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शादी से पहले लड़का व लड़की को करानी चाहिए थैलेसीमिया की जांच, जानिए वजह

हर साल 8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है. थैलेसीमिया से ग्रसित मरीजों को एक तय अवधि में ब्लड चढ़ाना होता है.

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Published : May 8, 2023, 4:53 PM IST

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लखनऊ : 'शादी से पहले लड़का और लड़की थैलेसीमिया की जांच करा लें. इससे साफ तौर पर पता चल जाएगा कि लड़का या लड़की थैलेसीमिया से पीड़ित हैं या नहीं. उसके बाद ही शादी का निर्णय लें, एक यही तरीका है जिससे थैलेसीमिया को आगे बढ़ने से रोका जा सकता है. इसे जड़ से समाप्त करने का कोई भी इलाज नहीं है, इसका इलाज हमेशा चलता रहता है.' यह बातें केजीएमयू के ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान के कहीं.

उन्होंने कहा कि 'इस बार का थीम थैलेसीमिया केयर गैप को कम करने के लिए शिक्षा को मजबूत करना है. इस विषय का उद्देश्य थैलेसीमिया देखभाल में अंतर को कम करने के लक्ष्य के साथ बीमारी से प्रभावित व्यक्तियों की समझ और विशेषज्ञता को बढ़ाना है. विश्व थैलेसीमिया दिवस या अंतरराष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस हर साल 8 मई को थैलेसीमिया से पीड़ित सभी मरीजों और उनके माता-पिता के सम्मान में मनाया जाता है. जिन्होंने अपनी बीमारी के बोझ के बावजूद जीवन के लिए कभी आशा नहीं खोई. यह दिन उन लोगों को भी प्रोत्साहित करता है जो बीमारी के साथ जीने के लिए संघर्ष करते हैं. उन्होंने बताया कि थैलेसीमिया एक ऐसी बीमारी है जो एक बच्चे को उसके माता-पिता के द्वारा होती है. साफ शब्दों में इसे आनुवांशिक बीमारी भी कह सकते हैं. खून का एक विकार जिसमें ऑक्सीजन वाहक प्रोटीन सामान्‍य से कम मात्रा में होते हैं. थैलेसीमिया एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में जाने वाली खून संबंधी बीमारी है, जो शरीर में सामान्य के मुकाबले कम ऑक्सीजन ले जाने वाले प्रोटीन (हीमोग्लोबिन) और कम संख्या में लाल रक्त कोशिकाओं से पहचानी जाती है.'

बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि 'थैलेसीमिया के मरीज का जीवन आसान नहीं होता है. प्रदेशभर से इलाज के लिए केजीएमयू में मरीज आते हैं और रोजाना 80 से 100 लोगों का ब्लड चेंज होता है. किस मरीज को बुलाया गया है, यह पहले से ही निर्धारित होता है. इन मरीजों को निर्धारित समय पर आकर अपना ब्लड बदलवाना होता है. यूपी सरकार ने थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों के लिए तमाम व्यवस्थाएं की हैं और व्यवस्थाएं जारी भी हैं. सरकार के द्वारा थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों का अलग से थैलेसीमिया कार्ड बनता है. जिसके तहत मरीज का खून ट्रांसफर किया जाता है. मरीज को अस्पताल में निशुल्क इलाज मिलता है. चिकित्सा व्यवस्था और ब्लड बैंक से खून थैलेसीमिया कार्ड के तहत निशुल्क उपलब्ध होता है.'

उन्होंने कहा कि 'थैलेसीमिया वाले व्यक्तियों में अल्फा या बीटा ग्लोबिन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार जीनों में से एक या दोनों में उत्परिवर्तन होता है, जिसके द्वारा एक या दोनों प्रकार के खून का उत्पादन कम या न के बराबर होता है. इससे ग्लोबिन की कमी हो जाती है, जिससे मरीज को एनीमिया और अन्य संबंधित दिक्कतें होने लगती हैं. उन्होंने बताया कि इनमें बच्चों और युवाओं की संख्या अधिक है.'

लक्षण

- सूखता चेहरा.
- लगातार बीमार रहना.
- कमजोरी महसूस होना.
- कुछ काम करने की इच्छा न होना.
- वजन न ब़ढ़ना और इसी तरह के कई लक्षण बच्चों में थेलेसीमिया बीमारी होने पर दिखाई देते हैं.

बचाव

- शादी से पहले लड़का-लड़की थैलेसीमिया की जांच कराएं.
- सरकार के द्वारा कई जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं खुद सावधान रहें और दूसरों को भी इसके बारे में बताएं.
- यदि कोई मरीज थैलेसीमिया से पीड़ित है तो वह अपना ख्याल रखें और समय पर समुचित इलाज लें.
- अपनी दिनचर्या और खान-पान का ख्याल रखें.

