लखनऊ: जन और जमीन की सेहत के लिए जैविक खेती समय की जरूरत है, लेकिन इस खेती की सबसे बड़ी समस्या उत्पादों की गुणवत्ता और बाजार में वाजिब दाम को लेकर है. जीरो बजट खेती के लिए प्रदेश को जैविक खेती का हब बनाने के लिए योगी सरकार दोनों समस्याओं का हल करने जा रही है. जैविक उत्पादों की गुणवत्ता जांचने के लिए सरकार वाराणसी और मेरठ में एनएबीएल प्रयोगशाला स्थापित कर रही है. बाजार के लिए पहले चरण में हर मंडल मुख्यालय के मंडी परिषद में जैविक आउटलेट स्थापित किये गए हैं. इसके अलावा हर जिला मुख्यालय की मंडी में भी इसी तरह आउटलेट स्थापित किए जाएंगे.
68 हजार हेक्टेयर में क्लस्टर खेती
सरकार चार दर्जन से अधिक जिलों में 50-50 एकड़ के क्लस्टर में 68 हजार हेक्टेयर पर जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है. संबंधित जिलों के उन क्षेत्रों को क्लस्टर के लिए चुना गया है जहां की उत्पादकता कम है. जहां के किसान मानसून के सहारे परंपरागत खेती करते हैं, साथ ही अपेक्षाकृत कम रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं.
प्रत्येक क्लस्टर होगा 50 एकड़ का
जैविक खेती प्रदेश के करोड़ों किसानों की समृद्धि का आधार बने, इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा प्रदेश को जैविक खेती का हब बनाने की है. इसके लिए पहले चरण में प्रदेश के करीब पांच दर्जन जिलों के 68 हजार हेक्टेयर रकबे में जैविक फसलें लहराएंगी. गंगा की अविरलता और निर्मलता के मद्देनजर गंगा के किनारे के सभी जिलों को इसमें शामिल किया गया है. जिन जिलों को जैविक खेती के लिए चुना गया है, उनमें 36 जिले परंपरागत कृषि और 27 जिले नमामि गंगे परियोजना में शामिल हैं. खेती नियोजित रूप से हो, इसकी बेहतर तरीके से मॉनिटरिंग हो, इसके लिए सरकार का एप्रोच क्लस्टर खेती का होगा. हर क्लस्टर 50 एकड़ का होगा.
प्रति क्लस्टर तीन साल में मिलेगा 10 लाख रुपये का अनुदान
खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार तीन साल में प्रति क्लस्टर 10 लाख रुपये का अनुदान भी देगी. पहले और तीसरे साल 3.50-3.50 लाख और दूसरे साल 3.40 लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा. अनुदान की राशि में से 38 फ़ीसदी क्लस्टर के गठन, किसानों की क्षमता बढ़ाने, मूल्य संवर्धन, ब्रांडिंग और पैकेजिंग आदि पर खर्च होगा. बाकी 62 फीसदी रकम जैविक फसल की जरूरत के अनुसार कृषि निवेश के रूप में किसानों को दी जाएगी.
खेत की तैयारी से लेकर बाजार तक मदद करेगी सरकार
जैविक खेती का तौर-तरीका इसमें प्रयुक्त होने वाले कृषि निवेशों के बारे में जागरूकता के लिए क्लस्टर में शामिल किसानों को जैविक खेती के क्षेत्रों पर विजिट कराया जाएगा. विजिट के बाद उनको खेत की तैयारी, हरी खाद का प्रबंधन, नर्सरी की तैयारी, पंचगव्य, जीवामृत, वर्मी कंपोस्ट, जैविक तरीके से कीटों और रोगों के प्रबंधन और वैल्यू एडिशन के लिए किसानों को उत्पाद की सफाई, ग्रेडिंग, पैकेजिंग, लेवलिंग का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा.
जैविक खेती दो योजनाओं के जरिए होगी, पहली योजना परंपरागत कृषि योजना और नमामि गंगे योजना. परंपरागत कृषि योजना के तहत 36 जिलों में और नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा जिन 27 जिलों से होकर गुजरती है उसके तटवर्ती सभी 1038 ग्राम पंचायतों में जैविक खेती होनी है. इनमें से 16 जिलों में कृषि विभाग और बाकी में यूपी डास्प खेती कराएगा. दोनों परियोजनाओं में कुछ जिले कॉमन हैं.
-डॉ आनंद त्रिपाठी, अपर निदेशक प्रसार, कृषि विभाग
जैविक खेती के लिए चयनित जिले
झांसी, जालौन, ललितपुर, बांदा, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट, मिर्जापुर, गोरखपुर, पीलीभीत, गोंडा, आगरा, मथुरा, वाराणसी, कौशांबी, फतेहपुर, देवरिया, फर्रुखाबाद, उन्नाव, रायबरेली, बहराइच, बाराबंकी, श्रावस्ती, फैजाबाद, कानपुर देहात, आजमगढ़, सुल्तानपुर, कानपुर नगर, फिरोजाबाद, बदायूं, अमरोहा, बिजनौर, चंदौली, सोनभद्र, बलरामपुर, सिद्धार्थ नगर, संत रविदास नगर, प्रयागराज, प्रतापगढ़, रायबरेली, कन्नौज, अलीगढ़, संभल, हापुड़, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बलिया, गाजीपुर, उन्नाव, हरदोई, शाहजहांपुर, कासगंज और बुलंदशहर जिले का चयन किया गया है.