लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है. बुंदेलखंड क्षेत्र के ललितपुर जिले में बल्क ड्रग फार्मा पार्क विकसित करने की प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ ली है. यह पार्क देश की फार्मा जरूरतों को पूरा करने और भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.
सीएम सूचना विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, फार्मा पार्क के लिए सैदपुर ग्राम पंचायत में पशुपालन विभाग के स्वामित्व वाली 2000 एकड़ भूमि में से करीब 1500 एकड़ भूमि को राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) को निःशुल्क हस्तांतरित किया है. इस भूमि पर दवा कंपनियां फैक्ट्रियां स्थापित करके यहां दवाइयों का निर्माण करेंगी. इस भूमि पर फार्मा पार्क विकसित करने के लिए वर्ल्ड क्लास कॉमन इंफ्रास्ट्रक्चर फैसिलिटीज (सीआईएफ) तैयार की जाएगी. यह परियोजना न केवल ललितपुर बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी.
सीएम सूचना विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, ललितपुर में प्रस्तावित बल्क ड्रग फार्मा पार्क राज्य और देश के लिए फार्मास्यूटिकल उत्पादों के निर्माण में एक पावर हाउस के रूप में कार्य करेगा. इस परियोजना का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाली, किफायती दवाओं का उत्पादन करना है. बल्क ड्रग प्रोडक्शन के क्षेत्र में यह पार्क भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूती प्रदान करेगा. ललितपुर बल्क ड्रग फार्मा पार्क पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर विकसित किया जाएगा. इस परियोजना के तहत ग्लोबल फार्मा सेक्टर के लीडर्स को आकर्षित करने के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) पहले ही जारी कर दी गई है.
सीएम सूचना विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक, फार्मा पार्क को सड़क और रेल नेटवर्क के माध्यम से विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे और उत्कृष्ट कनेक्टिविटी से जोड़ा जा रहा है. इसके तहत लॉजिस्टिक्स की सुविधाजनक आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सड़कें और रेल लिंक तैयार किए जाएंगे. इस परियोजना के तहत ललितपुर और आस-पास के क्षेत्रों में औद्योगिक टाउनशिप, सेक्टोरल स्पेसिफिक इंडस्ट्रियल पार्क्स और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों का विकास होगा. इसके साथ ही परियोजना के माध्यम से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों रोजगार के अवसर सृजित होंगे. फार्मा पार्क को पर्यावरण संरक्षण के मानकों का पालन करते हुए विकसित किया जाएगा. इसमें केमिकल डिस्चार्ज के निस्तारण के लिए जीरो लिक्विड डिस्चार्ज जैसी स्टैंडर्ड प्रैक्टिस को अपनाया जाएगा.