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तीन महीने से कार्यवाहक मुख्य सचिव के भरोसे योगी सरकार, स्थाई नियुक्ति को लेकर असमंजस

योगी सरकार करीब 3 महीने से कार्यवाहक मुख्य सचिव के भरोसे चल रही हैं. सरकार स्थाई मुख्य सचिव की नियुक्ति नहीं कर पा रही है, जिससे प्रशासनिक महकमे में सवाल उठने शरू हो गए हैं.

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मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर असमंजस में योगी सरकार.
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Published : Nov 30, 2019, 4:34 AM IST

Updated : Nov 30, 2019, 12:23 PM IST

लखनऊ: योगी सरकार करीब 3 महीने से कार्यवाहक मुख्य सचिव के भरोसे चल रही हैं. राज्य सरकार स्थाई मुख्य सचिव की नियुक्ति नहीं कर पा रही है. स्थाई मुख्य सचिव की नियुक्ति न हो पाने की वजह से जहां प्रशासनिक कामकाज प्रभावित हो रहा हैं. वहीं, सरकारी योजनाओं की रफ्तार भी कम हो गई है. इसे लेकर प्रशासनिक महकमे में सवाल उठने शरू हो गए हैं कि आखिर सरकार चाहती क्या है.

मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर असमंजस में योगी सरकार.

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव रहे अनूप चंद्र पांडे 31 अगस्त को सेवानिवृत्त हुए थे इसके बाद राज्य सरकार ने 1985 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, कृषि उत्पादन आयुक्त और 1985 राजेंद्र कुमार तिवारी को यूपी का कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त किया. 3 महीने में सिर्फ कुछ दिन बाकी है, लेकिन राज्य सरकार कार्यवाहक मुख्य सचिव की जगह पर स्थाई मुख्य सचिव की तैनाती नहीं कर पाई है, जिससे सरकारी कामकाज और ब्यूरोक्रेसी में मुख्य सचिव की पकड़ जैसी तमाम समस्याएं सामने आ रही हैं.

कई वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि अगर स्थाई मुख्य सचिव हो तो कामकाज की रफ्तार स्वाभाविक रूप से तेजी रहती है. जो कार्यवाहक मुख्य सचिव होते हैं उनके अंदर भी कॉन्फिडेंस की कमी रहती है कि वह किस प्रकार से बड़े प्रशासनिक फैसले ले. ऐसे में सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द स्थाई मुख्य सचिव की नियुक्ति करें, ताकि कामकाज बेहतर ढंग से संपादित कराए जा सकें.

यह भी पढ़ें: बलरामपुर: यूपी में कुपोषण का 'कहर' गांव- गांव, शहर-शहर

पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन कहना हैं कि स्थाई मुख्य सचिव न होने से प्रशासनिक कामकाज और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी असर पड़ता है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द मुख्य सचिव बनाया जाए, जिससे प्रशासनिक कामकाज तेजी से संपादित हो.

लखनऊ: योगी सरकार करीब 3 महीने से कार्यवाहक मुख्य सचिव के भरोसे चल रही हैं. राज्य सरकार स्थाई मुख्य सचिव की नियुक्ति नहीं कर पा रही है. स्थाई मुख्य सचिव की नियुक्ति न हो पाने की वजह से जहां प्रशासनिक कामकाज प्रभावित हो रहा हैं. वहीं, सरकारी योजनाओं की रफ्तार भी कम हो गई है. इसे लेकर प्रशासनिक महकमे में सवाल उठने शरू हो गए हैं कि आखिर सरकार चाहती क्या है.

मुख्य सचिव की नियुक्ति को लेकर असमंजस में योगी सरकार.

उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव रहे अनूप चंद्र पांडे 31 अगस्त को सेवानिवृत्त हुए थे इसके बाद राज्य सरकार ने 1985 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, कृषि उत्पादन आयुक्त और 1985 राजेंद्र कुमार तिवारी को यूपी का कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त किया. 3 महीने में सिर्फ कुछ दिन बाकी है, लेकिन राज्य सरकार कार्यवाहक मुख्य सचिव की जगह पर स्थाई मुख्य सचिव की तैनाती नहीं कर पाई है, जिससे सरकारी कामकाज और ब्यूरोक्रेसी में मुख्य सचिव की पकड़ जैसी तमाम समस्याएं सामने आ रही हैं.

कई वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि अगर स्थाई मुख्य सचिव हो तो कामकाज की रफ्तार स्वाभाविक रूप से तेजी रहती है. जो कार्यवाहक मुख्य सचिव होते हैं उनके अंदर भी कॉन्फिडेंस की कमी रहती है कि वह किस प्रकार से बड़े प्रशासनिक फैसले ले. ऐसे में सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द स्थाई मुख्य सचिव की नियुक्ति करें, ताकि कामकाज बेहतर ढंग से संपादित कराए जा सकें.

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पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन कहना हैं कि स्थाई मुख्य सचिव न होने से प्रशासनिक कामकाज और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी असर पड़ता है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द मुख्य सचिव बनाया जाए, जिससे प्रशासनिक कामकाज तेजी से संपादित हो.

