लखनऊ: 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में जाना जाता है, वहीं अगर चिकित्सा जगत में इसको लेकर बात की जाए तो इस दिन विश्व डायबिटीज दिवस भी मनाया जाता है. इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन में 1991 में 14 नवंबर को डायबिटीज दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की थी. 2019 में इस दिन की थीम 'परिवार और डायबिटीज' रखी गई है.
शरीर के इन अंगों में बढ़ रही हो परेशानी तो हो जाएं सावधान. दो तरह की होती है डायबिटीजकिंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर कौसर उस्मान कहते हैं कि डायबिटीज विश्व भर में फैली हुई एक ऐसी बीमारी है जो ताउम्र चलती है. चिंताजनक बात यह है कि अब यह बीमारी बच्चों में भी ज्यादातर दिखने लगी है. वह कहते हैं कि डायबिटीज दो तरह की होती है, पहली टाइप 1 और दूसरी टाइप 2 डायबिटीज.
विश्व के 95% लोगों को टाइप 2 डायबिटीज
विश्व के 95% लोगों को टाइप 2 डायबिटीज होती है. जबकि बचे हुए 5% टाइप वन डायबिटीज के रोगी होते हैं जो सिर्फ बच्चे होते हैं. वह कहते हैं कि छोटे बच्चों को टाइप वन डायबिटीज होने की आशंका अधिक होती है. खतरनाक बात यह है कि अब 14 से 18 साल के उम्र के बच्चों में भी टाइप टू डायबिटीज देखी जा रही है. डॉ. कौसर के अनुसार डायबिटीज होने का मुख्य कारण फिजिकल एक्टिविटीज का न होना है.
जंक फूड्स के सेवन से बढ़ रहा डायबिटीज का खतरा
विशेषज्ञ कहते हैं कि बच्चे आजकल फिजिकल एक्टिविटीज कम करते जा रहे हैं और उनके ज्यादातर काम बैठकर होते हैं. स्कूल में बैठकर पढ़ाई करने और घर पर टीवी, मोबाइल और कंप्यूटर पर अपना समय अधिक बिताने की वजह से डायबिटीज के शिकार लोग अधिक होते जा रहे हैं इसके अलावा खान-पान भी डायबिटीज को बढ़ाने में सहायक हो रहा है. आजकल जंक फूड्स का सेवन अधिक होता जा रहा है और इसी वजह से डायबिटीज के रोगियों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है.
बदलती जीवन शैली है मुख्य कारण
इस बाबत मेडिसिन विभाग के डॉ. डी. हिमांशु कहते हैं कि बदलती जीवन शैली डायबिटीज को बढ़ाने में कारगर साबित हो रही है. सबसे मुख्य बात यह है कि डायबिटीज की वजह से शरीर के कई अंग भी प्रभावित होते हैं, इनमें आंख, गुर्दे, हृदय और दांत जैसे अंग शामिल होते हैं.
ग्रामीण इलाकों में बढ़ रहा डायबिटीज का खतरा
डॉ. हिमांशु के मुताबिक, डायबिटीज के रोगी अब शहरी जनसंख्या से बढ़कर ग्रामीण इलाकों में भी पाए जाने लगे हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि ग्रामीण जनसंख्या के रोगी जब तक अस्पताल पहुंच पाते हैं, तब तक उनके शरीर के कई अंग खराब होने की स्थिति में आ जाते हैं. ऐसे में ग्रामीण अंचल में डायबिटीज के प्रति जागरूकता बढ़ाने की अधिक जरूरत है.
बच्चों में बढ़ता डायबिटीज का खतरा
डायबिटीज के रोगी 30 वर्ष की उम्र के बाद ही पहले पाए जाते थे लेकिन डॉक्टर कौसर उस्मान के मुताबिक अब बच्चों में यह संख्या बढ़ने लगी है और टाइप टू डायबिटीज के रोगी भी अब अधिक होने लगे हैं. ऐसे में जरूरी है कि अपनी दिनचर्या का खास ख्याल रखा जाए ताकि जीवन पर्यंत चलने वाली बीमारियों को भी रोका जा सके.