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चार साल पूरे होने पर जश्न नहीं मना सकेगी योगी सरकार, यह है वजह

योगी सरकार आगामी 19 मार्च को अपना चार साल पूरा कर रही है. सरकार के जश्न में इस बार पंचायत चुनाव बाधा बनेगा. कोर्ट के निर्देश के अनुसार यदि 17 मार्च तक आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कर चुनाव कार्यक्रम घोषित हुआ तो सरकार चार साल पूरा करने के अवसर पर उत्सव नहीं कर पाएगी. इसीलिए सरकार का जोर होगा कि 17 के बजाय 22 मार्च से चुनाव प्रक्रिया आरंभ हो.

completion of four years of yogi government
चार साल पूरे होने पर जश्न नहीं मना सकेगी योगी सरकार.
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Published : Feb 11, 2021, 10:27 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 19 मार्च 2017 को भाजपा नीत योगी आदित्यनाथ सरकार का गठन हुआ. सरकार ने पहले 100 दिन पूरा करने पर और फिर एक साल पूरे करने पर कार्यक्रम आयोजित किया था, लेकिन जब योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपना दो साल का कार्यकाल पूरा किया तो उस दौरान प्रदेश में लोकसभा चुनाव हो रहे थे. वहीं तीन साल पूरा करने पर सरकार के सेलिब्रेशन में कोरोना ने व्यवधान पैदा कर दिया. सीएम योगी वर्चुअल माध्यम से प्रदेश के जनप्रतिनिधियों और आम लोगों से संवाद किया. अब बात चौथे साल की करते हैं. इस बार 19 मार्च 2021 को भी सरकार चार साल पूरा करने के अवसर पर जश्न नहीं मना पाएगी.

जश्न नहीं मना सकेगी योगी सरकार.

दरअसल, कोर्ट के निर्देशानुसार 17 मार्च तक आरक्षण प्रक्रिया पूरी करनी है. इसके बाद सरकार निर्वाचन आयोग को आरक्षण की सूची सौंपेगी. सूची मिलने के बाद आयोग चुनाव कार्यक्रम जारी करेगा. इसके साथ ही प्रदेश में आचार संहिता लागू हो जाएगी. सरकार चाहेगी कि चुनाव की घोषणा 22 मार्च के बाद हो. ताकि वह अपना उत्सव कर सके.

पंचायत चुनाव को अवसर में बदलेगी सरकार एवं भाजपा
जानकारों का मानना है कि योगी सरकार कार्यक्रम आयोजित करके भले ही जश्न न मना पाए, लेकिन वह कोई अवसर तलाश लेती है. जश्न में अड़चन पैदा करने वाले पंचायत चुनाव को ही भाजपा अवसर में तब्दील कर लेगी. पार्टी ने इस बार पंचायत चुनाव लड़ने का एलान किया है. पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा का एक माह का अभियान मौजूदा समय में चल रहा है. चुनाव के दौरान भी पार्टी के नेता क्षेत्रों में सभाएं करेंगे, गांव-गांव जाएंगे और लोगों को केंद्र और राज्य सरकार के कामकाज के बारे में बताएंगे. सरकारों के उत्सव का भी मकसद यही होता है.

सरकार के प्रति जनता का भरोसा ही उत्सव
भाजपा प्रवक्ता हीरो बाजपेयी कहते हैं कि सरकारें जनता के द्वारा जनता के हितों के लिए चुनी जाती हैं. मुझे लगता है किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार के लिए उत्सव यह होता है कि जनता माने कि सरकार उसके हितों के लिए कार्य कर रही है. पिछले चार साल में योगी सरकार के प्रति जनता का विश्वास बढ़ा है. कोविड काल में जिस तरह से उन्होंने कमान संभाली, सरकार का कोई भी कार्य हो, अयोध्या में दीपोत्सव, मथुरा में होलिकोत्सव या विकास कार्यों का जायजा, हर तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरी सक्रियता से काम कर रहे हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ रहे हैं. मुख्यमंत्री ने गुंडा माफियाओं से जमीन खाली कराने का काम किया है. अपराधियों को जेल में डाला है. सरकार के लिए यही उत्सव है. यही वजह है कि जनता का विश्वास भी योगी सरकार के प्रति लगातार बना हुआ है. आने वाले चुनाव हों या पिछले चुनाव, सब में जनता ने उन पर भरोसा जताया है. सरकार के लिए असली उत्सव यही है.

