लखनऊ : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने एक बार फिर कहा है कि मस्जिद के बदले जमीन न तो शरीयत के हिसाब से ली जा सकती है और न ही वक्फ एक्ट के तहत. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी, जिसे शीर्ष अदालत ने बिना सुनवाई खारिज कर दिया था.
'वक्फ बोर्ड को नहीं लेनी चाहिए थी भूमि'
जफरयाब जिलानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को भूमि देने का निर्देश जरूर दिया है, लेकिन यह नहीं कहा है कि हमें शरीयत के खिलाफ इसे लेना ही है. उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड को भूमि नहीं लेनी चाहिए थी. हमने अपील भी की थी, लेकिन वक्फ बोर्ड के लोग नहीं माने.
'जायज नहीं होगी ऐसी मस्जिद में नमाज'
जिलानी ने कहा कि देश का मुसलमान इसका पाबंद नहीं है. मुसलमान खुद तय करेंगे कि वह शरीयत के खिलाफ बनी मस्जिद में नमाज पढ़ने जाएं अथवा नहीं. ऐसी मस्जिद में की गई नमाज जायज नहीं होगी. उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस पर कोई एलान नहीं किया है. हालांकि मुद्दे पर चर्चा जरूर हुई है. बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी उलमा से चर्चा के बाद इस पर बयान जारी करेंगे.
'ट्र्स्ट के विषय में कुछ भी नहीं कहना है'
अयोध्या के धन्नीपुर में बनाई जा रही मस्जिद को लेकर बने ट्रस्ट के संबंध में पूछे गए सवाल पर जिलानी ने कहा कि उन्हें इस विषय में कुछ भी नहीं कहना है. उन्होंने कहा कि हम जब उसकी बुनियाद से ही सहमत नहीं है, तो आगे इस विषय में क्या कहें. बातचीत के दौरान जिलानी ने सरकार पर कई आरोप लगाए.