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लखनऊ के नौजवानों ने उठाया बीड़ा, दफना रहे कोरोना संक्रमितों के शव

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Published : Aug 1, 2020, 11:10 AM IST

कोरोना आंकड़ा बढ़ने के साथ-साथ मौत का आंकड़ा भी बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में कब्रिस्तान पर शवों को दफनाने की जिम्मेदारी राजधानी के ऐशबाग स्थित मलकाजहां कर्बला में कुछ नौजवानों ने उठाया है. कर्बला में 20 लोगों की टीम बनाई गई है. इसमें मौलवी भी हैं जो नमाज-ए- जनाजा पढ़ाते हैं.

नौजवानों ने कोरोना के शव को दफनाने का लिया जिम्मा
नौजवानों ने कोरोना के शव को दफनाने का लिया जिम्मा

लखनऊ: कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. वहीं इससे हो रही मौतों के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं. कोरोना वायरस की चपेट में आने से हुई मौत के बाद परिजन शव को दफनाने नहीं आते हैं. ऐसे में राजधानी के ऐशबाग स्थित मलका जहां कर्बला में कुछ नौजवानों ने शव को दफनाने का जिम्मा अपने कंधों पर ले लिया है. यह नौजवान अपनी जान जोखिम में डालकर इन शवों को दफनाने का काम करते हैं.

नौजवानों ने कोरोना के शव को दफनाने का लिया जिम्मा
यह लोग शव को कब्रिस्तान तक पहुंचा कर पूरे रीति-रिवाज के साथ उसे दफनाते हैं. शव को दफना रहे लोग अमीनाबाद के गोलागंज के रहने वाले इमदाद और उनके साथी हैं. कोरोना से हो रही मौतों के बाद मलका जहां कर्बला में शवों को दफनाने के लिए 2 हजार स्क्वायर फीट की जगह दी गई है. इस 2 हजार स्क्वायर फीट की जगह पर केवल कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद शव को दफनाने की अनुमति है. वहीं अस्पताल से शव आने के बाद पूरे कर्बला को सैनिटाइज किया जाता है. इसके अलावा प्रयोग में लाई गई पीपीई किट को जलाकर नष्ट कर दिया जाता है.कब्रिस्तान में हम लोग पहले से ही 10 फीट की गहरी कब्र खोद के रखते हैं. जैसे ही हम लोगों को जानकारी मिलती है वैसे ही हमारी टीम पूरा इंतजाम करके रखती है. WHO ने भी कहा है कि आप लोग 10 फीट की कब्र में ही शव को दफनाएं. जैसे ही डेड बॉडी आती है हमारे कर्मचारी पीपीई किट पहनते हैं. स्ट्रेचर से शव को कब्र तक ले जाया जाता है. परिजनों को पहले ही रोक दिया जाता है. हमारे पास 24 मीटर का एक कपड़ा रहता है. फिर 4 लोग जो पीपीई किट पहने रहते हैं. शव को ठीक से दफनाते हैं. बाहर गेट से लेकर कब्र तक पूरा सैनिटाइज किया जाता है. कर्बला में 20 लोगों की टीम बनाई गई है. इसमें मौलवी भी हैं जो नमाजे जनाजा पढ़ाते हैं. कोरोना संक्रमित मरीज की मौत के बाद शव को दफनाने के लिए 2 हजार स्क्वायर फीट की जगह छोड़ी गई है.

लखनऊ: कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. वहीं इससे हो रही मौतों के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं. कोरोना वायरस की चपेट में आने से हुई मौत के बाद परिजन शव को दफनाने नहीं आते हैं. ऐसे में राजधानी के ऐशबाग स्थित मलका जहां कर्बला में कुछ नौजवानों ने शव को दफनाने का जिम्मा अपने कंधों पर ले लिया है. यह नौजवान अपनी जान जोखिम में डालकर इन शवों को दफनाने का काम करते हैं.

नौजवानों ने कोरोना के शव को दफनाने का लिया जिम्मा
यह लोग शव को कब्रिस्तान तक पहुंचा कर पूरे रीति-रिवाज के साथ उसे दफनाते हैं. शव को दफना रहे लोग अमीनाबाद के गोलागंज के रहने वाले इमदाद और उनके साथी हैं. कोरोना से हो रही मौतों के बाद मलका जहां कर्बला में शवों को दफनाने के लिए 2 हजार स्क्वायर फीट की जगह दी गई है. इस 2 हजार स्क्वायर फीट की जगह पर केवल कोरोना संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद शव को दफनाने की अनुमति है. वहीं अस्पताल से शव आने के बाद पूरे कर्बला को सैनिटाइज किया जाता है. इसके अलावा प्रयोग में लाई गई पीपीई किट को जलाकर नष्ट कर दिया जाता है.कब्रिस्तान में हम लोग पहले से ही 10 फीट की गहरी कब्र खोद के रखते हैं. जैसे ही हम लोगों को जानकारी मिलती है वैसे ही हमारी टीम पूरा इंतजाम करके रखती है. WHO ने भी कहा है कि आप लोग 10 फीट की कब्र में ही शव को दफनाएं. जैसे ही डेड बॉडी आती है हमारे कर्मचारी पीपीई किट पहनते हैं. स्ट्रेचर से शव को कब्र तक ले जाया जाता है. परिजनों को पहले ही रोक दिया जाता है. हमारे पास 24 मीटर का एक कपड़ा रहता है. फिर 4 लोग जो पीपीई किट पहने रहते हैं. शव को ठीक से दफनाते हैं. बाहर गेट से लेकर कब्र तक पूरा सैनिटाइज किया जाता है. कर्बला में 20 लोगों की टीम बनाई गई है. इसमें मौलवी भी हैं जो नमाजे जनाजा पढ़ाते हैं. कोरोना संक्रमित मरीज की मौत के बाद शव को दफनाने के लिए 2 हजार स्क्वायर फीट की जगह छोड़ी गई है.
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