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कम उम्र के बच्चे हो रहे मोटापे का शिकार, जानिए क्या है 'वीट बेली सिंड्रोम' - केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभाग

अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट युक्त फूड्स बच्चों को काफी नुकसान (wheat belly syndrome) कर रहा है. इसके सेवन से लोग मोटापा की शिकार हो रहे हैं. केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभाग में रोजाना मोटापे से पीड़ित लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 30, 2023, 9:59 PM IST

फिजियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नरसिंह वर्मा ने दी जानकारी

लखनऊ : केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभाग में रोजाना मोटापे से पीड़ित लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं. इसमें 12 से 18 वर्ष तक के बच्चे शामिल हैं. विशेषज्ञों की मानें तो मोटापा एक बीमारी की तरह लोगों में दिक्कत कर रहा है. अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट युक्त फूड्स खाने से लोग मोटापा की शिकार हो रहे हैं. मोटापे के कारण कई अन्य बीमारी भी व्यक्ति के शरीर में घर बनाती हैं. केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नरसिंह वर्मा ने बताया कि 'बच्चे वीट बेली सिंड्रोम (गेंहू से निकला हुआ पेट) से अधिक पीड़ित हो रहे हैं. फिजियोलॉजी विभाग में आठ से 10 हजार बच्चों का सर्वे किया था, जिनमें यह पाया गया कि वह वीट बेली सिंड्रोम से पीड़ित हैं, जिसके चलते बहुत सारे बच्चे हाइपरटेंशन से ग्रसित हैं.'

प्रतीकात्मक फोटो
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उन्होंने कहा कि 'वर्तमान समय में अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट के सेवन से लोग मोटापे के शिकार हो रहे हैं. कम उम्र में बच्चे अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट का सेवन करते हैं, जिसके चलते बच्चे भी मोटापे के शिकार हो रहे हैं. विभाग में रोज इस तरह के मरीज आते हैं, जिन्हें मोटापे की समस्या है. अत्यधिक मोटा होना भी बीमारी से काम नहीं है. क्योंकि, मोटाई के साथ बहुत सारी बीमारियां भी शरीर में आने लगते हैं. उन्होंने बताया कि 100 ग्राम गेहूं में 339 कैलोरी होती है. इसमें 0 एमजी कोलेस्ट्रॉल होता है. गेहूं में 2 एमजी सोडियम और एमजी पोटैशियम होता है. 100 ग्राम गेहूं की कुल कार्बोहाइड्रेट सामग्री 71 ग्राम है. इसमें कैल्शियम की अनुशंसित दैनिक खुराक का 3%, लोहे का 19%, विटामिन बी -6 का 20%, और 36% मैग्नीशियम के साथ 14 ग्राम प्रोटीन होता है. हालांकि, इसमें 0% विटामिन ए, सी, डी, और बी-12 है.'

प्रतीकात्मक फोटो
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सहनशक्ति भी हुई दूर : उन्होंने कहा कि 'बात जब लाइफस्टाइल की आती है तो उसमें सभी चीज शामिल हो जाती हैं, जिसमें रहन-सहन, खानपान और दिनचर्या आता है. पहले लोगों खानपान और दिनचर्या अच्छी थी, जिसके चलते उनकी इम्यूनिटी भी बहुत अच्छी थी. लोग सात दिन तक बुखार उतारने का इंतजार करते थे. फिर उसके बाद विशेषज्ञ से मिलते थे, लेकिन अब लोगों की सहनशक्ति भी कम हुई है. दो घंटे किसी को बुखार आता है तो अगले तीसरे घंटे में वह विशेषज्ञ डॉक्टर के पास चले जाते हैं. नहीं तो खुद ही डॉक्टर बनकर कोई पेन रिलीफ या एंटीबायोटिक दवा का सेवन कर लेते हैं. दवाओं का लगातार सेवन करने से भी शरीर कमजोर होता है. शरीर के जो अंग हैं वह कमजोर होने लगते हैं और दवाओं का असर शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ता है. इसलिए अपने खान-पान पर लोगों को ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर खान-पान दिनचर्या अच्छी है तो सहनशक्ति भी व्यक्ति में होगी.'

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फिजियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नरसिंह वर्मा ने दी जानकारी

लखनऊ : केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभाग में रोजाना मोटापे से पीड़ित लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं. इसमें 12 से 18 वर्ष तक के बच्चे शामिल हैं. विशेषज्ञों की मानें तो मोटापा एक बीमारी की तरह लोगों में दिक्कत कर रहा है. अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट युक्त फूड्स खाने से लोग मोटापा की शिकार हो रहे हैं. मोटापे के कारण कई अन्य बीमारी भी व्यक्ति के शरीर में घर बनाती हैं. केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. नरसिंह वर्मा ने बताया कि 'बच्चे वीट बेली सिंड्रोम (गेंहू से निकला हुआ पेट) से अधिक पीड़ित हो रहे हैं. फिजियोलॉजी विभाग में आठ से 10 हजार बच्चों का सर्वे किया था, जिनमें यह पाया गया कि वह वीट बेली सिंड्रोम से पीड़ित हैं, जिसके चलते बहुत सारे बच्चे हाइपरटेंशन से ग्रसित हैं.'

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उन्होंने कहा कि 'वर्तमान समय में अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट के सेवन से लोग मोटापे के शिकार हो रहे हैं. कम उम्र में बच्चे अत्यधिक कार्बोहाइड्रेट का सेवन करते हैं, जिसके चलते बच्चे भी मोटापे के शिकार हो रहे हैं. विभाग में रोज इस तरह के मरीज आते हैं, जिन्हें मोटापे की समस्या है. अत्यधिक मोटा होना भी बीमारी से काम नहीं है. क्योंकि, मोटाई के साथ बहुत सारी बीमारियां भी शरीर में आने लगते हैं. उन्होंने बताया कि 100 ग्राम गेहूं में 339 कैलोरी होती है. इसमें 0 एमजी कोलेस्ट्रॉल होता है. गेहूं में 2 एमजी सोडियम और एमजी पोटैशियम होता है. 100 ग्राम गेहूं की कुल कार्बोहाइड्रेट सामग्री 71 ग्राम है. इसमें कैल्शियम की अनुशंसित दैनिक खुराक का 3%, लोहे का 19%, विटामिन बी -6 का 20%, और 36% मैग्नीशियम के साथ 14 ग्राम प्रोटीन होता है. हालांकि, इसमें 0% विटामिन ए, सी, डी, और बी-12 है.'

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सहनशक्ति भी हुई दूर : उन्होंने कहा कि 'बात जब लाइफस्टाइल की आती है तो उसमें सभी चीज शामिल हो जाती हैं, जिसमें रहन-सहन, खानपान और दिनचर्या आता है. पहले लोगों खानपान और दिनचर्या अच्छी थी, जिसके चलते उनकी इम्यूनिटी भी बहुत अच्छी थी. लोग सात दिन तक बुखार उतारने का इंतजार करते थे. फिर उसके बाद विशेषज्ञ से मिलते थे, लेकिन अब लोगों की सहनशक्ति भी कम हुई है. दो घंटे किसी को बुखार आता है तो अगले तीसरे घंटे में वह विशेषज्ञ डॉक्टर के पास चले जाते हैं. नहीं तो खुद ही डॉक्टर बनकर कोई पेन रिलीफ या एंटीबायोटिक दवा का सेवन कर लेते हैं. दवाओं का लगातार सेवन करने से भी शरीर कमजोर होता है. शरीर के जो अंग हैं वह कमजोर होने लगते हैं और दवाओं का असर शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ता है. इसलिए अपने खान-पान पर लोगों को ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर खान-पान दिनचर्या अच्छी है तो सहनशक्ति भी व्यक्ति में होगी.'

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