सरकार के लिए चुनाव ही उत्सव
राजनीतिक विश्लेषक विजय उपाध्याय कहते हैं कि सरकारों का वैसे तो कोई सालाना उत्सव या जन्मदिन जैसा कंसेप्ट नहीं है. हमारे लोकतंत्र में परंपराएं बहुत महत्वपूर्ण हैं. हमारे देश के किसी भी राज्य में इस तरह की कोई परंपरा नहीं है कि सरकार साल पूरा करने पर जश्न मनाए. सरकार का उत्सव चुनाव होता है. वह पांच साल में एक बार आएगा. सरकार जब पांच साल पूरा करके चुनाव में जाएगी तो जनता की कसौटी पर उसे खरा उतरना होगा. दूसरी बात यह कि प्रदेश में पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं. यह किसी भी राजनीतिक दल और सरकार के लिए उत्सव हो सकता है.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में 19 मार्च 2017 को भाजपा नीत योगी आदित्यनाथ सरकार का गठन हुआ. सरकार ने पहले 100 दिन पूरा करने पर और फिर एक साल पूरे करने पर कार्यक्रम आयोजित किया था, लेकिन जब योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपना दो साल का कार्यकाल पूरा किया तो उस दौरान प्रदेश में लोकसभा चुनाव हो रहे थे. वहीं तीन साल पूरा करने पर सरकार के सेलिब्रेशन में कोरोना ने व्यवधान पैदा कर दिया. सीएम योगी वर्चुअल माध्यम से प्रदेश के जनप्रतिनिधियों और आम लोगों से संवाद किया. अब बात चौथे साल की करते हैं. इस बार 19 मार्च 2021 को भी सरकार चार साल पूरा करने के अवसर पर जश्न नहीं मना पाएगी.

जश्न नहीं मना सकेगी योगी सरकार.

दरअसल, कोर्ट के निर्देशानुसार 17 मार्च तक आरक्षण प्रक्रिया पूरी करनी है. इसके बाद सरकार निर्वाचन आयोग को आरक्षण की सूची सौंपेगी. सूची मिलने के बाद आयोग चुनाव कार्यक्रम जारी करेगा. इसके साथ ही प्रदेश में आचार संहिता लागू हो जाएगी. सरकार चाहेगी कि चुनाव की घोषणा 22 मार्च के बाद हो. ताकि वह अपना उत्सव कर सके.

पंचायत चुनाव को अवसर में बदलेगी सरकार एवं भाजपा
जानकारों का मानना है कि योगी सरकार कार्यक्रम आयोजित करके भले ही जश्न न मना पाए, लेकिन वह कोई अवसर तलाश लेती है. जश्न में अड़चन पैदा करने वाले पंचायत चुनाव को ही भाजपा अवसर में तब्दील कर लेगी. पार्टी ने इस बार पंचायत चुनाव लड़ने का एलान किया है. पंचायत चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा का एक माह का अभियान मौजूदा समय में चल रहा है. चुनाव के दौरान भी पार्टी के नेता क्षेत्रों में सभाएं करेंगे, गांव-गांव जाएंगे और लोगों को केंद्र और राज्य सरकार के कामकाज के बारे में बताएंगे. सरकारों के उत्सव का भी मकसद यही होता है.

सरकार के प्रति जनता का भरोसा ही उत्सव
भाजपा प्रवक्ता हीरो बाजपेयी कहते हैं कि सरकारें जनता के द्वारा जनता के हितों के लिए चुनी जाती हैं. मुझे लगता है किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार के लिए उत्सव यह होता है कि जनता माने कि सरकार उसके हितों के लिए कार्य कर रही है. पिछले चार साल में योगी सरकार के प्रति जनता का विश्वास बढ़ा है. कोविड काल में जिस तरह से उन्होंने कमान संभाली, सरकार का कोई भी कार्य हो, अयोध्या में दीपोत्सव, मथुरा में होलिकोत्सव या विकास कार्यों का जायजा, हर तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूरी सक्रियता से काम कर रहे हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ रहे हैं. मुख्यमंत्री ने गुंडा माफियाओं से जमीन खाली कराने का काम किया है. अपराधियों को जेल में डाला है. सरकार के लिए यही उत्सव है. यही वजह है कि जनता का विश्वास भी योगी सरकार के प्रति लगातार बना हुआ है. आने वाले चुनाव हों या पिछले चुनाव, सब में जनता ने उन पर भरोसा जताया है. सरकार के लिए असली उत्सव यही है.

सरकार के लिए चुनाव ही उत्सव
राजनीतिक विश्लेषक विजय उपाध्याय कहते हैं कि सरकारों का वैसे तो कोई सालाना उत्सव या जन्मदिन जैसा कंसेप्ट नहीं है. हमारे लोकतंत्र में परंपराएं बहुत महत्वपूर्ण हैं. हमारे देश के किसी भी राज्य में इस तरह की कोई परंपरा नहीं है कि सरकार साल पूरा करने पर जश्न मनाए. सरकार का उत्सव चुनाव होता है. वह पांच साल में एक बार आएगा. सरकार जब पांच साल पूरा करके चुनाव में जाएगी तो जनता की कसौटी पर उसे खरा उतरना होगा. दूसरी बात यह कि प्रदेश में पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं. यह किसी भी राजनीतिक दल और सरकार के लिए उत्सव हो सकता है.

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