लखनऊ : जिला जज व ईडी के विशेष जज संजय शंकर पांडेय ने मनी लांड्रिंग के दो मामलों में निरुद्ध यादव सिंह की पत्नी कुसुम लता पर आरोप तय करने के लिए 20 फरवरी की तारीख नियत की है. यादव सिंह नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे का चीफ इंजीनियर हुआ करता था. शनिवार को विशेष अदालत के समक्ष अभियुक्ता कुसुम लता को जेल से पेश किया गया था, जबकि अभियुक्त यादव सिंह की ओर से हाजिरी माफी की अर्जी दी गई थी. विशेष अदालत में कुसुम लता को मनी लांड्रिंग के दोनों मामलो में अभियोजन प्रपत्रों की नकलें मुहैया कराई गई.
बीते बुधवार को ईडी की विशेष अदालत के समक्ष मुल्जिमा कुसुम लता हाजिर हुईं थी और अर्जी पेश कर जमानत की मांग की थी. विशेष अदालत ने अर्जी पर बहस के बाद अपना आदेश सुरक्षित करते हुए कुसुम लता को चार फरवरी तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. दो फरवरी को विशेष अदालत ने जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. उल्लेखनीय है कि मनी लांड्रिंग का एक मामला आय से अधिक सम्पति से जुड़ा है. इस मामले की एफआईआर सीबीआई ने दर्ज की थी. वर्ष 2009 से 2014 के दौरान यादव सिंह पर अपनी आय से 11 करोड़ 90 लाख रुपए अधिक अर्जित करने का आरोप था. इस मामले में ईडी ने भी शिकायत दर्ज कर अपनी जांच शुरु की. पांच करोड़ 90 लाख 55 हजार 776 रुपए का मनी लांड्रिंग का अपराध पाने का दावा किया गया है. वर्ष 2018 में ईडी ने इस मामले में यादव सिंह, कुसुम लता व पीजीपी चैरिटेबिल ट्र्रस्ट के विरुद्ध परिवाद दाखिल किया था. ईडी के विशेष वकील केपी सिंह के मुताबिक 30 जुलाई, 2015 को सीबीआई ने यादव सिंह के विरुद्ध आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी व कूटरचना आदि के साथ ही भ्रष्टाचार के तहत एक और मामला दर्ज किया था. इसमें यादव सिंह पर नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे का चीफ इंजीनियर रहते हुए, गैर कानूनी तरीके से इलेक्ट्रि्रक केबिल का टेंडर देने का आरोप था, जिसके चलते 19 करोड़ 92 लाख रुपये की आर्थिक क्षति हुई थी. वर्ष 2015 में ईडी ने इस मामले में भी शिकायत दर्ज कर जांच शुरु की. वर्ष 2017 में जांच के बाद यादव सिंह के साथ ही कुसुम लता व अन्य के खिलाफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत परिवाद दाखिल किया था.