लखनऊ: बढ़ते प्रदूषण के प्रकोप को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ की चिंता बुधवार को उस वक्त दिखाई दी, जब वह गन्ना किसानों को संबोधित कर रहे थे. वेब पोर्टल की लांचिंग के अवसर पर उन्होंने ने गन्ना किसानों से पराली न जलाने की भावुक अपील की.
धरती पुत्र न करें धरती को क्षति पहुंचाने वाला काम
सीएम योगी ने कहा कि, किसान धरती मां के पुत्र हैं और उन्हें विश्वास है कि वह धरती माता को क्षति पहुंचाने वाला कोई भी कदम नहीं उठाएंगे. प्रदूषण से जीव-जंतुओं को ही नहीं बल्कि पेड़-पौधों को भी नुकसान होता है. उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार किसानों को पराली का भुगतान करने की योजना तैयार कर रही है.
पराली का पैसा किसानों को देगी सरकार
सीएम ने कहा कि, सरकार चाहती है कि पराली का पैसा भी किसानों को मिले. इसलिए सरकार पेट्रोलियम कंपनियों के साथ एक प्रोजेक्ट पर चर्चा कर रही है. इस पराली से पेट्रोलियम पदार्थ बनाया जाएगा. पूर्वांचल में इसके लिए दो यूनिट लगाने को लेकर तैयारी चल रही है.
किसानों की समस्या का होगा निपटारा
उन्होंने कहा कि, अगर ये दोनों यूनिट संचालित होनी शुरू हो गईं तो इससे किसानों की तमाम समस्याओं का निपटारा हो जाएगा. किसानों को पराली अपने खेत में जलाना नहीं पड़ेगा. पराली कंपनियां खरीद लेंगी. उसके एवज में उन्हें पैसा भी मिलेगा. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा कि शुगर डेवलपमेंट फंड स्थापित किया जाना चाहिए ताकि चीनी मिलों के आधुनिकीकरण की दिशा में बेहतर काम किया जा सके.
पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले काम न करें
सीएम योगी ने कहा कि, मनुष्य के साथ-साथ पेड़-पौधों में भी जीवन होता है. मुझे याद है कि भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक ने पेड़-पौधों की संवेदनशीलता पर एक शोध किया था. उन्होंने दो पौधे अपने बाग में लगाए. दोनों पौधों को समान पानी खाद दिया, लेकिन एक पेड़ को वह पुचकारते थे. भविष्य की शुभकामनाएं देते थे. दूसरे को उसी परिस्थिति में बद्दुआ देते थे. उस पौधे के सामने जाकर कहते थे कि तू नष्ट हो जाएगा. बर्बाद हो जाएगा. एक समय बाद वह सूख गया, जिसके साथ अच्छा व्यवहार करते थे, वह पेड़ हरा भरा था. इसलिए ऐसा कोई कार्य न करें, जिससे पौधों को नुकसान पहुंचे.
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सीएम योगी ने पराली के साथ-साथ गन्ने की पत्तियों को भी न जलाने की अपील की. उन्होंने कहा कि पराली हो या गन्ने की पत्ती, इसे खेत में ही पानी चलाकर जुताई कर दिया जाए, तो उसकी खाद बन जाएगी. अलग जगहों पर भी इसका उपयोग किया जा सकता है, लेकिन हमें संकल्प लेना चाहिए कि किसी भी प्रकार से पराली को खेतों में न जलाया जाए. इससे तमाम कीट पतंग भी मरते हैं, जो कृषि के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं.