लखनऊ : देश के सबसे ज्यादा पशु आबादी वाले उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने पशुपालन विभाग को पशुओं की नस्ल सुधार के साथ 60 लाख लीटर दुग्ध उत्पादन का लक्ष्य दिया है. इसके बाद विभाग की तरफ से चार माह से ज्यादा समय तक प्रदेश के सभी 75 जनपदों में एक अभियान चलाया गया. इस अभियान का नाम था कृत्रिम गर्भाधान (AI ) अभियान. 131 दिन के इस अभियान में उन्नत नस्ल के सीमेन को गाय और भैस में स्थापित किया गया. इस अभियान के तहत प्रदेश भर में अब तक 65 लाख पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान का काम पूरा किया जा चुका है.
गायों-भैंसों की नस्ल सुधार में जुटा पशुपालन विभाग, यह तकनीक और योजना चढ़ रही परवान. गर्भाधान में अच्छी नस्ल के सांड का इस्तेमाल देश के अंदर अच्छी नस्ल के सांडों की संख्या लगातार घटती ही जा रही है. उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग के अपर निदेशक गोधन डॉ. राजेश कुमार बताते हैं कि गाय के लिए कृत्रिम गर्भाधान काफी सस्ता एवं सुलभ है. वे बताते हैं कि कृत्रिम गर्भाधान की प्रक्रिया में बेहतर सांड का प्रयोग किया जाता है. प्राकृतिक तरीके से सप्ताह में सिर्फ दो गायों का ही गर्भाधान कराया जाता है, जबकि उसके वीर्य (sperm) को निकालकर करीब 400 गायों का कृत्रिम गर्भाधान कराया जा सकता है. इस विधि से पशुओं में बीमारियां भी ट्रांसफर नहीं होती हैं.
गायों-भैंसों की नस्ल सुधार में जुटा पशुपालन विभाग, यह तकनीक और योजना चढ़ रही परवान. नस्ल सुधार के लिए आवश्यक है तकनीक अपर निदेशक गोधन डॉ. राजेश कुमार का कहना है कि गाय और भैंस के लिए देश भर में अच्छी नस्ल का सीमेन उपलब्ध है. कृत्रिम गर्भाधान अभियान के माध्यम से नस्ल सुधार के लिए चलाए जा रहे एआई अभियान से अच्छी नस्ल के मवेशियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. अभी तक उत्तर प्रदेश में कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम का कवरेज 30 फ़ीसदी था. पशुपालन विभाग बेहतर कार्य कर रहा है. राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत चलाए था जिसे बढ़ाकर 50 फ़ीसदी तक करने का लक्ष्य तय किया गया है. अपर निदेशक बताते हैं कि प्रदेश में कृत्रिम गर्भाधान अभियान से अच्छी नस्ल के मवेशियों की संख्या में इजाफा होगा तो दुग्ध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी. इस अभियान में पशुपालन विभाग को निर्धारित लक्ष्य का 86 फ़ीसदी तक सफलता मिली है. पशुपालकों को घर बैठे मनचाही नस्ल के सीमेन से गर्भाधान कराने की सुविधा मिल रही है.
सस्ती विधि है कृत्रिम गर्भाधान कृत्रिम गर्भाधान एक सस्ती विधि है. उत्तर प्रदेश में किसानों को यह सुविधा घर बैठे उपलब्ध है. सरकार की तरफ़ से कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा किसान के दरवाजे पर मिलती है. इसके माध्यम से पशुपालकों के समय के साथ ही श्रम की भी बचत होती है. गाय को सांड के पास ले जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. कृत्रिम गर्भाधान एक सस्ती विधि है. पशुपालकों से इसके लिए किसी तरह की कोई धनराशि भी नहीं ली जाती है.
कृतिम गर्भाधान से बढ़ेगा दुग्ध उत्पादन दुग्ध उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर था, लेकिन खराब नस्ल की वजह से अब दुग्ध उत्पादन में यूपी राजस्थान से पिछड़ गया है. ऐसे में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने पिछले साल 15 नवंबर से 100 दिवसीय अभियान की शुरुआत की थी. इसके तहत प्रदेश के सभी 75 जिलों में गाय और भैंस के 75 लाख गर्भाधान किए जाने का लक्ष्य रखा गया. पहले 25 फरवरी तक ये अभियान चलना था लेकिन बाद में इसे मार्च 2023 तक के लिए बढ़ा दिया गया. पशुपालन विभाग को 131 दिन के अंदर प्रदेश में 65 लाख पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान करने में सफलता मिली है, जो निर्धारित लक्ष्य का 86 प्रतिशत है. प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में भविष्य में बड़ा बदलाव परिलक्षित होगा.
गायों-भैंसों की नस्ल सुधार में जुटा पशुपालन विभाग. अपर निदेशक गोधन डॉ. राजेश कुमार बताते हैं कि अभी तक उत्तर प्रदेश में 372 लाख मीट्रिक टन दूध उत्पादित होता है. इस हिसाब से हर रोज तकरीबन 90 लाख लीटर दूध उत्पादन होता है जिसे प्रतिदिन 150 लाख लीटर ले जाने का प्लान किया जा रहा है. इस अभियान के माध्यम से प्रदेश में तकरीबन गाय और भैंस की आबादी में 30 फीसद की बढ़ोतरी होगी. जब गाय और भैंस की नस्ल बेहतर होगी तो निश्चित तौर पर दुग्ध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी.
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