लखनऊ : अभी तक राजधानी के बड़े अस्पतालों में ही प्लास्टिक सर्जरी होती रही है, लेकिन अब बलरामपुर जिला अस्पताल में भी जल्द ही यह सुविधा मिलने लगेगी. यहां प्लास्टिक सर्जन की तैनाती होगी. अस्पताल में जो भी मरीज प्लास्टिक सर्जरी के लिए आते हैं, उन्हें केजीएमयू, लोहिया या पीजीआई रेफर किया जाता है. डॉक्टर नहीं होने के कारण यहां से हजारों मरीज अन्य अस्पतालों में भेजे जाते हैं. मौजूदा समय में जिला अस्पताल में 12 बेड का बर्न वॉर्ड है. इसमें भर्ती मरीजों का इलाज सर्जरी विभाग के डॉक्टर करते हैं.
प्रदेश के किसी भी जिला अस्पताल में प्लास्टिक सर्जरी के स्पेशलिस्ट डॉक्टर नियुक्त नहीं हैं. जो भी सर्जन अस्पताल में होते हैं, वहीं प्लास्टिक सर्जरी के मरीज को भी देखते हैं. हालांकि, जिला अस्पतालों में प्लास्टिक सर्जरी के जो केस आते हैं, उन्हें चिकित्सक मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर देते हैं. सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश भर से बर्न के मरीज सिविल अस्पताल में रेफर होकर आते हैं. उनका इलाज अस्पताल में होता है. ज्यादातर केस रेफर वाले होते हैं. इससे बर्न विभाग में मरीजों की संख्या अधिक होती है.
सिविल अस्पताल में एक ही वरिष्ठ बर्न सर्जन : उन्होंने बताया कि प्रयास रहता है कि मरीजों का इलाज अच्छी तरह हो जाए. सिविल अस्पताल में एक ही वरिष्ठ बर्न सर्जन डॉ. आरपी सिंह हैं. उनकी टीम ही बर्न यूनिट को संभाल रही है. बर्न विशेषज्ञ के पद खाली हैं. कोई डॉक्टर यहां ज्वाइन नहीं कर रहें हैं. बहुत सारे चिकित्सक प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं. सरकारी संस्थान में ज्वाइन करने से हिचकते हैं.
बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डॉ. संजय तेवतिया ने बताया कि प्लास्टिक सर्जरी उन डॉक्टरों के द्वारा की जाती है, जिन्होंने एमबीबीएस, एमसीएच इन प्लास्टिक सर्जरी किया है. पांच साल का जिला अस्पताल में अनुभव चाहिए होता है. बलरामपुर अस्पताल में पहले डॉ. अतुल मल्होत्रा, डॉ. राजीव लोचन, डॉ. प्रमोद कुमार सर्जन थे. वह प्लास्टिक सर्जरी के मरीजों को भी देखते थे. इन सभी सर्जनों के पास एक लंबा एक्सपीरियंस था.
एक से डेढ़ महीने में होनी है ज्वाइनिंग : बलरामपुर अस्पताल में सीनियर रेजिडेंट का एक पद है. एक डॉक्टर एमसीएच इन प्लास्टिक सर्जरी के विशेषज्ञ हैं. उनके पास भी अच्छा एक्सपीरियंस है. उन्हें अप्वॉइंट किया गया है. उन्होंने एमबीबीएस, एमएस, एमसीएच इन न्यूरोलॉजी किया है. विशेषज्ञ डॉक्टर हैं. एक से डेढ़ महीने में वह ज्वाइन करेंगे.
सीएमएस ने बताया कि प्लास्टिक सर्जरी विभाग में काफी मरीज इलाज के लिए आते हैं. उन्हें हम अन्य अस्पताल में रेफर करते हैं. कभी सिविल अस्पताल में भेजते हैं तो कभी मेडिकल कॉलेज. सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह प्लास्टिक सर्जरी और बर्न विभाग को संभालते हैं. ज्यादातर केस वहीं रेफर किया जाता है. जबकि, प्लास्टिक सर्जन नहीं होने के कारण बलरामपुर अस्पताल का बर्न विभाग काफी प्रभावित होता है. बर्न विभाग में प्लास्टिक सर्जन का होना अनिवार्य है. कई बार केस ऐसे आते हैं कि मरीज की स्थिति काफी खराब रहती है. ऐसे में उन्हें सर्जरी की जरूरत होती है, इसलिए इसकी वजह से काफी प्रभावित हुआ है.
केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में रोजाना पहुंचते हैं 250 मरीज : केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. ब्रजेश मिश्रा ने बताया कि केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में रोजाना ढाई सौ से अधिक मरीज ओपीडी में आते हैं. कभी-कभी इससे अधिक भी हो जाते हैं. प्रदेशभर से केजीएमयू में लोग इलाज के लिए आते हैं. प्लास्टिक सर्जरी कराने के लिए दूर-दराज से मरीज आते हैं. बर्न विभाग का कनेक्शन प्लास्टिक सर्जरी विभाग से होता है. कई बार केजीएमयू ट्रामा सेंटर में बर्न विभाग में केस आते हैं. मरीजों की त्वचा पूरी तरह से झुलसी रहती है.
उस समय प्लास्टिक सर्जन की खास जरूरत होती है. हालांकि बहुत सारे लोग जो एक अच्छी प्रोफाइल से ताल्लुक रखते हैं, वह आकर्षक और सुंदर दिखने के लिए प्लास्टिक सर्जरी कराते हैं. प्लास्टिक सर्जरी से शारीरिक सौंदर्य को बरकरार रखा जाता है. दुर्घटना, बीमारी या आग से जलने पर जब मानव अंग क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो ऐसे मरीजों की ट्रीटमेंट प्लास्टिक सर्जरी के माध्यम से की जाती है. मरीज फिर से स्वस्थ और सुंदर दिखने लगता है.
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