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार करीब 3 महीने से कार्यवाहक मुख्य सचिव के भरोसे चल रहे हैं। राज्य सरकार स्थाई मुख्य सचिव की नियुक्ति नहीं कर पा रही जिसको लेकर तमाम तरह के सवाल भी उठ रहे हैं।
सवाल यह उठ रहे हैं कि स्थाई नियुक्ति को लेकर सरकार न सिर्फ असमंजस में है बल्कि निर्णय की स्थिति में भी बनी हुई है। उत्तर प्रदेश में स्थाई मुख्य सचिव की नियुक्ति ना हो पाने की वजह से प्रशासनिक कामकाज भी प्रभावित हो रहे हैं सरकारी योजनाओं की रफ्तार भी ढीली है।




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उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव रहे अनूप चंद्र पांडे 31 अगस्त को सेवानिवृत्त हुए थे जिसके बाद राज्य सरकार ने 1985 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी कृषि उत्पादन आयुक्त व 1985 राजेंद्र कुमार तिवारी को यूपी का कार्यवाहक मुख्य सचिव नियुक्त किया था। 3 महीने में सिर्फ कुछ दिन बाकी है, लेकिन राज्य सरकार कार्यवाहक मुख्य सचिव की जगह पर स्थाई मुख्य सचिव की तैनाती नहीं कर पाई। जिससे सरकारी कामकाज व ब्यूरोक्रेसी में मुख्य सचिव की पकड़ जैसी तमाम समस्याएं सामने आ रहे हैं। इसको लेकर प्रशासनिक महकमे में सवाल भी उठ रहे हैं कि सरकार आखिर चाहती क्या है उत्तर प्रदेश में स्थाई मुख्य सचिव की नियुक्ति क्यों नहीं हो पा रही।
कई वरिष्ठ अधिकारी कहते भी हैं कि अगर स्थाई मुख्य सचिव हो तो कामकाज की रफ्तार स्वाभाविक रूप से तेजी रहती है जो कार्यवाहक मुख्य सचिव होते हैं उनके अंदर भी कॉन्फिडेंस की कमी रहती है कि वह किस प्रकार से बड़े प्रशासनिक फैसले ले ऐसे में सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द स्थाई मुख्य सचिव की नियुक्ति करें और कामकाज बेहतर ढंग से संपादित कराए जा सकें।

बाईट, आलोक रंजन, पूर्व मुख्य सचिव यूपी
मुख्य सचिव का पद एक शीर्षस्थ पद है ब्यूरोक्रेसी का या शासन का होता है मैं समझता हूं कि कार्यवाहक मुख्य सचिव ज्यादा दिन तक नहीं रखने की बात होनी चाहिए कायदे से जो भी हो उसको परमानेंट चीफ सेक्रेट्री बनाना चाहिए अभी तक मैं नहीं समझता कि किस परिस्थिति में यह निर्णय नहीं लिया जा सका जहां तक मैं समझ रहा हूं ढाई महीने से अधिक हो गए हैं कार्यवाहक के रूप में राजेंद्र कुमार तिवारी मुख्य सचिव का काम कर रहे हैं यह उचित होगा कि जल्दी से जल्दी या तो उनको ही कंफर्म कर दें या किसी और को स्थाई मुख्य सचिव बनाया जाए। इस संबंध में जल्द से जल्द निर्णय लेना चाहिए।
स्थायी मुख्य सचिव होने से शासन की कार्यप्रणाली में आती है स्थिरता
स्थाई मुख्य सचिव होने से शासन की कार्यप्रणाली में भी स्थिरता आती है। एक कन्फर्म होते हैं वह भी अपनी पूरी अथॉरिटी और पावर के साथ अधिकारों का इस्तेमाल कर पाते हैं और प्रशासन में उसकी पकड़ भी रहती है और अधिकारी उनकी रिस्पेक्ट भी करते हैं इसके लिए आवश्यक है कि जल्द से जल्द निर्णय लिए जाने चाहिए।




Conclusion:पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन कहते हैं कि स्थाई मुख्य सचिव ना होने से प्रशासनिक कामकाज और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी असर पड़ता है ऐसे में सरकार को चाहिए कि जिसे भी बनाना है उसे जल्द से जल्द मुख्य सचिव बनाया जाए जिससे प्रशासनिक कामकाज तेजी से संपादित हो और योजनाओं का धरातल तक पहुंचने का जो काम है वह तेजी से हो सके इस संबंध में राज्य सरकार को जल्द से जल्द निर्णय लेना चाहिए।
BJP बोली, कार्यवाहक मुख्य सचिव होने से कोई असर नहीं, सही समय आने पर होगी नियुक्ति
बाईट 2
हीरो वाजपेयी प्रदेश प्रवक्ता भाजपा
ऐसा नहीं है जो कार्यवाहक मुख्य सचिव है वह सारे काम ठीक ढंग से निपटा रहे हैं। संवैधानिक संस्थाएं उनके अनुसार काम कर रही हैं वही सम्मान भी उन्हें मिल रहा है। सरकार की जहां तक बात है मुख्य सचिव नियुक्त करने को लेकर सरकार इस पर ध्यान दे रही है और उचित और सही समय आने पर मुख्य सचिव की नियुक्ति की जाएगी, लेकिन मुख्य सचिव पद पर कार्यवाहक होने से कोई असर नहीं पड़ता।

जानकार बताते हैं कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार के स्तर पर किसी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य का मुख्य सचिव बनाए जाने को लेकर सामान्य से नहीं बन पा रहा। जिसको लेकर स्थाई मुख्य सचिव की नियुक्ति नहीं हो पा रही। कई वरिष्ठ आईएएस अफसर मुख्य सचिव की रेस में भी है। अब देखने वाली बात यह होगी कि राज्य सरकार कब तक किस अफसर को मुख्य सचिव बनाती है या आने वाले कुछ समय और भी राजेंद्र कुमार तिवारी को कार्यवाहक मुख्य सचिव बनाकर काम चलाती है।
Last Updated : Nov 30, 2019, 12:23 PM IST
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