लखनऊ: योगी सरकार के मंत्री और आगरा से विधायक डॉक्टर जीएस धर्मेश ने बहुजन समाज पार्टी के दिवंगत नेता कांशीराम की मौत को रहस्यमय बताकर सनसनी फैला दी है. उन्होंने कांशीराम की बहन के आरोप का हवाला देते हुए कहा है कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर बहुजन समाज के नेता की मौत की जांच कराए जाने की मांग करेंगे.
उनके इस बयान के राजनीतिक मायने तलाशे जा रहे हैं. हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने पूरे मामले को उनकी निजी राय बताकर पल्ला झाड़ लिया है.
मुश्किल में फंस सकती हैं मायावती
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती इन दिनों भाजपा से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं. कई मुद्दों पर उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार का खुलकर समर्थन किया है और विपक्ष को भी आईना दिखाने की कोशिश की है.
भाजपा विधायक और योगी सरकार में नए-नए मंत्री बने डॉक्टर जीएस धर्मेश ने मायावती पर सीधा हमला बोलकर उन्हें मुश्किल में डालने की ऐसी कोशिश की है, जो बसपा के राजनीतिक ताने-बाने को ही बिगाड़ सकती है. मायावती पर कांशीराम के निकट संबंधियों ने पहले भी इसी तरह के गंभीर आरोप लगाए हैं.
ये भी पढ़ें: लखनऊ: यूपी को मुख्य सचिव की तलाश, कई अधिकारी हैं कतार में
मायावती पर लगा गंभीर आरोप
प्रदेश सरकार में समाज कल्याण और अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग के राज्यमंत्री धर्मेश ने कहा कि कांशीराम की बहन ने कहा था कि उनके भाई की मायावती ने हत्या की है. वह उनकी मौत के लिए जिम्मेदार हैं. कांशीराम से आखिरी दिनों में मायावती ने उनके परिजनों को मिलने नहीं दिया. इसी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कांशीराम की मौत की जांच होनी चाहिए और वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर जांच के लिए मांग करेंगे.
उनके इस बयान ने सियासी गलियारे में सनसनी मचा दी है, लेकिन भाजपा ने अभी इस पूरे मामले पर संभल कर प्रतिक्रिया दी है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई ने कहा कि वह इस मामले में कुछ नहीं कहेंगे.
ये भी पढ़ें: मायावती ने दक्षिण भारत के राज्यों के पदाधिकारियों के साथ की बैठक
भाजपा को हो सकता है फायदा
योगी सरकार के मंत्री के आरोप को लेकर भारतीय जनता पार्टी भले ही अपना दामन बचाने की कोशिश करती दिखाई दे, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इसके पीछे भाजपा बहुजन समाज पार्टी के राजनीतिक आधार को आघात पहुंचाने की कोशिश में है.
बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ लोकसभा चुनाव के दौरान गठबंधन किया. चुनाव में बसपा को सबसे ज्यादा कामयाबी मिली और अब विधानसभा के उपचुनाव में बसपा अकेले बूते ताल ठोंक रही है. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी की कोशिश उसके दलित जनाधार को मायावती से छिटकाने की है.