लखनऊ: योगी सरकार करीब 3 महीने से कार्यवाहक मुख्य सचिव के भरोसे चल रही हैं. राज्य सरकार स्थाई मुख्य सचिव की नियुक्ति नहीं कर पा रही है. स्थाई मुख्य सचिव की नियुक्ति न हो पाने की वजह से जहां प्रशासनिक कामकाज प्रभावित हो रहा हैं. वहीं, सरकारी योजनाओं की रफ्तार भी कम हो गई है. इसे लेकर प्रशासनिक महकमे में सवाल उठने शरू हो गए हैं कि आखिर सरकार चाहती क्या है.
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव रहे अनूप चंद्र पांडे 31 अगस्त को सेवानिवृत्त हुए थे इसके बाद राज्य सरकार ने 1985 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, कृषि उत्पादन आयुक्त और 1985 राजेंद्र कुमार तिवारी को यूपी का कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त किया. 3 महीने में सिर्फ कुछ दिन बाकी है, लेकिन राज्य सरकार कार्यवाहक मुख्य सचिव की जगह पर स्थाई मुख्य सचिव की तैनाती नहीं कर पाई है, जिससे सरकारी कामकाज और ब्यूरोक्रेसी में मुख्य सचिव की पकड़ जैसी तमाम समस्याएं सामने आ रही हैं.
कई वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि अगर स्थाई मुख्य सचिव हो तो कामकाज की रफ्तार स्वाभाविक रूप से तेजी रहती है. जो कार्यवाहक मुख्य सचिव होते हैं उनके अंदर भी कॉन्फिडेंस की कमी रहती है कि वह किस प्रकार से बड़े प्रशासनिक फैसले ले. ऐसे में सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द स्थाई मुख्य सचिव की नियुक्ति करें, ताकि कामकाज बेहतर ढंग से संपादित कराए जा सकें.
यह भी पढ़ें: बलरामपुर: यूपी में कुपोषण का 'कहर' गांव- गांव, शहर-शहर
पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन कहना हैं कि स्थाई मुख्य सचिव न होने से प्रशासनिक कामकाज और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी असर पड़ता है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द मुख्य सचिव बनाया जाए, जिससे प्रशासनिक कामकाज तेजी से संपादित हो.