यह भी पढ़ें : सात ज्योतिर्लिंगों की यात्रा करना होगा आसान, IRCTC ने बनाया ये प्लान

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लखनऊ : 'शादी से पहले लड़का और लड़की थैलेसीमिया की जांच करा लें. इससे साफ तौर पर पता चल जाएगा कि लड़का या लड़की थैलेसीमिया से पीड़ित हैं या नहीं. उसके बाद ही शादी का निर्णय लें, एक यही तरीका है जिससे थैलेसीमिया को आगे बढ़ने से रोका जा सकता है. इसे जड़ से समाप्त करने का कोई भी इलाज नहीं है, इसका इलाज हमेशा चलता रहता है.' यह बातें केजीएमयू के ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. तूलिका चंद्रा ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान के कहीं.

उन्होंने कहा कि 'इस बार का थीम थैलेसीमिया केयर गैप को कम करने के लिए शिक्षा को मजबूत करना है. इस विषय का उद्देश्य थैलेसीमिया देखभाल में अंतर को कम करने के लक्ष्य के साथ बीमारी से प्रभावित व्यक्तियों की समझ और विशेषज्ञता को बढ़ाना है. विश्व थैलेसीमिया दिवस या अंतरराष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस हर साल 8 मई को थैलेसीमिया से पीड़ित सभी मरीजों और उनके माता-पिता के सम्मान में मनाया जाता है. जिन्होंने अपनी बीमारी के बोझ के बावजूद जीवन के लिए कभी आशा नहीं खोई. यह दिन उन लोगों को भी प्रोत्साहित करता है जो बीमारी के साथ जीने के लिए संघर्ष करते हैं. उन्होंने बताया कि थैलेसीमिया एक ऐसी बीमारी है जो एक बच्चे को उसके माता-पिता के द्वारा होती है. साफ शब्दों में इसे आनुवांशिक बीमारी भी कह सकते हैं. खून का एक विकार जिसमें ऑक्सीजन वाहक प्रोटीन सामान्‍य से कम मात्रा में होते हैं. थैलेसीमिया एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में जाने वाली खून संबंधी बीमारी है, जो शरीर में सामान्य के मुकाबले कम ऑक्सीजन ले जाने वाले प्रोटीन (हीमोग्लोबिन) और कम संख्या में लाल रक्त कोशिकाओं से पहचानी जाती है.'

बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि 'थैलेसीमिया के मरीज का जीवन आसान नहीं होता है. प्रदेशभर से इलाज के लिए केजीएमयू में मरीज आते हैं और रोजाना 80 से 100 लोगों का ब्लड चेंज होता है. किस मरीज को बुलाया गया है, यह पहले से ही निर्धारित होता है. इन मरीजों को निर्धारित समय पर आकर अपना ब्लड बदलवाना होता है. यूपी सरकार ने थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों के लिए तमाम व्यवस्थाएं की हैं और व्यवस्थाएं जारी भी हैं. सरकार के द्वारा थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों का अलग से थैलेसीमिया कार्ड बनता है. जिसके तहत मरीज का खून ट्रांसफर किया जाता है. मरीज को अस्पताल में निशुल्क इलाज मिलता है. चिकित्सा व्यवस्था और ब्लड बैंक से खून थैलेसीमिया कार्ड के तहत निशुल्क उपलब्ध होता है.'

उन्होंने कहा कि 'थैलेसीमिया वाले व्यक्तियों में अल्फा या बीटा ग्लोबिन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार जीनों में से एक या दोनों में उत्परिवर्तन होता है, जिसके द्वारा एक या दोनों प्रकार के खून का उत्पादन कम या न के बराबर होता है. इससे ग्लोबिन की कमी हो जाती है, जिससे मरीज को एनीमिया और अन्य संबंधित दिक्कतें होने लगती हैं. उन्होंने बताया कि इनमें बच्चों और युवाओं की संख्या अधिक है.'

लक्षण

- सूखता चेहरा.
- लगातार बीमार रहना.
- कमजोरी महसूस होना.
- कुछ काम करने की इच्छा न होना.
- वजन न ब़ढ़ना और इसी तरह के कई लक्षण बच्चों में थेलेसीमिया बीमारी होने पर दिखाई देते हैं.

बचाव

- शादी से पहले लड़का-लड़की थैलेसीमिया की जांच कराएं.
- सरकार के द्वारा कई जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं खुद सावधान रहें और दूसरों को भी इसके बारे में बताएं.
- यदि कोई मरीज थैलेसीमिया से पीड़ित है तो वह अपना ख्याल रखें और समय पर समुचित इलाज लें.
- अपनी दिनचर्या और खान-पान का ख्याल रखें.

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