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लिंफोमा से डरे नहीं बल्कि डटकर लड़े, समय पर लें समुचित इलाज

केजीएमयू में हेमेटोलॉजी विभाग (KGMU Hematology Department) के डॉ. शैलेंद्र वर्मा ने विश्व लिंफोमा जागरूकता दिवस पर कहा कि लिंफोमा से डरे नहीं बल्कि डटकर लड़े. समय पर समुचित इलाज कराएं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 16, 2023, 10:18 AM IST

लखनऊ: लिंफोमा कैंसर एक प्रकार के गांठों का कैंसर होता है. हाथ, पांव या गले में गांठ होने पर लिंफोमा की आशंका रहती है. सामान्य तौर पर इसकी शुरुआत गले से होती है. इम्यून सिस्टम को बढ़ाने की कोशिका को लिम्फोकेट्स कहा जाता है. इन कोशिकाओं के कैंसर से ग्रसित होने पर लिंफोमा कैंसर कहा जाता है. समय से और नियमित इलाज से मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है. यह बात ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान केजीएमयू में हेमेटोलॉजी विभाग के डॉ. शैलेंद्र वर्मा ने विश्व लिंफोमा जागरूकता दिवस (World Lymphoma Awareness Day 2023) पर कहीं.

उन्होंने कहा कि लिंफोमा एक गंभीर स्थिति है. प्रभावी उपचार के तरीकों से इसका इलाज किया जा सकता है, यदि इसका जल्द पता चल जाए. आपके शरीर में लसीका तंत्र में लसीका शिराएं और लिंफ नोड्स शामिल हैं. यह शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को लिम्फ नामक एक स्पष्ट द्रव में एकत्र और फ़िल्टर करता है. इस बार विश्व लिंफोमा कैंसर दिवस का थीम इलाज के प्रति केयर गैप को बंद करे 'Close The Care Gap' रखा गया है.

उन्होंने बताया कि इसका इलाज संभव है. अगर समय रहते इसके बारेठ में मरीज को पता चल जाता है और अच्छे विशेषज्ञ के पास पहुंचते हैं, तो इसका इलाज संभव है. इलाज में आमतौर पर दो से छह महीने का समय लगता है. इलाज की समयावधि हॉजकिन लिंफोमा के जोखिम समूह पर निर्भर करती है. यदि रेडिएशन थेरेपी की आवश्यकता पड़ती है, तो यह सभी कीमोथेरेपी के अंत में दी जाती है. आमतौर पर इसमें लगभग तीन सप्ताह का समय लगता है.

उन्होंने कहा कि लिंफोसाइट्स ज्यादातर हमारे लसीका तंत्र में रहते हैं और संक्रमण और बीमारी से लड़कर हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करते हैं. लिंफोमा तब शुरू होता है, जब हमारे डीएनए में परिवर्तन के परिणामस्वरूप कैंसरयुक्त लिम्फोमा कोशिकाओं की अनियमित और असामान्य वृद्धि होती है.

ज्यादातर केस में नहीं दिखता लक्षण: उन्होंने कहा कि लिंफोमा इतनी धीमी गति से बढ़ता हैं कि मरीज कई वर्षों तक बिना किसी लक्षण के जीवित रह सकते हैं. लिंफ ग्रंथि के कारण दर्द का अनुभव हो सकता है. पांच से 10 वर्षों के बाद, निम्न-श्रेणी के विकार तेजी से बढ़ने लगते हैं और आक्रामक या उच्च-श्रेणी के हो जाते हैं और अधिक गंभीर लक्षण उत्पन्न करते हैं.
ये भी पढ़ें- आगरा में महिला मित्र की आपत्तिजनक फोटो और वीडियो से ब्लैकमेल करने पर छात्र की हत्या, दो आरोपी गिरफ्तार

लखनऊ: लिंफोमा कैंसर एक प्रकार के गांठों का कैंसर होता है. हाथ, पांव या गले में गांठ होने पर लिंफोमा की आशंका रहती है. सामान्य तौर पर इसकी शुरुआत गले से होती है. इम्यून सिस्टम को बढ़ाने की कोशिका को लिम्फोकेट्स कहा जाता है. इन कोशिकाओं के कैंसर से ग्रसित होने पर लिंफोमा कैंसर कहा जाता है. समय से और नियमित इलाज से मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है. यह बात ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान केजीएमयू में हेमेटोलॉजी विभाग के डॉ. शैलेंद्र वर्मा ने विश्व लिंफोमा जागरूकता दिवस (World Lymphoma Awareness Day 2023) पर कहीं.

उन्होंने कहा कि लिंफोमा एक गंभीर स्थिति है. प्रभावी उपचार के तरीकों से इसका इलाज किया जा सकता है, यदि इसका जल्द पता चल जाए. आपके शरीर में लसीका तंत्र में लसीका शिराएं और लिंफ नोड्स शामिल हैं. यह शरीर से अपशिष्ट उत्पादों को लिम्फ नामक एक स्पष्ट द्रव में एकत्र और फ़िल्टर करता है. इस बार विश्व लिंफोमा कैंसर दिवस का थीम इलाज के प्रति केयर गैप को बंद करे 'Close The Care Gap' रखा गया है.

उन्होंने बताया कि इसका इलाज संभव है. अगर समय रहते इसके बारेठ में मरीज को पता चल जाता है और अच्छे विशेषज्ञ के पास पहुंचते हैं, तो इसका इलाज संभव है. इलाज में आमतौर पर दो से छह महीने का समय लगता है. इलाज की समयावधि हॉजकिन लिंफोमा के जोखिम समूह पर निर्भर करती है. यदि रेडिएशन थेरेपी की आवश्यकता पड़ती है, तो यह सभी कीमोथेरेपी के अंत में दी जाती है. आमतौर पर इसमें लगभग तीन सप्ताह का समय लगता है.

उन्होंने कहा कि लिंफोसाइट्स ज्यादातर हमारे लसीका तंत्र में रहते हैं और संक्रमण और बीमारी से लड़कर हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करते हैं. लिंफोमा तब शुरू होता है, जब हमारे डीएनए में परिवर्तन के परिणामस्वरूप कैंसरयुक्त लिम्फोमा कोशिकाओं की अनियमित और असामान्य वृद्धि होती है.

ज्यादातर केस में नहीं दिखता लक्षण: उन्होंने कहा कि लिंफोमा इतनी धीमी गति से बढ़ता हैं कि मरीज कई वर्षों तक बिना किसी लक्षण के जीवित रह सकते हैं. लिंफ ग्रंथि के कारण दर्द का अनुभव हो सकता है. पांच से 10 वर्षों के बाद, निम्न-श्रेणी के विकार तेजी से बढ़ने लगते हैं और आक्रामक या उच्च-श्रेणी के हो जाते हैं और अधिक गंभीर लक्षण उत्पन्न करते हैं.
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