्माण के लिए 437 लाख रूपए का प्रशासकीय व वित्तीय मंजूरी दी थी. मुख्य अभियंता ने 561.51 लाख रूपए का बजट स्वीकृत किया ता. रुड़की की टीम ने ड्राईंग तैयार किया था. इसके बाद निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया. उसी साल रोहिन नदी में आई बाढ़ से निर्माणाधीन वीयर ध्वस्त हो गया. इससे सरकार को 229 लाख रूपए की क्षति हुई थी.

इस मामले में शासन से जांच शुरू हुई जिसमें यह बात उजागर हुई कि शासन ने रोहिन वीयर के लिए जो डिजाइन स्वीकृत किया था, सिंचाई विभाग के जिम्मेदारों ने उस डिजाइन को ही बदल दिया. रोहिन वीयर की जगह बैराज का निर्माण कराया गया. मिट्टी की जांच भी नहीं कराई गई. डिजाइन बनाने वाली आईआईटी रूड़की की टीम से हाइड्रोलिक एवं स्ट्रक्चरल डिजाइन की गणनाएं नहीं ली गईं. नदी के पानी के डिस्चार्ज के आंकड़ों का सही से आंकलन नहीं किया गया. इसी की वजह से रोहिन में बाढ़ आने से वीयर/बैराज का पिलर सैलाब से धराशायी हो गया. सरकार को 229 लाख रूपए की क्षति हुई. शासन के निर्देश पर जांच में दो मुख्य अभियंता गंडक बटुकेश्वर प्रताप सिंह व कृष्ण देव शुक्ल एवं दो अधीक्षण अभियंता अवध कुमार सिंह व दिलीप कुमार दास के नाम सामने आए.

जांच रिपोर्ट में कहा गया कि उस समय इन्हीं के लोगों के दिशा निर्देश पर डिजाइन बदला गया था. जांच में लापरवाही सामने आने के बाद केस दर्ज कराने के साथ -साथ शासन की क्षति हुई धनराशि की वसूली के लिए सक्षम न्यायालय में केस दर्ज कराने का निर्देश हुआ.

इस मामले में अपर पुलिस अधीक्षक आतिश कुमार सिंह ने बताया कि तहरीर के आधार पर दो तत्कालीन (अब सेवानिवृत्त)मुख्य अभियंता गंडक बटुकेश्वर प्रताप सिंह व कृष्ण देव शुक्ल एवं दो अधीक्षण अभियंता अवध कुमार सिंह व दिलीप कुमार दास के खिलाफ धारा 409 आईपीसी के तहत अभियोग पंजीकृत कर लिया गया है. विवेचना के बाद चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की जाएगी.

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