लखनऊ: 'कर्म किए जा फल की इच्छा मत कर ऐ इंसान जैसे कर्म करेगा वैसे फल देगा भगवान' यह कथन भगवत गीता का है, जिसका अनुवाद कई भाषाओं में किया गया है. लेकिन राजधानी लखनऊ के मशहूर लेखक सिदरत उल्लाह अंसारी ने गीता का अनुवाद कर एक नई किताब गीता की रूहानी ताकत लिखी है, जिसमें गीता का उपदेश हिन्दी भाषा में दिया गया है.
राजधानी लखनऊ के रहने वाले सिदरत उल्लाह अंसारी ने भगवत गीता का अनुवाद हिन्दी में किया है. जिसमें उन्होंने आसान भाषा में भगवत गीता में बताए गए श्लोकों के बारे में बताया है. साथ ही साथ उन्होंने भगवत गीता में बताए गए प्रवचनों को भी अपनी किताब में अनुवादित रूप दिया है. लेखक अंसारी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि वह पहले पॉलीटिकल परिक्षेत्र में रहे थे. शुरुआती दौर में उत्तर प्रदेश के कांग्रेस प्रवक्ता रह चुके हैं. वहीं उसके बाद वह दिल्ली के भी प्रवक्ता रहे हैं.
लेखक अंसारी प्रौढ़ शिक्षा के ज्ञाता भी माने जाते हैं, इन्होंने 14 अलग-अलग विश्वविद्यालयों में प्रौढ़ शिक्षा की अलख जगाई है और लोगों को शिक्षा दी है. वहीं अगर वर्तमान स्थिति के बाद की जाए, तो उनका कहना है कि वह इस वक्त राजनीति से बिल्कुल दूर है और इस वक्त वह प्रौढ़ शिक्षा व भगवत गीता के ज्ञान को प्रसार करने में लगे हुए हैं.
ईटीवी भारत में जब लेखक अंसारी से पॉलिटिकल सवाल पूछा तो उनका कहना है कि राजनीति अपनी जगह है, लेकिन सामाजिक व दुनिया के दृष्टिकोण से यह दुनिया पूरी एक ही शक्ति चला रही है. भले ही कोई भी व्यक्ति हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई में भेद करता हो, लेकिन यह पूरी दुनिया एक ही शक्ति के द्वारा चलाई जा रही है.
गीता नहीं है किसी की वह है सभी की
ईटीवी भारत से बात करते हुए लेखक अंसारी ने बताया कि गीता किसी एक व्यक्ति के नहीं बल्कि पूरी दुनिया की है. वहीं इस वजह से उन्होंने जब गीता पढ़ना शुरू किया, तो उनसे भी कई लोगों ने आपत्ति जताई. लेकिन उन्होंने इस आपत्ति को खारिज करते हुए गीता के अध्याय को पढ़ते हुए हिन्दी भाषा में कन्वर्ट भी किया. जहां एक और गीता के ज्ञान को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है. वहीं दूसरी ओर राजधानी लखनऊ के एक कवि व राजनेता ने गीता के ज्ञान को प्रसारित करने का काम किया है.